लखनऊ। योगी आदित्यनाथ कैबिनेट की यहां मंगलवार को हुई बैठक में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए बैंकों से धन जुटाने समेत कुल छह प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।

उप्र सरकार के प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह और श्रीकांत शर्मा ने कैबिनेट में हुए फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि सुलह और मध्यस्थता के अधिनियम में भी बदलाव किया गया है। सिविल प्रक्रिया अधिनियम-1908 के तहत धारा-102 और धारा-115 के आपसी सुलह और मध्यस्थता से निपटाए जाने वाले विवाद अब हाईकोर्ट की जगह जनपद अदालतों में सुने जा सकेंगे। इनकी जमानत राशि भी क्रमशः 25 हजार से बढ़ाकर 50 हजार और पांच लाख से बढ़ा कर 25 लाख रुपये कर दी गई है। इससे विवादों का जल्द निपटारा होगा।

पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए 12 हजार करोड़ रुपये की जरूरत है। सरकार ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के सिविल कार्यों के लिए तीन हजार करोड़ रुपये के बैंक कर्ज को भी मजूरी दी है। पंजाब नेशनल बैंक ने पहले ही 7800 करोड़ रुपये दे दिये हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा और विजया बैंक से 1000-1000 करोड़ रुपये लिये गए थे। इन दोनों बैंकों के विलय के बाद आगे की प्रक्रिया को भी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। 

प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण की तरह मुख्यमंत्री आवास योजना ग्रामीण के लाभर्थियों की धनराशि सीधे उनके बैंक खाते में जाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी गई है। इससे लाभार्थी भ्रष्टाचार से बच सकेंगे और देरी भी नहीं होगी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में कॉन्फ्रेंस हॉल के निर्माण के लिए कैबिनेट ने 4599.88 लाख रुपये को मंजूरी दी है। कैबिनेट ने हाईकोर्ट में मल्टी लेवल पार्किंग और वकीलों के चेम्बर के निर्माण के लिए प्रस्ताव पास जिस पर 530 करोड़ रुपये की लागत आएगी।

सरकारी प्रिंटिंग का काम पहले बाहरी एजेंसी को दिया जाता था। 2002 में इसे बंद कर दिया गया था। अब फिर से ई टेंडर के जरिये निजी क्षेत्र को भी प्रिंटिंग का काम दिया जा सकेगा। हालांकि सरकारी प्रेस को वरीयता दी जाएगी। फर्मों की 50 लाख, 1 करोड़ और 2 करोड़ की तीन श्रेणियां होंगी। ईएसआई, जीएसटी और ईपीएफ रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा।

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