नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का विरोध करने वालों पर पुलिस कार्रवाई का मामला सुप्रीम कोर्ट ने भले ही मंगलवार को राज्यों के हाईकोर्ट को सौंप दिया हो पर इससे संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बेहद तल्ख टिप्पणियां कीं। शीर्ष अदालत ने जामिया मिलिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में हुई हिंसा पर साफ तौर पर दखल देने से भले ही इन्कार कर दिया हो पर कहा कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मामले में जांच के आदेश दे सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शन में शामिल छात्र-छात्राओं की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से भी मना कर दिया।
1. हम इस मामले में पक्षपाती नहीं हैं।
2. जब कोई कानून तोड़ता है तो पुलिस क्या
करेगी?
3. कोई पत्थर मार रहा है, बस जला रहा है तो हम पुलिस को मुकदमा (FIR) दर्ज करने से कैसे
रोक सकते हैं?
4. यदि कोई पुलिस अधिकारी देखता है कि कुछ
पत्थर आदि फेंके जा रहे हैं तो एफआईआर दर्ज नहीं
की जानी चाहिए?
5. बस में किसने आग लगाई? कितनी बसें जलाई गईं?
6. हम यहां सरकार के रुख में नहीं जा रहे हैं।
हम अभी नागरिकता संशोधन कानून 2019 पर निर्णय लेने के
बिंदु पर नहीं हैं।
7. हम समाचार रिपोर्टों के आधार पर किसी निष्कर्ष
पर नहीं पहुंचने वाले हैं।
8. तेलंगाना मामले में केवल एक समिति का गठन
किया जाना था, यहां यह मामला नहीं है क्योंकि कई घटनाएं हुई हैं।
9. यह कोई चिल्लाने वाला मैच नहीं है। यह
आपके चिल्लाने का स्थान नहीं है, सिर्फ इसलिए कि यहां एक बड़ी भीड़ और मीडिया
मौजूद है।
10. अवैध गतिविधियां
नहीं हो सकतीं, पुलिस के पास ऐसी सभी आपराधिक गतिविधियों को समाप्त करने का अधिकार
है।
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