भारत सरकार जम्मू-कश्मीर और पंजाब में दो बड़े बांध बनाएगी। इस योजना पर तेजी से काम चल रहा है। इन बांधों के बनने से सिंधु, सतलुज आदि के पानी का इस्तेमाल देश में ही होगा। इसका लाभ जम्मू-कश्मीर, पंजाब और राजस्थान को मिलेगा।
बीकानेर। भारत-पाकिस्तान जल संधि को लेकर विवाद का एक लंबा इतिहास है और देश में इसे लेकर असहमति के स्वर समय-समय पर उठते रहे हैं। पाकिस्तान की नापाक हरकतों के मद्देनजर इस संधि को रद्द करने की मांग उठती रही है। अब यह मामला फिर गर्म है। दरअसल, केंद्रीय जल संसाधन मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भारत की नदियों से सीमा पार पाकिस्तान जाने वाले पानी को रोकने का ऐलान किया है। मेघवाल का कहना है कि भारत सरकार जम्मू-कश्मीर और पंजाब में दो बड़े बांध बनाएगी। इस योजना पर तेजी से काम चल रहा है। इन बांधों के बनने से सिंधु, सतलुज आदि के पानी का इस्तेमाल देश में ही होगा। इसका लाभ जम्मू-कश्मीर, पंजाब और राजस्थान को मिलेगा।
अर्जुन राम मेघलाव ने कहा, ”आम दिनों में रोज़ाना तीन लाख क्यूसेक जबकि मानसून सीजन में एक लाख क्यूसेक पानी पाकिस्तान चला जाता है। इसे रोकने के लिए केंद्र सरकार ने कमर कस ली है। जम्मू-कश्मीर और पंजाब में बांध बनाने को लेकर काम तेज़ी से चल रहा है। आज़ादी के दौरान तीन-तीन नदियों के पानी का बंटवारा किया गया था लेकिन हमारा पानी पाकिस्तान जा रहा है। ऐसे में देश में अब दो बांध बनाकर इसे रोका जाएगा। पहले की सरकारों ने भी इस पर काम किया है लेकिन मोदी सरकार इनके निर्माण के कार्य में तेज़ी लाई है।”
माना जा रहा है कि आतंकवाद और संघर्ष विराम उल्लंघन को लेकर पाकिस्तान की नापाक करतूत तथा भारत के विरोध और अंतरराष्ट्रीय दवाब के बावजूद उसके बाज न आने के चलते भारत सरकार उसे सबक सिखाना चाहती है। इसके लिए अब पानी को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। जाहिर है कि भारत के इस पलटवार का पाकिस्तान को भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। जल संसाधन मंत्रालय के इस क़दम का दोहरा असर होगा। इससे जहां देश के एक बड़े हिस्से को जल संकट से निजात मिलेगी, वहीं पानी का यह प्रहार इस नापाक पड़ेसी की अर्थव्यवस्था पर भी भारी पड़ सकता है जो पहले से ही काफी चरमराई हुई है