नई दिल्ली। बलात्कार से जुड़े एक मामले में अहम टिप्पणी करते हुए केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर आरोपी पीड़िता के जांघों (Thighs) पर भी सेक्सुअल एक्ट करता है, तो उसे भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 के तहत परिभाषित बलात्कार के समान ही माना जाएगा। न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रण और न्यायमूर्ति जियाद रहमान ए ए (Justice की पीठ ने यह फैसला साल 2015 के एक मामले में दिया है। इस मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे शख्स ने 11 साल की अपनी पड़ोसी बच्ची का यौन उत्‍पीड़न किया था।

इस मामले में पड़ोसी ने छात्रा को अश्‍लील क्लिप दिखाकर उसके जंघाओं से गंदी हरकत की थी। मामला बढ़ने के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया था। मामले की निचली अदालत में सुनवाई हुई और पॉक्‍सो एक्‍ट और अप्राकृतिक यौन संबंध मामले में आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। सजा के खिलाफ आरोपी शख्स ने हाईकोर्ट में अर्जी दी  और सवाल किया कि जंघाओं के बीच पेनेट्रेशन रेप कैसे हो सकता है। उसके वकील ने अदालत से कहा कि आरोपी पर आरोप है कि उसने पीड़िता के जांघों के बीच में अपना योन अंग डाला था और ऐसा कृत्य धारा 375 में बलात्कार की श्रणी में नहीं आता है। 

इसपर हाईकोर्ट ने कहा कि वजाइना, यूरेथ्रा, एनस या शरीर के किसी भी अन्य हिस्से, जिससे सनसनी पाने के लिए छेड़छाड़ की जा सके, सभी प्रकार के पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट को आईपीसी की धारा 375 के तहत बलात्कार में शामिल किया गया है। पीठ ने आगे कहा कि बलात्कार के अपराध की परिभाषा के दायरे को बढ़ाने के लिए कानून में वर्षों से लगातार संशोधन किए जा रहे हैं। इसमें अब एक महिला के शरीर के किसी भी हिस्से में पेनेट्रेशन को शामिल किया गया है।