Karva Chauth 2022 :देशभर की महिलाएं 13 अक्टूबर को अपने पति की लंबी आयु के लिए करवाचौथ का व्रत रख रही हैं कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत किया जाता हैं इस दिन करवा माता की पूजा की जाती हैं करवाचौथ व्रत की कथा पढ़ी सुनी जाती हैं और बाद में आरती पूजन किया जाता हैं करवाचौथ का व्रत सभी व्रतों में सबसे कठिन माना गया हैंआज पूरे दिन अन्न और जल का त्याग करके रात में चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत खोला जाता हैं और सबसे पहले पति के हाथों से ही जल ग्रहण किया जाता हैं कहते हैं कि पति की लंबी आयु की पूजा के लिए करवा माता की व्रत कथा बेहद जरूरी हैं इससे करवा माता प्रसन्न हो जाती हैं और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति भी करती हैं,धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा बताया जाता है की करवा चौथ व्रत कथा पढ़े बिना इस व्रत को पूरा नहीं माना जाता है। ऐसे में आज हम आपके साथ इन दिन पढ़े और सुने जाने वाली व्रत कथा के बारे में बताने जा रहे है।
करवा चौथ व्रत कथा इस प्रकार है-
एक समय की बात है, एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी। एक बार जब कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी आई, तब साहूकार की पत्नी समेत उसकी सात बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा । रात के समय जब साहूकार के बेटे भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भोजन करने को कहा। इस पर बहन ने उत्तर दिया- ‘भैया! अभी चांद नहीं निकला है, उसके निकलने पर अर्घ्य देकर ही में भोजन ग्रहण करूंगी।’
वह सातों भाई अपनी एकलौती बहन से बहुत प्रेम करते थे, जिस कारण उनसे बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देखा नहीं गया। जिसके बाद वे सभी नगर के बाहर चले गए और वहां जाकर आग जला दी। फिर बहन के पास जाकर छलनी की मदद से प्रकाश दिखाते हुए कहा- ‘बहन! देखो चांद निकल आया है। अर्घ्य देकर भोजन कर लो।’ यह सुनकर उसने अपने भाभियों को भी चांद को अर्घ्य देने को कहा।’ परन्तु वह अपने पतियों के छल के बारे में जानती थी। उन्होंने कहा – ‘बाई जी! चांद अभी नहीं निकला है, आपके भाई अग्नि का प्रकाश कर, आपको भ्रमित कर है।’
उसने भाभियों की बातों को अनदेखा कर, भाइयों की बात को माना और चांद को अर्घ्य देकर भोजन किया। चांद निकलने से पहले व्रत भंग करने से गणेश जी उस पर नाराज हो गए। जिसके बाद साहूकार की बेटी का पति बीमार रहने लगा। घर की सारी धन-संपत्ति भी उसके इलाज में लग गई। जब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ, तब उसने प्रायश्चित किया और गणेश जी से प्रार्थना करते हुए एक बार फिर पुरे विधि विधान से चौथ का व्रत शुरू किया।
उसने वहां उपस्थित सभी लोगों का आदर-सत्कार कर आशीर्वाद ग्रहण किया। इस प्रकार साहूकार की पुत्री प्रसन्न होकर, विग्नहर्ता भगवान श्री गणेश ने उसके पति को आरोग्य जीवन प्रदान किया। इसके साथ ही घर में धन, संपत्ति और वैभव का भी आशीर्वाद प्रदान किया। इसी तरह जो कोई भी पुरे विधि-विधान से श्रद्धापूर्वक करवा चौथ का व्रत रखता है, उसके जीवन में सुख- समृद्धि, धन व वैभव का संचार होता है।
जय मां करवा चौथ की!