अक्षय तृतीया 14 मई को, जानें इस बार बनने वाले विशेष योग, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Astro Desk, BareillyLive. हिंदू कलैंडर में वैशाख शुक्ल तृतीया को अक्षय तृतीया या अखातीज भी कहा जाता है। इस तिथि को एक अबूझ मुहूर्त भी माना गया है अर्थात इस दिन बिना मुहुर्त देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। वहीं इस दिन इसी दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। अतः इसे परशुराम तीज भी कहतें हैं। जिसके चलते इस दिन देश भर में परशुराम जन्मोत्सव भी मनाया जाता है।

अक्षय तृतीया क्यों है विशेष
दरअसल यह दिन बहुत पवित्र माना गया है। इस दिन से सतयुग और त्रेतयुग का आरंभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किया गया जप, तप,ज्ञान, स्नान, दान, होम आदि अक्षय रहते हैं। इसी कारण इस तिथि को अक्षय तृतीया कहते हैं।

वही यदि यह सोमवार और रोहिणी नक्षत्र में आए तो महाफलदायी माना जाता है। वहीं यदि तृतीया मध्याह्न से पूर्व शुरु होकर प्रदोषकाल तक रहती है तो यह अत्यंत श्रेष्ठ मानी जाती है। ऐसे में इस बार ये अक्षय तृतीया पर्व शुक्रवार, 14 मई को पड़ रहा है जिसमें रोहिणी नक्षत्र प्राप्त हो रहा है।

अक्षय तृतीया 2021 : शुभ मुहूर्त…

तृतीया तिथि का प्रारंभ (14 मई 2021)सुबह 05ः38 बजे से
तृतीया तिथि का समापन (15 मई 2021)सुबह 07ः59 बजे तकस

पूजा मुहूर्त…
अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त (14 मई 2021)ः05ः39ः23 से 12ः17ः45 तक
अवधि :6 घंटे 38 मिनट

इस बार बन रहे बेहद शुभ योग
अक्षय तृतीया पर धन-धान्य की देवी माता लक्ष्मी की पूजन करने का विधान है स वहीं इस बार अक्षय तृतीया शुक्रवार यानि सप्ताह का वह दिन जिसकी कारक देवी स्वयं माता लक्ष्मी होती हैं को पड़ रही है।

माता लक्ष्मी का दिन होने के चलते इस बार की अक्षय तृतीया विशेष मानी जा रही है।

इसके अलावा इस बार अक्षय तृतीया पर चंद्रमा व शुक्र दोनों ही वृषभ राशि में रहेंगे। जिसके कारण अक्षय तृतीया 2021 पर लक्ष्मी योग बन रहा है। यह योग को समृद्धि देने वाला माना जाता है। राजेश कुमार शर्मा ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार लक्ष्मी नारायण योग और गजकेसरी योग भी बन रहा है।

लक्ष्मी नारायण योग—- रात 09ः26 बजे से 10ः45 बजे तक
गजकेसरी योग — दोपहर 12 बजे से 01ः45 बजे तक

इसके साथ ही अक्षय तृतीया 2021 पर सुकर्मा और धृति योग का निर्माण भी हो रहा है, वहीं इस दिन रोहिणी नक्षत्र रहेगा। ये दोनों ही शुभ योग हैं।
ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा के अनुसार इस बार अक्षय तृतीया के दिन सुकर्मा योग 14 मई रात 12 बजकर 15 मिनट से 01 बजकर 46 मिनट तक रहेगा और ठीक इसके बाद से धृति योग आरंभ हो जाएगा।

सुकर्मा योग को शुभ फल प्रदान करने वाला योग माना जाता है। इस योग में कोई भी नया कार्य जैसे नौकरी या फिर धार्मिक कार्य करने पर उसके शुभ फल प्राप्त होते हैं और कार्य में कोई बाधा नहीं आती है। इसे भगवान का स्मरण और पूजन करने और सत्कर्म करने के लिए सुकर्मा योग बहुत ही उत्तम माना जाता है।

वहीं धृति योग इसका अर्थ धैर्य माना गया है। माना जाता है कि इस योग में किए गए कार्यों का भी शुभ फल प्राप्त होता है लेकिन कार्य पूर्ण होने के लिए थोड़ा सा धैर्य रखना पड़ता है। मकान-जमीन आदि का नींव पूजन, शिलान्यास, भूमि पूजन आदि के लिए यह योग बहुत अच्छा माना जाता है। इस योग में रखी गई नींव के घर में रहने वालों को सभी सुख सुविधाओं की प्राप्ति होती है और जीवन खुशहाल रहता है।

अक्षय तृतीया के संबंध में माना जाता है कि इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं उनका बड़ा श्रेष्ठ फल मिलता है। वहीं कई शुभ व पूजनीय काय इसी दिन होते हैं। इस दिन गंगा स्नान का बड़ा भारी माहात्म्य है। जो मनुष्य इस दिन गंगा स्नान करता है, वह निश्चय ही सारे पापों से मुक्त हो जाता है।

ये वस्तुएं करें दान
इस दिन स्वर्गीय आत्माओं को प्रसन्नता के लिए घड़ी, कलश,पंखा, छाता, चावल, दाल, नमक, घी, चीनी,साग, इमली, फल, वस्त्र, खड़ाऊं, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा और दक्षिणा आदि का ब्राहमणों को दान करना चाहिए।

ऐसे करें अक्षय तृतीया पूजन

इसी दिन चारों धामों में प्रमुख श्री बद्रीनारायणजी के पट खुलते हैं। इस दिन भक्तजन श्री बद्रीनारायण जी का चित्र सिंहासन पर विराजमान कराकर उन्हें मिश्री तथा भीगी हुई चने की दाल का भोग लगाते हैं। इस दिन भगवान को तुलसीदल चढ़ाकर श्रद्धा और भक्तिपूर्वक पूजा करके आरती करनी चाहिए।

इस दिन तिल सहित कुशों के जल से पितरों को जल दान करने से पित्तीश्वरों की अनंतकाल तक तृप्ति होती है। इस दिन जगह-जगह शीतल जल या मीठे शर्बत की प्याऊ भी लगाई जाती है। यह पर्व दान प्रधान है। इसके आसपास पड़ने वाली मेष संक्रांति में ब्राह्मणों को चीनी या गुड़ के साथ सत्तू दान करना चाहिए तथा इस दिन सत्तू अवश्य खाना चाहिए।

राजेश कुमार शर्मा ज्योतिषाचार्य
सम्पर्क : 9058810022

इसी दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। अतः इसे परशुराम तीज भी कहतें हैं। नर-नारायण ने भी इसी दिन अवतार लिया था। इसी दिन गौरीव्रत की समाप्ति के लिए गौर माता का पूजन भी किया जाता है। वृन्दावन के श्रीबांकेबिहारी जी के मंदिर में केवल इसी दिन चरण दर्शन होते हैं, अन्यथा पूरे वर्ष वस्त्रों से ढ़ंके रहते हैं।
बरेली लाइव परिवार की ओर से सभी लोगों को अक्षय तृतीया की अनन्त शुभकामनाएं।

Vishal Gupta 'Ajmera'

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