बवासीर का आयुर्वेदिक इलाज

आज हम गुदा मार्ग की 3 बीमारियों पर चर्चा करेंगे फिस्टुला या भगंदर पाइल्स या बवासीर और तीसरी है फिशर यानी कि खुदा का फट जाना। इस लेख में जानेंगे कि यह बीमारियां हमें क्यों होती हैं और इनके हो जाने पर इनका उपचार कैसे किया जाए और भोजन में क्या परिवर्तन किए जाएं जिससे यह ठीक हो जाएं।

पाइल्स या बवासीर में गुदा मार्ग की नसें फूल जाती हैं यह एक प्रकार से वेरीकोज वेंस जैसी स्थिति हो जाती है जैसे वेरीकोज वेंस में पैर की नसें फूलती हैं उसी प्रकार बवासीर में गुदा मार्ग की नसें फूल जाती हैं अक्सर यह नसें फूल कर मस्से के रूप में बाहर भी आ जाती हैं। यह बीमारी गर्भवती महिलाओं को भी हो जाती है पेट में बच्चा होने के कारण बच्चे का दबाव गुदा मार्ग की नसों पर पड़ता है इससे भी वह फूल जाते हैं गर्भवती महिलाओं की  यह समस्या बच्चा हो जाने के बाद अपने आप खत्म हो जाती हैं किंतु आज कल की जीवनशैली के कारण अनेकों लोग बवासीर की चपेट में आए हुए हैं आधुनिक विज्ञान को नसों के फूल जाने का कारण ठीक से नहीं पता है किंतु यह देखा गया है कि जिन लोगों को कब्ज अधिक रहती है मल कड़ा निकलता है उनमें गुदा मार्ग की नसों पर अधिक दबाव पड़ने के कारण वे फूल जाती हैं।

इसका संबंध सीधे-सीधे पेट से ही जुड़ा हुआ है आधुनिक चिकित्सा पद्धति में इसका कोई स्थाई इलाज नहीं है।

वैसे इनसे कोई विशेष नुकसान नहीं होता लेकिन कभी-कभी दर्द होने लगता है अक्सर ये फूली हुई नसें जिन्हें आम भाषा में मस्से कहा जाता है गुदा मार्ग से बाहर आ जाते हैं और कभी-कभी यह क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और इनसे खून बहने लगता है आधुनिक चिकित्सा शास्त्र में इनको ऑपरेशन करके  नसों के फूले हुए हिस्सों को निकाल दिया जाता है।

हमारे गुदा मार्ग का क्षेत्र कई सारी रक्त वाहिकाओं का आखरी किनारा होता है। भगंदर में इन्हीं रक्त वाहिकाओं में पस पड़ जाता है सड़न हो जाती है जिस से गुदा मार्ग के आसपास छिद्र हो जाते हैं जिन से लगातार पस निकलता रहता है और दर्द भी होता है। भगंदर या फिस्टुला बीमारी उन लोगों में ज्यादा देखी गई हैं जिनको ज्यादा बैठकर काम करना होता है इसे ट्रक ड्राइवर सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल।

फिशर में गुदा मार्ग क्षतिग्रस्त हो जाता है और उससे खून निकलता रहता है वह गुदा मार्ग की मल को रोकने की क्षमता भी कम हो जाती है।

आधुनिक चिकित्सा शास्त्र में बीमारियों का इलाज गुदा मार्ग पर जाकर ही किया जाता है जिसका परिणाम यह होता है की ऑपरेशन हो जाने के बाद दोबारा समस्याएं फिर खड़ी हो जाती हैं। इस बीमारी की जड़ कहीं और है अगर बीमारी होने के कारण ही अगर खत्म कर दिए जाएं तो बीमारी अपने आप ही ठीक हो जाती है।
  इन बीमारियों की जड़ हमारे पेट में छुपी है अगर आपको अधिक समय तक कब्ज रहेगी अर्थात मल का निष्कासन ठीक प्रकार से नहीं होगा तब इन बीमारियो के होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाएंगी। पेट का ठीक से साफ होना  अधिक जरूरी है  यदि हम लोग दिन में एक बार मल त्याग को जाते हैं तब यह समझते हैं कि हमारा पेट  ठीक से साफ हो रहा है  यह जरूरी नहीं कि आप हर रोज मल त्याग को जाएं और आपका पेट ठीक से साफ हो रहा हो। हमारी आधुनिक शैली के भोजन का काफी हिस्सा आंतों में चिपका हुआ रह जाता है जिसमें हानिकारक बैक्टीरिया पैदा होते हैं और बीमारियां पैदा करते हैं।

पाचन अंगो को साफ रखने के लिए फाइबर युक्त भोजन ऐसे गाजर मूली पत्तेदार सब्जियां साग इत्यादि का सेवन अधिक से अधिक करें और संभव हो तो प्रतिदिन अमरूद सेब नाशपाती जैसे फल अवश्य खाएं इससे आपकी पाचन अंग साफ रहेंगे और आप इन बीमारियों से बचे रहेंगे।
  किंतु जब बीमारी हो जाती है तब खान पान में परिवर्तन भी काम नहीं कर पाता उस स्थति में आपको सहायता लेनी ही पढ़ती है।

न्यूट्री वर्ल्ड में हम लोग दो काम करते हैं आंतरिक अंगों की सफाई और उनको पोषण बस इतने से ही समस्या ठीक हो जाते हैं अब तक हजारों लोग पेट की इन बीमारियों से मुक्ति पा चुके हैं अगर आप भी इन समस्याओं से जूझ रहे हैं तो हमसे संकोच संपर्क कर सकते हैं।

Vishal Gupta 'Ajmera'

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