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देव दीपावली पर होगी आशीष की बारिश

देव दीपावली हर वर्ष हिंदू कैलेंडर के कार्तिक महीने के 15वें चंद्र दिवस यानि कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह नवंबर-दिसंबर में पड़ती है। दिवाली के 15 दिन बाद यह त्योहार सभी पवित्र शहरों और गंगा किनारे मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन देवता दिवाली मनाते हैं और आशीष की वर्षा करते हैं। इसीलिए इसे देव दीपावाली कहा जाता है। इस साल देव दीपावली 18/19 नवंबर को मनाई जा रही है। कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवता धरती पर आते हैं और दिवाली मनाते हैं।

देव दीपावाली शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि शुरू : गुरुवार, 18 नवंबर 2021 को दोपहर 12 बजे से

पूर्णिता तिथि समाप्त: शुक्रवार, 19 नवंबर 2021 को अपराहान 02: 26 बजे

प्रदोष काल मुहूर्त: 18 नवंबर सायं 05: 09 से 07: 47 बजे तक

पूजा अवधि: 2 घंटे 38 मिनट तक

कैसे करें देव दीपावली पर पूजा

धार्मिक मान्यता के अनुसार देव दीपावली के दिन सूर्योदय से पहले ही गंगा स्नान कर साफ वस्त्र पहने जाते हैं। कहते हैं कि गंगा स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। गंगा स्नान संभव न हो तो इस दिन पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। इस दिन भगवान गणेश, भोलेशंकर और भगवान विष्णु की विधिवत तरीके से पूजा की जाती है। शाम के समय फिर से भगवान शिव की पूजा की जाती है। भोलेशंकर को फूल, घी, नैवेद्य और बेलपत्र अर्पित करें।

क्यों मनाई जाती है देव दीपावाली

ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था। इसलिए देव दीपावली दानव पर भगवान शिव की जीत का उत्सव मनाने के लिए मनाई जाती है। यही कारण है कि इस दिन को त्रिपुरोत्सव या त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। देव दिवाली के अवसर पर भगवान शिव के भक्त गंगा नदी में पवित्र स्नान करते हैं। शाम के समय गंगा नदी के किनारे के सभी घाटों की सीढ़ियां,  गंगा, गंगा और इसकी अधिष्ठात्री देवी के सम्मान में मिट्टी के दीये जलाये जाते हैं।

देव दीपावली पर्व पर दीप जलाने की परंपरा वाराणसी में 1985 में पंचगंगा घाट पर शुरू हुई थी। देव दीपावली के दौरा  घरों के सामने के दरवाजों को तेल के दीयों और रंगीन डिजाइनों से सजाया जाता है। रात में पटाखे जलाए जाते हैं,। सजे-धजे देवताओं की शोभायात्रा निकाली जाती है और नदियों पर तेल के दीपक जलाए जाते हैं। शाम को गंगा आरती की जाती है।

राजेश कुमार शर्मा ज्योतिषाचार्य

श्री अवध विमल ज्योतिष संस्थान, बरेली

gajendra tripathi

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