धर्म-अध्यात्म डेस्क।
चैत्र नवरात्र 6 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं। नवचेतना के पावित्र पर्व के लिए तैयारियां जोरशोर से शुरू हो गई हैं। देवी मंदिरों में साफ-सफाई चल रही है तो पूजन सामग्री, नारियल, देवी मां के वस्त्रों की दुकानें बाजार में सज गई हैं। 6 अप्रैल से नवरात्र आरंभ होगा और 14 अप्रैल को श्रीराम नवमी के साथ इसका परायण होगा। 15 अप्रैल को दशमी होगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार बासंतिक नवरात्र में कई संयोग बन रहे हैं। यदि आप मां की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो प्रतिदिन मां दुर्गा को अलग-अलग नैवेध चढ़ाइये।
हर दिन का अलग नैवेद्य
– प्रथम नवरात्र के दिन माँ के चरणों में गाय का शुद्घ घी अर्पित करना चाहिए इससे आरोग्य की प्राप्ति तथा शरीर निरोगी रहता है।
– दूसरे नवरात्र में माँ को शक्कर का भोग लगाये, घर के सभी सदस्यों को दें। इससे आयु में वृद्घि होती है।
– तृतीय नवरात्र में दूध से बनी मिठाई का भोग लगाकर ब्राह्यणों को दान दें, इससे दु:खों से मुक्ति के साथ-साथ परम आनन्द की प्राप्ति होती है।
– चतुर्थ नवरात्र में माल-पुये का भोग लगाकर मन्दिर में ब्राह्यणों को दान देने से बुद्घि का विकास होता है एवं निर्णय शक्ति बढ़ती है।
– पंचम नवरात्र को केले का नैवेध चढ़ाने से शरीर स्वस्थ रहता है।
– छठे नवरात्र को शहद का भोग लगाने से आकर्षण शक्ति में वृद्घि होती है।
– सातवें नवरात्र को गुड़ का नैवेध चढ़ाने के बाद ब्राह्यणों को दान देने से आकस्मिक संकटो से रक्षा होती है।
– आठवें नवरात्र को नारियल का भोग लगाने से सन्तान सम्बन्धित परेशानियों से टूटकारा मिलता है।
– नवमी के दिन तिल का भोग लगाने से अनहोनी की आशंका खत्म होती है।