दूब या दुर्वा वर्ष भर पाई जाने वाली एक ऐसी घास है, जो जमीन पर पसरते हुए या फैलते हुए बढती है। हिन्दू धर्म में इस घास को बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। हिन्दू संस्कारों एवं कर्मकाण्डों में इसका उपयोग बहुत किया जाता है। इसके नए पौधे बीजों तथा भूमीगत तनों से पैदा होते हैं। वर्षा काल में दूब घास अधिक वृद्धि करती है तथा वर्ष में दो बार सितम्बर-अक्टूबर और फरवरी-मार्च में इसमें फूल आते है। दूब सम्पूर्ण भारत में पाई जाती है। यह घास औषधि के रूप में विशेष तौर पर प्रयोग की जाती है। आइए जानते हैं इसके लाभ और एक ऐसी कथा के बारे में भी जानेंगे जो गणेशजी से जुड़ी है।
1 – सुबह के समय घास पर चलने से नेत्र ज्योति बढती है और अनेक विकार शांत हो जाते है।
2- दूब घास शीतल और पित्त को शांत करने वाली है।
3- दूब घास के रस को हरा रक्त कहा जाता है, इसे पीने से एनीमिया ठीक हो जाता है।
4- नकसीर में इसका रस नाक में डालने से लाभ होता है।
5- इस घास के काढ़े से कुल्ला करने से मुँह के छाले मिट जाते है।
6- इस घास से प्राप्त रस दस्त में लाभकारी है।
7- यह रक्त स्त्राव, गर्भपात को रोकती है और गर्भाशय और गर्भ को शक्ति प्रदान करती है।
8- दूब को पीस कर दही में मिलाकर लेने से बवासीर में लाभ होता है।
9- इसके रस को तेल में पका कर लगाने से दाद, खुजली मिट जाती है।