बरेली। सनातन पंचांग के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्योत्सव (Shri Krishna Janmashtami 2020) अर्थात जन्माष्टमी प्रतिवर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मनायी जाती है। सामान्यता अनेक बार जन्माष्टमी तिथि को लेकर तारीखों में मतभेद भी रहता है। इस बार सर्वमान्य रूप से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 12 अगस्त को ही मनायी जाएगी।
ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा के अनुसार भाद्रपद कृष्ण अष्टमी का प्रारंभ यद्यपि 11 अगस्त को प्रातः 9ः06 से हो रहा है जो कि 12 अगस्त को दोपहर 11ः16 तक रहेगा। साथ ही रोहिणी नक्षत्र का प्रारंभ 13 अगस्त की प्रातः काल 3ः27 से हो रहा है और समापन सुबह में 5ः22 पर होगा। यहां स्पष्ट करना उचित रहेगा 11 तारीख की प्रातः काल में जब सूर्य उदय होंगे तब सप्तमी तिथि होगी। बुधवार 12 अगस्त को को सूर्योदय के समय अष्टमी तिथि रहेगी। अतः ऐसे में श्रीकृष्ण का प्रकटोत्सव (Shri Krishna Janmashtami 2020) 12 अगस्त को मनाना ही उचित रहेगा।
पूजन का शुभ मुहूर्त
12 तारीख में ही जन्माष्टमी पूजा के लिए रात्रि 12ः05 से 12ः48 तक 43 मिनट का शुभ समय मिल रहा है। इस अवधि में भगवान की पूजा करना अत्यंत शुभकारी सिद्ध होगा। सामान्यता जन्माष्टमी का व्रत सभी आयु वर्ग के लोगों को करना ही चाहिए परंतु जिनको स्वास्थ्य संबंधी समस्या है उनको उपवास नहीं करना चाहिए। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत करने से बालकृष्ण रूपी संतान की प्राप्ति होती है।
1993 के बाद बन रहा अद्भुत संयोग
इस बार बुधा अष्टमी राहुकाल दोपहर 12ः27 से 2ः06 तक रहेगा। इसके उपरांत कृतिका नक्षत्र रहेगा। इसके ठीक उपरांत रोहिणी नक्षत्र का आगमन होगा जो कि 13 अगस्त तक रहने वाला है। शास्त्र पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी पर पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बरकरार रहेगा। इसी क्रम में मथुरा और द्वारिका धाम में भी श्री कृष्ण जन्मउत्सव 12 अगस्त को ही मनाया जाएगा, जबकि वाराणसी उज्जैन और जगन्नाथ पुरी में 11 तारीख को जन्माष्टमी उत्सव मनेगा।
पूजा की विधि
जन्माष्टमी के दिन आराध्य भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और भक्ति के लिए उपवास करना चाहिए। इस निमित्त अपने घर में विशेष सजावट करें। संभव हो तो सुंदर पालने में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित करें और रात्रि 12ः00 बजे भगवान का पूजन के पश्चात प्रसाद का वितरण करें। साथ में विद्वानों माता-पिता और गुरुजनों का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें। विशेष ध्यान रखने योग्य बात यह है इस दिन परिवार का कोई भी सदस्य नशीले पदार्थ का सेवन बिल्कुल ना करें।
श्रीकृष्ण जन्म भूमि सेवा संस्थान के अनुसार भी 12 अगस्त को ही जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इसी क्रम में बांके बिहारी मंदिर वृंदावन एवं द्वारकाधीश में भी प्रकट उत्सव मनाया जाएगा।
भगवान का ध्यान
श्री कृष्ण बाल रूप में पीपल के पत्ते पर लेटे हैं। उनके शरीर में अनंत ब्रह्मांड हैं। वह अंगूठा चूस रहे हैं। साथ ही श्रीकृष्ण का अर्थ सहित उनका बार-बार चिंतन करना उत्तम रहता है। कृष का अर्थ है आकर्षित करना, ण का अर्थ है परमानंद और परम मोक्ष। इस प्रकार कृष्ण का अर्थ है जोह परमानंद और पूर्ण मोक्ष की ओर आकर्षित करता है वही कृष्ण है। इसलिए हम निवेदन करें हे प्रभु आप मेरी पूजा और जप को ग्रहण कीजिए और हम पर अपना आशीष बनाए रखिये।