#Health: Health benefits of consuming Lasoda (Gondi)#Health: Health benefits of consuming Lasoda (Gondi)

@bareillylive:लसोड़ा को हिन्दी में गोंदी, गोंदे और निसोरा भी कहते हैं । यह मधुर, कसैला, शीतल, कृमिनाशक, विषनाशक, बालों के लिए हितकारी, अग्निवर्द्धक, वातशामक, पाचक, कफ निकालनेवाला, अतिसार व जलन दूर करनेवाला, दर्द और सब प्रकार के विष को नष्ट करनेवाला होता है ।इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, फाइबर, आयरन, फॉस्फोरस व कैल्शियम मौजूद होते हैं । यह हड्डियों को मजबूत बनाता है और शरीर को कई अन्य बीमारियों से राहत देता है । कच्चे लसोड़े का साग और अचार भी बनाया जाता है ।

लसोड़े के औषधीय उपचार

अतिसार : लसोड़े की छाल को पानी में घिसकर पिलाने से अतिसार ठीक होता है ।

हैजा (कालरा) : लसोडे़ की छाल को चने की छाल में पीसकर हैजा के रोगी को पिलाने से हैजा रोग में लाभ होता है ।

दांतों का दर्द : लसोड़े की छाल का काढ़ा बनाकर उस काढ़े से कुल्ला करने से दांतों का दर्द दूर होता है ।

शक्तिवर्द्धक : लसोड़े के फलों को सुखाकर उनका चूर्ण बना लें । इस चूर्ण को चीनी की चाशनी में मिलाकर लड्डू बना लें । इसको खाने से शरीर मोटा होता है और कमर मजबूत जाती है ।आप लसोड़े का फल कच्चा या सूखा भी खा सकते हैं। इसमें कई तरह के पोषक तत्व होते हैं जैसे प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन आदि। इससे शारीरिक रूप से मजबूती मिलती है,इसका साग भी लोग खाते हैं। शरीर में आयरन की कमी दूर होगी।

शोथ (सूजन) : लसौड़े की छाल को पीसकर उसका लेप आंखों पर लगाने से आंखों के शीतला के दर्द में आराम मिलता है ।

पुनरावर्तक ज्वर : लसोड़ा की छाल का काढ़ा बनाकर 20 से लेकर 40 मिलीलीटर को सुबह और शाम सेवन करने से लाभ होता है ।

प्रदर रोग : लसोड़ा के कोमल पत्तों को पीसकर रस निकालकर पीने से प्रदर रोग और प्रमेह दोनों मिट जाते हैं ।

दाद : लसोड़ा के बीजों की मज्जा को पीसकर दाद पर लगाने से दाद मिट जाता है ।

फोड़े-फुंसियां : लसोड़े के पत्तों की पोटली बनाकर फुंसियों पर बांधने से फुंसिया जल्दी ही ठीक हो जाती हैं ।

गले के रोग : लसोड़े की छाल के काढ़े से कुल्ला करने से गले के सारे रोग ठीक हो जाते हैं ।

मासिक धर्म की समस्या करे दूर : यदि आपको प्रत्येक महीने पीरियड्स के दौरान काफी दर्द, पेट में मरोड़, कमर दर्द, मूड स्विंग आदि होता है, तो लसोड़ा खाएं। छाल का काढ़ा पिएं। दर्द से आराम मिलेगा।

नोट: इसका स्वभाव शीतल होता है । लसोड़ा का अधिक मात्रा में उपयोग मेदा (आमाशय) और जिगर के लिए हानिकारक हो सकता है ।

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