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होलिकोत्सव 2023 : होलिका दहन 7 मार्च मंगलवार को, जानिए मुहूर्त और करने वाले उपाय

एस्ट्रो डेस्क, @BareillyLive. इस वर्ष होलिका दहन 2023 मंगलवार 7 मार्च को किया जाएगा। इसके अगले दिवस रंगोत्सव मनाया जाएगा। हालांकि रंगोत्सव का शुभारम्भ रंगएकादशी को ही हो जाता है, जोकि होलिका दहन के अगले दिन विश्राम लेता है। बालाजी ज्योतिष संस्थान के पंडित राजीव शर्मा के अनुसार इस वर्ष विक्रम संवत् 2079 में पूर्णिमा 6 मार्च 2023 को सांय 4ः17 बज़े प्रारम्भ होकर 7 मार्च 2023 को सांय 6ः10 बज़े तक रहेगी। 6 मार्च 2023 को पूर्णिमा पूर्ण प्रदोष व्यपिनी है जबकि 7 मार्च को भी पूर्णिमा भारत के कुछ स्थानों में प्रदोष व्यपिनी रहेगी।

पंडित राजीव शर्मा बताते हैं कि 6 मार्च 2023 को सांय 4ः17 बज़े से अगले दिन प्रातः 5ः13 बज़े तक भद्रा रहेगी। अतः इस दिन पूरा का पूरा प्रदोष भद्रा से दूषित है। 7 मार्च 2023 को पूर्णिमा साढ़े तीन प्रहर से भी अधिक है और प्रतिपदा यहाँ पूर्णिमा के मान से कम होने पर ’ह््रास गामिनी है। देशाचार के अनुसार जहाँ सूर्यास्त सांय 6ः10 बज़े से पहले होग़ा। वहाँ होलिका दहन 7 मार्च 2023 को ही भद्रा रहित प्रदोष काल में होग़ा।

वह बताते हैं कि धर्मसिंधु एवं देशाचार, कुलाचार के अनुसार स्नान-दान-व्रतदि की पूर्वफागुनी नक्षत्रयुता फाल्गुनी पूर्णिमा को होलिका दहन ग्राह्म है। इस दिन हूताशिनी फाल्गुनी पूर्णिमा है, हुताशीनी जयंती एवं चैतन्य महाप्रभु का जन्मोत्सव भी मनाया जाएगा। इसी दिन होलाष्टक का भी समापन हो जाएगा।

1.’होलिका पूजन मुहूर्तः- 7 मार्च मंगलवार को माध्यन्ह काल में (पूर्वाह्न 11ः03 बज़े से अपराह्न 1ः57 बज़े तक .
’2.होलिका दहन मुहूर्तः-सांय 6ः28 बजे से रात्रि 8ः55 बजे तक (प्रदोष काल में )’।

विशेषः- वायु प्रदूषण एवं संक्रमण रोकने के लिए कुछ मात्रा कपूर एवं गुग्गल की प्रज्ज्वलित होली में अवश्य डालें।

ऐसे करें होलिका पूजन (होलिका पूजन विधि)

सामग्रीः- एक लोटा जल, माला, रोली, चावल, गन्ध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, सबूत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, जौ/गेहूं की बालियाँ आदि।

होलिका दहन करने से पहले होली की पूजा की जाती है। इस पूजा को करते समय पूजा करने वाले को होलिका के पास जाकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुहँ करके बैठकर होलिका का पूजन करना चाहिए। बड़गुल्ले की बनी चार मालाएं लें, इनमें से एक पितरों के नाम की, दूसरी हनुमान जी, तीसरी शीतला माता के नाम की तथा चौथी माला अपने घर परिवार की। इनको होलिका को समर्पित कर कच्चे सूत की तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटें फिर लोटे का शुद्ध जल व अन्य पूजन की सभी वस्तुएं होली को समर्पित करें। गंध पुष्प का प्रयोग करते हुए पंचोपचार विधि से होलिका का पूजन करें। पूजन के बाद जल से अर्ध्य दें तथा सूर्यास्त के बाद प्रदोषकाल में होलिका में अग्नि प्रज्ज्वलित करें।

होली की अग्नि में सेंककर लाये गए धान्यों को खाएं, इसके खाने से निरोगी रहने की मान्यता है। ऐसा माना जाता है कि होली की बची हुई अग्नि तथा राख को अगले दिन प्रातः काल घर में लाने से घर को अशुभ शक्तियों से बचाने में सहयोग मिलता है। इस राख को शरीर पर लेपन करना भी कल्याणकारी रहता है।

होली की राख से लाभ

किसी ग्रह की पीड़ा होने पर होलिका दहन के समय देशी घी में भिगोकर दो लोंग के जोड़े,एक बताशा और एक पान के पत्ते पर रखकर अर्पित करना चाहिए।अगले दिन होली की राख लाकर अपने शरीर पर तेल की तरह लगाकर एक घंटे बाद हल्के गर्म पानी से स्नान करना चाहिए।ग्रह पीड़ा से मुक्ति मिलेगी।

Vishal Gupta 'Ajmera'

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