अगर आप भी स्वस्थ जीवन जीना चाहते हैं तो ज्यादा से ज्यादा मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग करें। बहुत ही कम लोग इस बात को मानेगें लेकिन ये बात तो सच है कि यदि शरीर को रोगमुक्त और लंबी उम्र तक जीना है, तो मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने की आदत डालें।
कई हजार साल से भारत में मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते थे। इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं । मिट्टी से बने सभी प्रकार के बर्तनों में मिट्टी के तवे,मिट्टी का ही फ्रिज और पानी की बोतल आकर्षित कर रही हैं जो वास्तविक स्वाद देते है और इससे शरीर भी स्वस्थ्य रहता है।
मिट्टी से बने तवे में किसी प्रकार के रसायन नहीं होते है जिससे लोगों की सेहत भी बेहतर होती है। बोले, पूर्व में मिट्टी के तवे का ही प्रयोग होता रहा है लेकिन अब नए फैशन ने इन्हें आऊट कर दिया था, किन्तु एक बार फिर लोगों की रूचि इनकी तरफ लौटी है जिससे काफी मात्रा में इन उत्पादों की बिक्री होती है।
मिट्टी का ही फ्रिज भी इनके पास है, जो बिना बिजली के चलता है और केवल पानी के भरने से ही पूरे फ्रिज को कूल करता है। इसमें पानी के साथ ही सब्जियों को रखा जा सकता है जो काफी देर तक ताजी बनी रहती है। इसी तरह मिट्टी की बोतल है जिसका पानी रात में रखकर सुबह पीने से कई तरह की बीमारियों को बढ़ने से रोकने का काम करती है। जिसका पानी फ्रिज के पानी की तरह ही स्वादिष्ट तथा सेहत के लिए लाभदायक होता हैं। आप अपनी सुबह की चाय का मज़ा कुल्हड़ में ले सकते हैं। इसके अलावा आप पानी को ठंडा करने के लिए मटकी,मिट्टी की पानी बोतल,का इस्तेमाल कर सकते हैं । सस्ते और आसानी से मिल जाते हैं मिट्टी के बर्तन।आइये जानते हैं क्यों मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाना चाहिए।
स्वास्थ्य लाभ
इंसान के शरीर को रोज 18 प्रकार के सूक्षम पोषक तत्व मिलने चाहिए। जो केवल मिट्टी से ही आते हैं । एलुमिनियम के प्रेशर कूकर से खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं । . पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल 7 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं । कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल 3 प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं । केवल मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे 100 प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं । और यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका अलग से स्वाद भी आता है । लेकिन प्रेशर कुकर एल्यूमीनियम का होता है जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है । जिससे टी.बी, डायबिटीज, अस्थमा और पेरेलिसिस हो सकता है । प्रेशर कूकर के भाप से भोजन पकता नहीं है बल्कि उबलता है । आयुर्वेद के अुनसार खाना पकाते समय उसे हवा का स्पर्श और सूर्य का प्रकाश मिलना जरूरी है।
ऊष्मा प्रतिरोधी
आम धारणा के विपरीत मिट्टी के इन बर्तनों में ऊष्मा को अवशोषित करने की क्षमता तांबे और लोहे के बर्तनों के मुकाबले ज्यादा नहीं होती इसलिए ज्यादा गरम होने पर इनके टूटने का खतरा रहता है । लेकिन धीमी आंच पर आसानी से इनमें खाना बनाया जा सकता है । आप इनमें रोज़ाना दाल, चावल और सब्ज़ी पका सकता हैं भोजन को पकाते समय सूर्य का प्रकाश और हवा का स्पर्श होना आवश्यक है । भोजन को अधिक तापमान में पकाने से उसके शूक्ष्म पोषकतत्त्व नष्ट हो जाते हैं । भोजन को प्रेशर कुकर में पकाने से भोजन पकता नहीं है, बल्कि भाप और दबाव के कारण टूट जाता है, जिसे हम पका हुआ भोजन कहते है । इनकी सबसे अच्छी बात ये है कि इनको आप माइक्रोवेव में ही इस्तेमाल कर सकते हैं ।
अगर आपको खाने में सौंधी-सौंधी खुशबू पसंद है, तो मिट्टी के बर्तन में पका खाना आपको एक अलग स्वाद का अनुभव कराएगा चाहिए । मिट्टी के बर्तन में जब खाना पकाया जाता है, तो आंच में पकने से उसमें मिट्टी की खुशबु और मसालों का ज़ायका मिल जाएगा, जो खाने के स्वाद को दो गुना कर देगा।