विशाल गुप्ता, BareillyLive. हरद्वार के चण्डीघाट स्थित पौराणिक सिद्धपीठ श्रीदक्षिण काली मन्दिर पर सावन के पूरे माह महादेव का महारुद्राभिषेक किया जाता है। महामण्डलेश्वर कैलाशानन्द ब्रह्मचारी महाराज प्रतिदिन 10 से 12 घण्टे एक आसन पर बैठकर विद्वानों के साथ भगवान कैलाशेश्वर महादेव का अभिषेक पूजन करते हैं।
इस माह ये बीती 6 जुलाई श्रावण मास के प्रथम सोमवार से प्रारम्भ हो चुका है। महामण्डलेश्वर कैलाशानान्द जी बताते हैं कि श्रावण मास में भगवान भोलेनाथ एक माह तक हरिद्वार में रहकर सृष्टि का संचालन करते हैं। इस मास भर चलने वाले महारुद्राभिषेक में नित्यप्रति गंगा जल, गौदुग्ध, गौघृत, शहद, दही, इत्र, खस, भांग, चंदन, भस्म, गुलाब जल, नारियल जल और विभिन्न प्रकार की दुर्लभ वस्तुओं को महादेव को अर्पण किया जाता है।
पूजन के बाद दुर्लभ पुष्पों से बाबा भोलेनाथ का श्रृंगार किया जाता है। इसके उपरान्त महादेव को सर्वाधिक प्रिय “शिव ताण्डव स्त्रोत“ सुनाने के पश्चात आरती की जाती है। इस मास पर्यन्त स्वामी कैलाशानन्द रोजाना 23 घण्टे का मौन व्रत रखते हैं। वह केवल एक घंटा ही बोलते हैं।
इस विशेष पूजन के माह में इस अनुष्ठान में सफेद नाग- नागिन, काला नाग-नागिन, बिच्छू, और एक अजगर के रूप में बाबा कामराज जी स्वयं प्रत्यक्ष रूप से विचरण करते हैं और भक्तों को अनुभूति एवं दर्शन देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
इस दुर्लभ अनुष्ठान में देश के कोने-कोने से आने वाले हजारों भक्त सम्मिलित होकर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। स्वामी कैलाशानन्द का यह अनुष्ठान 28वर्षों से अनवरत जारी है।
भगवान शिव को श्रावण मास एवं सोमवार का दिवस अतिप्रिय है। इसलिए मान्यता है कि श्रावण के प्रत्येक सोमवार को शिवभक्तों पर कृपा करने के लिए भगवान अपने गण रूप में भक्तों को दर्शन की अनुभूति कराते हैं।