एस्ट्रोडेस्क @BareillyLive. चैत्र नवरात्र (2023) इस वर्ष 22 मार्च यानी बुधवार से प्रारंभ हो रहे हैं। पंचांग के अनुसार साल में प्रमुख तौर पर चार नवरात्र मनाये जाते हैं। इनमें से चैत्र और शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व माना गया है। आइए! जानते हैं अवध विमल ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा से नवरात्र के विषय में व्यापक जानकारी-
नवरात्र के दौरान माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि, इस दौरान माँ की सच्ची श्रद्धा और नियम के साथ पूजा पाठ करने से भक्तों को मनचाहे फल की प्राप्ति होती है और उनकी समस्त मनोकामनाएं भी पूरी होती है। नवरात्र में अखंड ज्योति जलाने का विशेष महत्व बताया गया है। हालांकि इस वर्ष चैत्र नवरात्र पंचक में प्रारंभ हो रही है। इसका क्या अर्थ होता है और इस दौरान क्या कुछ सावधानियां बरतना अनिवार्य होता है? इसके बारे में जानने के लिए विशेष अंत तक अवश्य पढ़ें।
चैत्र नवरात्र – क्या, कब, कैसे
वस्तुतः नवरात्र का सामान्य भाषा में अर्थ होता है नौ रातें। भारत में कई जगहों पर चैत्र नवरात्र को गुड़ी पड़वा के नाम से भी जाना जाता है। चैत्र नवरात्र की प्रतिपदा से ही विक्रम सम्वत् का शुभारम्भ होता है।
चैत्र नवरात्र के 9 दिनों तक माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों यथा शैलपुत्री देवी, ब्रह्मचारिणी देवी, चंद्रघंटा देवी, कुष्मांडा देवी, स्कंदमाता देवी, कात्यायनी देवी, कालरात्रि देवी, महागौरी देवी, और सिद्धिदात्री देवी की पूजा का विधान बताया गया है। नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है और उसके बाद 9 दिनों तक उस कलश का पूजन किया जाता है। इस वर्ष नवरात्र का पहला दिन 22 मार्च, 2023 बुधवार को पड़ेगा।
दूसरा दिन– 23 मार्च, 2023 गुरुवार माँ ब्रह्मचारिणी पूजा
तीसरा दिन- 24 मार्च, 2023 शुक्रवार माँ चंद्रघंटा पूजा
चौथा दिन– 25 मार्च, 2023 शनिवार माँ कुष्मांडा पूजा
पांचवा दिन- 26 मार्च, 2023 रविवार स्कंदमाता पूजा
छठा दिन– 27 मार्च, 2023 सोमवार माँ कात्यायनी पूजा
सातवाँ दिन– 28 मार्च, 2023 मंगलवार माँ कालरात्रि पूजा
आठवाँ दिन– 29 मार्च, 2023 बुधवार माँ महागौरी पूजा
नौवाँ दिन– 30 मार्च, 2023 गुरुवार माँ सिद्धिदात्री पूजा और रामनवमी
दसवां दिन– 31 मार्च, 2023 शुक्रवार दशमी और नवरात्र पारण
घट स्थापना का मुहूर्त :
घट स्थापना 22 मार्च, 2023 बुधवार को की जाएगी। विशेष मुहूर्त 06ः22ः32 से 07ः31ः02 बजे तक (अवधि :1 घंटे 8 मिनट)
चैत्र नवरात्रि पंचक में शुरू
इस वर्ष चैत्र नवरात्रि पंचक में प्रारंभ हो रही है। दरअसल पंचक 19 मार्च से 23 मार्च तक रहने वाला है। इसी दौरान नवरात्रि यानी कि 22 मार्च को नवरात्रि प्रारंभ हो रही है। ऐसे में नवरात्रि के 2 दिन पंचक में रहने वाले हैं। पंचक चूंकि रविवार से प्रारंभ हो रहा है इसलिए इसे रोग पंचक कहा जाता है।
रोग पंचक शारीरिक पीड़ा देने वाला माना गया है। इसके अलावा इस दौरान रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में पंचक के 5 दिनों में शारीरिक कष्ट की प्रबल आशंका रहने वाली है। जानकारी के लिए बता दें कि यूं तो पंचक में शुभ कार्य को करने की मनाही होती है लेकिन इस दौरान पूजा पाठ की जा सकती है।
पंचक से जुड़े नियम-सावधानियाँ
पंचक काल में मृत शरीर का अंतिम संस्कार करना निषेध बताया गया है।
इस दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए।
मकान में पेंटिंग, प्लास्टर नहीं करवाने चाहिए।
घास और लकड़ी को इकट्ठा नहीं करना चाहिए।
मुमकिन हो तो कुर्सी, टेबल आदि भी खरीदने से बचें।
बिस्तर से जुड़ा कोई भी काम कराना भी इस समय निषेध माना गया है।
कब और कैसे लगता है पंचक?
दरअसल जब भी चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र, और शतभिषा नक्षत्र पर गोचर करता है तब पंचक लगता है।
चैत्र नवरात्रि शुभ संयोग
इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 3 शुभ योगों में मनाई जाएगी। कौन-कौन से हैं ये शुभ योग आइए विस्तार से जानते हैं। दरअसल इस बार नवरात्रि की शुरुआत शुक्ल योग में हो रही है। इसके तुरंत बाद ही ब्रह्मा योग प्रारंभ हो जाएगा और ब्रह्मा योग के बाद इंद्र योग लग जाएगा।
माना जाता है कि इन शुभ योगों में यदि माँ देवी की पूजा अर्चना की जाए तो इससे बेहद शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। समय की बात करें तो शुक्ल योग सुबह 9 बजकर 18 मिनट तक रहने वाला है। इसके बाद 9 बजकर 19 मिनट से अगले दिन की सुबह 6ः00 बजे तक ब्रह्मा योग रहेगा। ब्रह्मा योग के ठीक बाद इंद्र योग प्रारंभ हो जाएगा। कुल मिलाकर देखा जाए तो ये योग शुभ नवरात्रि के महत्व को कई गुना बढ़ाने वाले हैं।
इसके साथ ही इस वर्ष नवरात्रि पर 23 मार्च, 27 मार्च और 30 मार्च यानि नवरात्रि के दूसरे, छठे और महा-नवमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहने वाला है। 27 मार्च और 30 मार्च को अमृत सिद्धि योग भी रहेगा। 24 मार्च, 26 मार्च और 29 मार्च को यानि तीसरे, पांचवे, और महा-अष्टमी तिथि पर रवि योग रहेगा और अंत में 30 मार्च को गुरु पुष्य योग रहने वाला है।
चैत्र नवरात्रि 2023 माँ की सवारी
चैत्र नवरात्रि 2023 में माँ दुर्गा नौका पर यानी नाव पर सवार होकर आ रही हैं। दरअसल कहा जाता है कि, जब नवरात्रि बुधवार से प्रारंभ होती है तब माँ दुर्गा नौका पर सवार होकर आती हैं। बात करें नौका पर सवार होकर आने के शुभ अशुभ असर के बारे में तो, ऐसे में व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
यानी कि कहना गलत नहीं होगा कि चैत्र नवरात्रि 2023 कई मायनों में बेहद शुभ रहने वाली है ऐसे में नवरात्रि को अपने लिए और ज्यादा शुभ और लाभकारी बनाने के लिए सही विधि विधान से माँ दुर्गा का पूजा करें और घर में सुख समृद्धि के लिए कुछ उपाय अवश्य करें।
चैत्र नवरात्रि और श्रीराम का क्या है संबंध?
दरअसल कहा जाता है कि, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन ही भगवान श्रीराम धरती पर अवतरित हुए थे। यह बात तो सभी जानते हैं कि भगवान श्री राम भगवान विष्णु का सातवां अवतार हैं। ऐसे में इस दिन राम नवमी का पर्व बेहद ही हर्ष और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
इसके अलावा यह चैत्र नवरात्रि का अंतिम दिन भी होता है। ऐसे में इस दिन का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि रामनवमी के दिन जो कोई भी भक्त प्रभु श्री राम और माँ दुर्गा की पूजा करते हैं ऐसे भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है, जीवन में आ रहे कष्ट दूर होते हैं और धन, धान्य और सुख समृद्धि का आशीर्वाद व्यक्ति को मिलता है।