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पितृ पक्ष विशेष 2019 : जानिए श्राद्ध के दिन क्या करें और क्या नहीं

श्राद्ध। पितृ पक्ष प्रारंभ हो गया है। हर साल श्राद्ध भाद्रपद शुक्लपक्ष पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक चलते हैं। इसी दौरान पितरों को पिंडदान कराया जाता है। कई लोग अपने घरों में ही पूजा-पाठ और खाना बनाकर पितरों को भोजन कराते हैं तो कुछ विष्णु का नगर यानी गया में जाकर अपने पूर्वजों का पिंडदान करते हैं। बता दें, हिंदू धर्म में पितृ ऋृण से मुक्ति के लिए श्राद्ध मनाया जाता है। क्योंकि हिंदू शास्त्रों में पिता के ऋृण को सबसे बड़ा और अहम माना गया है। पितृ ऋृण के अलावा हिन्दू धर्म में देव ऋृण और ऋषि ऋृण भी होते हैं, लेकिन पितृ ऋृण ही सबसे बड़ा ऋण है। इस ऋृण को चुकाने में कोई गलती ना हो इसीलिए यहां श्राद्ध के दिन क्या करें और क्या नहीं, के बारे में बताया जा रहा है।

  • श्राद्ध कर्म में आवश्यक है पवित्रता एवं सावधानी
    पितृ पक्ष के पंद्रह दिनों में लोग अपने पितरों की संतुष्टि के लिए संयमपूर्वक विधि-विधान से पितृ यज्ञ कर रहे हैं। लेकिन इसमें कई महत्वपूर्ण बातें होती है। जिनका पालन करना आवश्यक होता है। आइए देखते हैं श्राद्धकर्ता के लिए जरूरी सावधानियां –

श्राद्ध में पवित्रता का महत्व :

‘त्रीणि श्राद्धे पवित्राणि दौहित्रः कुतपस्तिलाः।
वर्ज्याणि प्राह राजेन्द्र क्रोधोऽध्वगमनं त्वरा।’

  • अर्थात्‌ दौहित्र पुत्री का पुत्र, कुतप मध्या- का समय और तिल ये तीन श्राद्ध में अत्यंत पवित्र हैं और क्रोध, अध्वगमन श्राद्ध करके एक स्थान से अन्यत्र दूसरे स्थान में जाना एवं श्राद्ध करने में शीघ्रता ये तीन वर्जित हैं।

श्राद्ध के दिन क्या करें और क्या नहीं

  1. श्राद्ध हमेशा दोपहर के बाद ही करें जब सूर्य की छाया आगे नहीं पीछे हो। कभी भी ना सुबह और ना ही अंधेरे में श्राद्ध करें।
  2. श्राद्ध पूरे 16 दिन के होते हैं। इस दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान दें, ऐसा करना शुभ माना जाता है।
  3. ब्राह्मणों को लोहे के आसन पर बिठाकर पूजा ना करें और ना ही उन्हें केले के पत्ते पर भोजन कराएं।
  4. पिंडदान करते वक्त जनेऊ हमेशा दाएं कंधे पर रखें।
  5. पिंडदान करते वक्त तुलसी जरूर रखें।
  6. कभी भी स्टील के पात्र से पिंडदान ना करें, बल्कि कांसे या तांबे या फिर चांदी की पत्तल इस्तेमाल करें।
  7. पिंडदान हमेशा दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके ही करें।
  8. पिता का श्राद्ध बेटा ही करे या फिर बहू करे। पोते या पोतियों से पिंडदान ना कराएं।
  9. श्राद्ध करने वाला व्यक्ति श्राद्ध के 16 दिनों में मन को शांत रखें।
  10. श्राद्ध हमेशा अपने घर या फिर सार्वजनिक भूमि पर ही करे। किसी और के घर पर श्राद्ध ना करें।
vandna

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