बरेली लाइव न्यूज नेटवर्क, चम्पावत। उत्तारखंड के पर्वतीय क्षेत्र में सप्तधान्य भिगोने के साथ ही लोकपर्व सांतू-आंठू का आगाज हो गया है। शुक्रवार को बिरुड़ पंचमी मनाई गयी। तांबे के एक साफ बर्तन में सप्तधान्य को मंदिर के पास भिगोकर रखा गया। भिगोये जाने वाले अनाज में मक्का, गेहूं, गहत, ग्रूस (गुरुस), चना, मटर और कलों शामिल हैं।
परंपरागत रूप से घर की महिलाओं ने तांबे के बर्तन को साफ़ कर उसमें धारे अथवा नौले का शुद्ध पानी भरा और बर्तन के चारों ओर पांच छोटी-छोटी आकृतियां गोबर से बनाईं। इन आकृतियों में पवित्र दुर्वा (दूब) को लगाया। बर्तन के भीतर सप्तधान्य डालकर उसे मंदिर में उस स्थान पर रखा जहां पर लाल मिट्टी या गेरू से लिपाई की गई है। कुछ स्थानों में सप्तधान्य को एक पोटली में रखकर बर्तन के भीतर भिगोकर रखने की भी परंपरा है।
अब सात दिन तक इन बिरुड़ों से देवी गौरा की और आठवें दिन भगवान महेश की पूजा की जाएगी। पूजा में प्रयोग किये गये इन बिरुड़ों को आशीष के रूप में सभी को बांटा जाता है और बचे हुए बिरुड़ों को पकाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
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