Astha

Sharadiya Navratra 2020 : इन मन्त्रों से करें सप्तम् स्वरुप माँ कालरात्रि की आराधना

Sharadiya Navratra 2020 : नवरात्रि के सातवें दिन आदि शक्ति माँ कालरात्रि की पूजाकी जाती है। देवी कालरात्रि कृष्ण वर्ण की हैं। वे गधे की सवारी करती हैं। देवी की चार भुजाएँ हैं, दोनों दाहिने हाथ क्रमशः अभय और वर मुद्रा में हैं, जबकि बाएँ दोनों हाथ में क्रमशः तलवार और खडग हैं।

शास्त्रों के अनुसार शुंभ और निशुंभ नामक दो दानव थे जिन्होंने देवलोक में तबाही मचा रखी थी। इस युद्ध में देवताओं के राजा इंद्रदेव की हार हो गई और देवलोक पर दानवों का राज हो गया। तब सभी देव अपने लोक को वापस पाने के लिए माँ पार्वती के पास गए। जिस समय देवताओं ने देवी को अपनी व्यथा सुनाई उस समय देवी अपने घर में स्नान कर रहीं थीं, इसलिए उन्होंने उनकी मदद के लिए चण्डी को भेजा।

जब देवी चण्डी दानवों से युद्ध के लिए गईं तो दानवों ने उनसे लड़ने के लिए चण्ड-मुण्ड को भेजा। तब देवी ने माँ कालरात्रि को उत्पन्न किया। तब देवी ने उनका वध किया जिसके कारण उनका नाम चामुण्डा पड़ा। इसके बाद उनसे लड़ने के लिए रक्तबीज नामक राक्षस आया। वह अपने शरीर को विशालकाय बनाने में सक्षम था और उसके रक्त (खून) के गिरने से भी एक नया दानव (रक्तबीज) पैदा हो रहा था। तब देवी ने उसे मारकर उसका रक्त पीने का विचार किया, ताकि न उसका खून ज़मीन पर गिरे और न ही कोई दूसरा पैदा हो।

मंत्र

ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

उपासना मंत्र :

करालवन्दना घोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।
कालरात्रिम् करालिंका दिव्याम् विद्युतमाला विभूषिताम्॥
दिव्यम् लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम्।
अभयम् वरदाम् चैव दक्षिणोध्वाघः पार्णिकाम् मम्॥
महामेघ प्रभाम् श्यामाम् तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।
घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥
सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।
एवम् सचियन्तयेत् कालरात्रिम् सर्वकाम् समृध्दिदाम्॥

स्त्रोत

हीं कालरात्रि श्रीं कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥
कामबीजजपान्दा कामबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥
क्लीं ह्रीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥

कवच मंत्र

ऊँ क्लीं मे हृदयम् पातु पादौ श्रीकालरात्रि।
ललाटे सततम् पातु तुष्टग्रह निवारिणी॥
रसनाम् पातु कौमारी, भैरवी चक्षुषोर्भम।
कटौ पृष्ठे महेशानी, कर्णोशङ्करभामिनी॥
वर्जितानी तु स्थानाभि यानि च कवचेन हि।
तानि सर्वाणि मे देवीसततंपातु स्तम्भिनी॥

ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से शनि के बुरे प्रभाव कम होते हैं।

vandna

Recent Posts

जय नारायण में शिविर में स्काउट्स ने सीखा तम्बू निर्माण एवं प्राथमिक चिकित्सा

बरेली@BareillyLive. शहर के जयनारायण सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में जिला प्रशिक्षण आयुक्त पुष्पकांत शर्मा…

4 days ago

कमिश्नर और आईजी ने किया ककोड़ा मेला स्थल का निरीक्षण, दिये सुरक्षा एवं स्वच्छता पर विशेष निर्देश

हाई फ्लड लाइट और वॉच टावर की संख्या को बढ़ाने को कहा, मेला क्षेत्र में…

4 days ago

स्काउट एवं गाइड की जिला स्तरीय बीएसजी ज्ञान प्रतियोगिता सम्पन्न, विजेता राज्य स्तर पर प्रतिभाग करेंगे

बरेली@BareillyLive. उत्तर प्रदेश भारत स्काउट एवं गाइड के निर्देशन एवं जिला संस्था बरेली के तत्वावधान…

4 days ago

14 नवम्बर संकल्प : 1962 में कब्जायी भारत भूमि को चीन से वापस लेने की शपथ को पूरा करे सरकारः शैलेन्द्र

बरेली @BareillyLive. चीन द्वारा कब्जा की गई भारत की भूमि को मुक्त करने की मांग…

5 days ago

चौबारी मेले के कारण बरेली में 14 से रूट डायवर्जन, इन रास्तों से निकलें, भारी वाहनों की नो एंट्री

बरेली @BareillyLive. रामगंगा नदी के चौबारी मेले में कार्तिक पूर्णिमा स्नान के कारण बरेली में…

5 days ago

भाजपा का लक्ष्य पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय को साकार करना : पवन शर्मा

Bareillylive : संगठन पर्व के चलते शहर के मीरगंज विधानसभा के मंडल मीरगंज व मंडल…

5 days ago