हर वर्ष होली के आठवें दिन यानी चैत्र मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है। इस बार यह व्रत 4 अप्रैल को पड़ रहा है। शीतला अष्टमी को बसोड़ा भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि माता शीतला इस दिन व्रत-पूजन करने से प्रसन्न होती हैं और बच्चों की कई बीमारियों से रक्षा करती हैं। जिस दिन होली यानी फाल्गुन पूर्णिमा होती है, उसी दिन यह व्रत होता है। उदाहरण के लिए इस बार होली रविवार, 28 मार्च को थी और शीतला अष्टमी रविवार, 4 अप्रैल को है।
अष्टमी तिथि से एक दिन पहले यानी सप्तमी तिथि को ही शीतला अष्टमी की तैयारी शुरू हो जाती है और प्रसाद का भोजन (दही, रबड़ी, चावल, हलवा, पूरी, गुलगुले) बनाया जाता है जिसे बसौड़ा कहा जाता है। अगले दिन तड़के उठकर सूर्योदय से पहले स्नान कर व्रत का संकल्प लिया जाता है। व्रती शीतलाष्टक का पाठ करते हैं। इसके बाद सप्तमी को बनाया गया बासी खाना मंदिर में शीतला माता को चढ़ाते हैं। इसके बाद होली की पूजा की जगह पूजन किया जाता है और घर आकर बुजुर्ग लोगों से आशीर्वाद लिया जाता है।
शीतला अष्टमी की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व
रविवार, 4 अप्रैल 2021
चैत्र मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि
अष्टमी तिथि आरंभ- 4 अप्रैल 2021 को सुबह 04 बजकर 12 मिनट से
अष्टमी तिथि समाप्त- 05 अप्रैल 2021 को प्रातः 02 बजकर 59 मिनट
पूजा मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 08 मिनट से शाम को 06 बजकर 41 मिनट तक
पूजा की कुल अवधि- 12 घंटे 33 मिनट
शीतला अष्टमी का महत्व
मान्यता है कि शीतला अष्टमी से ही ग्रीष्मकाल की शुरुआत हो जाती है। इस दिन से ही मौसम तेजी से गर्म होने लगता है। शीतला माता के स्वरूप को शीतलता प्रदान करने वाला कहा गया है। मान्यता है कि माता शीतला का व्रत करने से चेचक, खसरा और नेत्र विकार जैसी समस्याएं ठीक हो जाती हैं। यह व्रत रोगों से मुक्ति दिलाकर आरोग्यता प्रदान करता है।