एस्ट्रोडेस्क, BareillyLive. सूर्य ग्रहण 2022ः वर्ष 2022 का प्रथम ग्रहण जो एक सूर्य ग्रहण होगा, वो शनिवार के दिन 30 अप्रैल को लगेगा। ये ग्रहण एक आंशिक सूर्यग्रहण होगा, जिसकी समय अवधि मध्यरात्रि 12 बजकर 15 मिनट से शुरू होगी और सुबह 4 बजकर 7 मिनट पर ये समाप्त होगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार ये ग्रहण वैशाख मास की अमावस्या तिथि को घटित होगा और इस दौरान शनिवार का दिन होने के कारण ग्रहण पर शनिचरी अमावस्या के भी अनोखे योग का निर्माण होगा।
शास्त्रों में शनिचरी अमावस्या यानी शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या के दिन शनि देव की पूजा का मुख्य विधान और महत्व बताया गया है। ज्योतिषियों की मानें तो साल के पहले इस सूर्यग्रहण का धार्मिक महत्व के साथ-साथ ज्योतिष महत्व भी अधिक रहेगा।
वैदिक ज्योतिष में कर्म फल दाता शनि और ग्रहों के राजा सूर्य देव के बीच पिता-पुत्र का संबंध होता है। बावजूद इसके ये दोनों ही ग्रह एक-दूसरे से शत्रुता का भाव रखते हैं। ऐसे में शनिवार के दिन सूर्य का राहु द्वारा दूषित होना, केवल मनुष्यों के लिए ही नहीं बल्कि देश-दुनिया के लिए भी काफी परिवर्तन लेकर आएगा। इसके अलावा ये सूर्य ग्रहण सूर्य की उच्च राशि मेष राशि में लगेगा, जिसके स्वामी लाल ग्रह मंगल होते हैं।
ज्योतिषीय दृष्टि से भारत में ये ग्रहण देर रात लगेगा, इसलिए ये सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देते हुए केवल दक्षिण अमेरिका का दक्षिण-पश्चिमी भाग, प्रशांत महासागर, अटलांटिक और अंटार्कटिका में दृश्य होगा । जिससे भारत में इसका सूतक मान्य नहीं होगा। परंतु इसका प्रभाव भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया पर ज़रूर ही पड़ेगा।
ज्योतिषी राजेश कुमार शर्मा के अनुसार इस ग्रहण के दौरान सौरमंडल के कई ग्रहों की स्थिति देश-दुनिया को प्रभावित करेगी। ऐसे में आइये विस्तार से जानें आखिर 30 अप्रैल के इस पहले सूर्य ग्रहण से भारत के साथ-साथ दुनिया पर क्या होगा असर?
भारतीय ज्योतिष में आंशिक ग्रहण का यूँ तो ज्यादा महत्व नहीं बताया जाता है। परंतु ग्रहण के समय आकाश में होने वाले ग्रहों के परिवर्तन से जो अनोखी परिस्थितियां बनती है, उसका प्रभाव निश्चित रूप से दुनियाभर में देखने को मिलता है। इसी क्रम में 30 अप्रैल को सूर्यग्रहण के दौरान भी कई महत्वपूर्ण ग्रहों का अलग-अलग प्रभाव दिखाई देगा।
ग्रहण से ठीक एक दिन पहले यानी 29 अप्रैल को जहां शनिदेव अपनी स्वराशि में लगभग 30 वर्षों के बाद गोचर करेंगे। शनि का कुंभ राशि में गोचर होने से, वहां पहले से उपस्थित मंगल के साथ मिलन मंगल-शनि की अशुभ युति का निर्माण करेगा।
इसके अलावा ग्रहण के दौरान गुरु की मीन राशि में गुरु और शुक्र की युति भी देखने को मिलेगी। मीन में शुक्र और गुरु की युति के फलस्वरूप कई देशों में ग्रह-युद्ध जैसी परिस्थितियां उत्पन्न होने की आशंका रहेगी। कई ज्योतिषी तो रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के पीछे भी इस युति को देखते हैं और सूर्यग्रहण के दौरान इस युद्ध में कोई बड़ी घटना या जान-माल का नुकसान हो सकता है।
दूसरी ओर इस ग्रहण के प्रभाव से देश के कई बड़े शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली अदि में भी किसी कारणवश कोई बड़ी उथल-पुथल व हिंसक घटनाएं घटित होने की आशंका है। कई राज्य किसी प्रकार के संक्रमण से भी पीड़ित नज़र आएंगे।
शनिवारी अमावस के दिन ग्रहण पड़ने पर मेष राशि में सूर्य और राहु की युति होगी, जिसपर शनि अपनी नीच दृष्टि डालेंगे। इसके परिणामस्वरूप भारत में कई जगहों पर अनाज की कमी, अत्यधिक महंगाई, किसी संक्रमण से जान-माल का नुकसान, उपद्रव, आदि जैसे कई घटनाएं भी घटित हो सकती हैं।
30 अप्रैल के इस ग्रहण की कुंडली पर दृष्टि डालें तो, इस दौरान गुरु और शुक्र दोनों समान अंशों पर स्थिति होंगे। ऐसे में गुरु और शुक्र की ये स्थिति ग्रहण के दौरान प्रबल होगी, जिससे कई देशों के प्रसिद्ध लोगों को कोई बड़ा नुकसान संभव है। खासतौर से ग्रहण के प्रभाव से अगले तीन महीनों के बीच भारत के पहाड़ी इलाकों में, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, अमेरिका, आदि में कोई बड़ी घटना घटित हो सकती है।
चूंकि ग्रहण के समय सूर्य और राहु मेष राशि में होंगे। इस दौरान कुंभ राशि में गोचर कर रहे शनि की दृष्टि मेष राशि पर पड़ने से देश के पूर्वोत्तर राज्यों में सूर्य का तापमान बढ़ेगा।
साथ ही मेष में राहु-सूर्य की युति के चलते देशभर में सोना, गेहूं, मसूर दाल, राल और गोंद, जौं, जड़ी-बूटी तथा फल आदि की कीमतों में काफी तेज़ी देखने तो मिलेगी। साथ ही ग्रहण के दौरान सूर्य का भरणी नक्षत्र में होना भी, भारत में दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कीमते बढ़ाने का कार्य करेगा। इसके चलते जनता में सरकार के प्रति आक्रोश और असंतुष्टि देखी जा सकती है।
–ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा
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