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वैदिक घड़ी : जानिए क्या है वैदिक घड़ी और क्या हैं इसमें लिखे शब्दों के अर्थ

Lifestyle Desk. वैदिक-घड़ी : देखिये, जानिए और समझिए कि भारत की सनातन संस्कृति और सभ्यता के अनमोल ज्ञान मुक्तकों को। इतिहास साक्षी है कि इसी ज्ञान की पाण्डुलिपियों एवं ग्रन्थों को मलेच्छ आक्रान्ताओं ने नष्ट कर दिया था। आज आवश्यकता इस ज्ञान को आत्मसात करके इसे सहेजने की है जिससे हमारी भारतीय संस्कृति और सभ्यता पुनः प्रतिष्ठित हो सके। कृपया पूरा पढ़ें-

◆ 12ः00 बजने के स्थान पर आदित्याः लिखा हुआ है, जिसका अर्थ है कि सूर्य 12 प्रकार के होते हैं-
अंशुमान, अर्यमन, इंद्र, त्वष्टा, धातु, पर्जन्य, पूषा, भग, मित्र, वरुण, विवस्वान और विष्णु।
◆ 1ः00 बजने के स्थान पर ब्रह्म लिखा हुआ है, इसका अर्थ यह है कि ब्रह्म एक ही प्रकार का होता है।
एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति
◆ 2ः00 बजने की स्थान पर अश्विनौ लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य यह है कि अश्विनी कुमार दो हैं।
◆ 3ः00 बजने के स्थान पर त्रिगुणाः लिखा हुआ है, जिसका तात्पर्य यह है कि गुण तीन प्रकार के हैं।
सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण।
◆ 4ः00 बजने के स्थान पर चतुर्वेदाः लिखा हुआ है, जिसका तात्पर्य यह है कि वेद चार प्रकार के होते हैं।
ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद।
◆ 5ः00 बजने के स्थान पर पंचप्राणाः लिखा हुआ है, जिसका तात्पर्य है कि प्राण पांच प्रकार के होते हैं। अपान, समान, प्राण, उदान और व्यान।
◆ 6ः00 बजने के स्थान पर षर्ड्साः लिखा हुआ है, इसका तात्पर्य है कि रस 6 प्रकार के होते हैं।
मधुर, अमल, लवण, कटु, तिक्त और कसाय।
◆ 7ः00 बजे के स्थान पर सप्तर्षयः लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि सप्त ऋषि 7 हुए हैं।
कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ।
◆ 8ः00 बजने के स्थान पर अष्ट सिद्धियः लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि सिद्धियां आठ प्रकार की होती है।
अणिमा, महिमा, लघिमा, गरिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, इशित्व और वशित्व।
◆ 9ः00 बजने के स्थान पर नव द्रव्यणि अभियान लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि 9 प्रकार की निधियां होती हैं।
पद्म, महापद्म, नील, शंख, मुकुंद, नंद, मकर, कच्छप, खर्व।
◆ 10ः00 बजने के स्थान पर दशदिशः लिखा हुआ है, इसका तात्पर्य है कि दिशाएं 10 होती है।
पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ईशान, नैऋत्य, वायव्य, आग्नेय, आकाश, पाताल।
◆ 11ः00 बजने के स्थान पर रुद्राः लिखा हुआ है, इसका तात्पर्य है कि रुद्र 11 प्रकार के हुए हैं।
कपाली, पिंगल, भीम, विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, अहिर्बुध्न्य,शम्भु,चण्ड और भव ।

Vishal Gupta 'Ajmera'

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