जगन्नाथ मंदिर महाप्रसाद,जगन्नाथ मंदिर, महाप्रसाद,माता लक्ष्मी,ओडिशा के पुरी जगन्नाथ मंदिर ,Jagannath temple is called Mahaprasad,Jagannath temple Mahaprasad,

जगन्नाथ मंदिर:ओडिशा के पुरी जगन्नाथ मंदिर की रसोई दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यहां रसोई में बनने वाले माहाप्रसाद का भी अलग महत्व है। इस मंदिर में महाप्रसाद को ग्रहण करने वाले हो जाते हैं मालामाल, विदेशों से लेने आते हैं लोगजगन्नाथ मंदिर का प्रसाद बनाने के लिए 500 रसोइए और उनके साथ 300 सहयोगी लोग काम करते हैं। मान्यताओं की बात करें तो पुजारियों द्वारा बताया गया है की यहां रसोई में जो भोग बनता है वो माता लक्ष्मी की देखरेख में होती है। यह रसोई विश्व जगत की सबसे बड़ी रसोई के रूप में जानी जाती है।

यहां बनने वाला भोग हिंदू धर्म पुस्तकों के निर्देशआनुसार ही बनाया जाता है व पुरी तरह शुद्ध शाकाहारी होता है।महाप्रसाद ग्रहण करने के लिए आपको आनंदबाजार जाना पड़ता है। यहां पहुंचने के लिए आपको विश्वनाथ मंदिर के पांच सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है, उसके बाद मिलता है महाप्रसाद।

भोग मिट्टी के बर्तनों में तैयार किया जाता है। यहां रसोई के पास ही दो कुएं हैं। जिन्हें गंगा-यमुना कहा जाता है। केवल इनसे निकले पानी से ही भोग का निर्माण किया जाता है। इस रसोई में 56 भोगों का निर्माण किया जाता है। रसोई में पकाने के लिए भोजन की मात्रा पूरे वर्ष के लिए रहती है। प्रसाद की एक भी मात्रा कभी भी यह व्यर्थ नहीं जाएगी, चाहे कुछ हजार लोगों से 20 लाख लोगों को खिला सकते हैं।

इसलिए जगन्नाथ मंदिर के प्रसाद को कहते हैं महाप्रसाद

श्री जगन्नाथ जी के प्रसाद को महाप्रसाद माना जाता है जबकि अन्य तीर्थों के प्रसाद को सामान्यतः प्रसाद ही कहा जाता है। श्री जगन्नाथ जी के प्रसाद को महाप्रसाद का स्वरूप महाप्रभु बल्लभाचार्य जी के द्वारा मिला। कहते हैं कि महाप्रभु बल्लभाचार्य की निष्ठा की परीक्षा लेने के लिए उनके एकादशी व्रत के दिन पुरी पहुँचने पर मन्दिर में ही किसी ने प्रसाद दे दिया। महाप्रभु ने प्रसाद हाथ में लेकर स्तवन करते हुए दिन के बाद रात्रि भी बिता दी। अगले दिन द्वादशी को स्तवन की समाप्ति पर उस प्रसाद को ग्रहण किया और उस प्रसाद को महाप्रसाद का गौरव प्राप्त हुआ। नारियल, लाई, गजामूंग और मालपुआ का प्रसाद विशेष रूप से इस दिन मिलता है।

By vandna

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