पटना : बिहार की राजधानी पटना में वर्ष 2013 में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार भाजपा नेता नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली के दौरान ऐतिहासिक गांधी मैदान और पटना जंक्शन पर हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने सोमवार को सजा सुनाई। चार दोषियों को फांसी, दो को आजीवन कारावास और दो अभियुक्तों का 10 वर्ष के कारावास एवं एक अभियुक्त को सात वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गयी है।
विशेष न्यायाधीश गुरविंदर सिंह मल्होत्रा की अदालत में इस मामले में दोषी करार दिये गये नौ अभियुक्तों को पटना के बेऊर जेल से कड़ी सुरक्षा के बीच लाकर सुबह पेश किया गया। एनआईए के विशेष लोक अभियोजक ललन प्रसाद सिन्हा ने दोषियों के लिए कड़ी से कड़ी सजा की मांग की जबकि बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता सैयद इमरान गनी ने मामले की परस्थितियों और अभियुक्तों की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति का हवाला देते हुए सजा में नरमी बरतने और कम से कम सजा दिये जाने का अनुरोध किया। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद दोषियों को सजा सुनाई।
फांसी : इम्तियाज अंसारी, हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी, नोमान अंसारी, मुजीबुल्लाह अंसारी।
उम्रकैद : उमर सिद्दकी, अजहरुद्दीन को ।
10 साल की सजा : अहमद हुसैन, फिरोज असलम को
सात वर्ष की सजा : इफ्तेखर आलम
गांधी मैदान और पटना जंक्शन पर सीरियल बम धमाके 27 अक्टूबर 2013 को हुए थे। इस घटना में छह लोगों की मौत हो गई थी और 89 लोग घायल हुए थे। आठ साल बाद इस मामले में फैसला आया है। बुधवार को विशेष अदालत ने मुख्य छह आरोपित को देशद्रोह, आपराधिक साजिश, हत्या, हत्या का प्रयास, यूएपीए एक्ट की धारा में दोषी करार दिया था। अन्य तीन भी दोषी पाए गए। एक को कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
बम धमाकों की साजिश रांची और रायपुर में रची गई थी। इसका रिहर्सल भी किया था। बोधगया में सात जुलाई 2013 को ब्लास्ट के बाद ही पटना के गांधी मैदान में ब्लास्ट की योजना इंडियन मुजाहिद्दीन के जिहादियों ने बनाई थी। बोधगया धमाके के मास्टरमाइंड हैदर अली और मोजिबुल्लाह थे। बोधगया बम धमाके में हैदर ने बौद्धभिक्षु बनकर बम प्लांट किये थे। इसके बाद गांधी मैदान में मोदी की रैली में धमाकों को अंजाम देने के लिए आतंकियों ने विस्फोटक पदार्थ का जुगाड़ कर रांची में जमा किया।
घटना को अंजाम देने के लिए आठ आतंकी सुबह में ही बस के जरिए रांची से पटना पहुंचे थे। अपनी योजना के अनुसार अलग-अलग होकर काम करने लगे। इस बीच पटना जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर दस के शौचालय में मानव बम बनते समय एक विस्फोट हो गया। इसमें एक आतंकी की मौत हो गई थी। पटना जंक्शन पर ब्लास्ट करते समय पकड़े गए मो. इम्तियाज से पूछताछ में रांची से तार जुड़े मिले। इसके बाद एनआईए ने रांची के हिंदपीढ़ी और सीठियो में छापेमारी की थी। इसके अलावा रायपुर में भी आरोपितों ने प्रशिक्षण लिया था। रायपुर से ही उमर सिद्दकी और अजहरूद्दीन की गिरफ्तारी हुई थी। यही पर नरेंद्र मोदी को निशाना बनाकर विस्फोट करने की योजना बनी थी। रांची में इसे अंजाम देने की कार्ययोजना बनी।
गांधी मैदान सीरियल बम ब्लास्ट और बोधगया ब्लास्ट मामले का मुख्य साजिकर्ता आतंकी मो. हैदर को रांची मॉड्यूल का इंचार्ज बनाया गया था। उसे ही जवाबदेही दी गयी थी कि वह कुछ और युवकों को जोड़कर मॉड्यूल तैयार करे। हैदर इस सिलसिले में तेजी से काम कर रहा था। 24 मई 2014 को हैदर, मजबुल्ला रांची से और नुमान और तौकीर पलामू से पकड़े गए थे। रिमांड पर लिए गए हैदर और मजबुल्ला से जब पूछताछ की गयी तो इन सबों ने बड़े खुलासे किए। इसके बाद ही एनआईए की टीम दोनों को लेकर रांची पहुंची। उसी की निशानदेही पर बम बरामद हुए और कर्बला इलाके में पड़े छापा में एक व्यक्ति के यहां से सर्किट मिला था।
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