शरद सक्सेना, आंवला (बरेली)। सरकार द्वारा दिव्यांगजन की सुविधा के लिए अनेक योजनाएं संचालित हैं। इन्हीं में एक योजना का लाभ लेकर ट्राइसाइकिल लेने वाला एक दिव्याग अपनी नयी ट्राइसाइकिल को कबाड़ी के यहां बेचने पहुंच गया। समाजसेवियों और नेताओं ने जब उससे इसे बेचने का कारण पूछा तो वह संतोष जनक उत्तर नहीं दे सका।

बता दें कि दिव्यांगों के कल्याण के लिए तमाम समाजसेवी संगठन और सरकारें प्रयासरत रहती हैं। इन्हीं प्रयासों के तहत समय-समय पर शिविर लगाकर दिव्यांगजन को विभिन्न उपकरण व ट्राईसाईकिल व बैटरी चालित रिक्शे वितरित करती हैं।

आवंला में भी कुछ माह पहले एक शिविर में सिंचाईमंत्री धर्मपाल सिंह और पालिका चेयरमैन संजीव सक्सेना ने ट्राईसाईकिलें पात्रों को बांटी थीं। इसके अलावा कुछ दिनों पूर्व ही क्षेत्रीय सांसद धर्मेन्द्र कश्यप द्वारा अपने निज आवास कांधरपुर में दिव्यांगों को बैटरी चालित रिक्शे बांटे थे। 

आंवला में आज एक कबाड़ी की दुकान पर एक दिव्यांग शिविर में मिली ट्राईसाईकिल जो कि बिल्कुल नई थी, को बेचने पहुंच गया। उधर से गुजर रहे हिन्दूजागरण मंच के महामंत्री दुर्गेश सक्सेना ने उसे देख लिया। उन्होंने नई ट्राईसाईकिल बेचने का कारण पूछा तो वह बगले झांकने लगा। उनकी सूचना पर इतने में जागर संस्था के समाजसेवी डा. संजय सक्सेना भी वहां पहुंच गये। ये लोग पूछताछ के बाद उक्त साईकिल व दिव्यांग को अपने साथ पालिका ले आये। वहां पर साईकिल जमा कर ली।

संजय सक्सेना ने कहा कि हम समाजसेवा कार्य करते हैं और गरीब व असहाय लोगों को इस प्रकार का लाभ पहुचाने का प्रयास करते हैं। ऐसे लेगों ने स्थिति खराब कर रखी है।

वहीं आस-पास के लोगों ने बताया कि उक्त दिव्यांग व उसका बड़ा भाई जोकि स्वयं दिव्यांग है, लगभग प्रत्येक शिविर में पहुंचकर ट्राईसाईकिलें, अन्य उपकरण ले आते हैं। बाद में उनको कबाड़े में बहुत ही कम दाम पर बेच देते हैं। इन लोगों ने यह धंधा बना रखा है। बिक्र से मिली रकम से शराब का नशा करते हैं।

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