स्वर्ण मौद्रीकरण योजना के मसौदे में बैंकों के लिए भी प्रोत्साहन की व्यवस्था की गई है। दिशानिर्देश प्रारूप के मुताबिक कोई व्यक्ति या संस्थान न्यूनतम 30 ग्राम सोना जमा करा सकेगा। इस पर मिलने वाले ब्याज पर आयकर या पूंजीगत लाभ कर नहीं लगेगा।
भारत में लोगों के पास 20,000 टन सोने का भंडार है जिसका न तो व्यापार होता है न ही इसका मौद्रीकरण होता है। मौजूदा बाजार मूल्य पर यह 60 लाख करोड़ रुपये का बैठता है। इसके अलावा मंदिरों व धार्मिक संस्थानों के पास भी सोने का बड़ा भंडार है। हालांकि, योजना के मसौदे में उल्लेख नहीं किया गया है कि इसके दायरे में किस प्रकार के संस्थान आएंगे।
भारत विश्व में सोने की सबसे अधिक खपत करने वाला देश है और यहां हर साल 800-1,000 टन सोने का आयात होता है। मसौदे के मुताबिक किसी व्यक्ति या संस्थान के पास यदि अतिरिक्त सोना है तो वह बीआईएस प्रमाणीकृत हॉसमार्किंग केंद्रों से इसका मूल्यांकन कराकर कम से कम एक साल की अवधि के लिए बैंकों में ‘स्वर्ण बचत खाता’ खोल सकता है और ब्याज के तौर पर नकदी या सोना हासिल कर सकते हैं।
वित्त मंत्रालय ने इस स्वर्ण मौद्रीकरण योजना पर संबद्ध पक्षों से दो जून तक टिप्पणियां देने को कहा है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस साल बजट में स्वर्ण मौद्रीकरण योजना की घोषणा की थी जिसे शुरुआत में चुनिंदा शहरों में पेश किए जाने का प्रस्ताव है। नई योजना के तहत जमाकर्ता अपने धातु खाते में ब्याज पा सकेंगे। वहीं ज्वेलर्स अपने धातु खाते में ऋण ले सकेंगे।
इस योजना का लक्ष्य परिवारों और संस्थानों के पास बेकार पड़े सोने को इकट्ठा करना है, ताकि रत्न एवं जेवरात क्षेत्र को आगे बढ़ाया जा सके और आने वाले समय में घरेलू मांग पूरी करने के लिए आयात पर निर्भरता कम की जा सके। प्रस्तावित योजना के तहत बैंक ग्राहकों को स्वर्ण बचत खाता खुलने के 30-60 दिन के बाद ब्याज देंगे।
दिशानिर्देश के मसौदे में कहा गया, ब्याज दर के बारे में फैसला बैंकों पर छोड़ देने का प्रस्ताव है। सोना जमा करने वाले को अदा किए जाने वाले मूलधन और ब्याज का हिसाब किताब सोने में ही किया जाएगा। मसौदे में कहा गया कि यदि कोई ग्राहक 100 ग्राम सोना जमा करता है और उसे एक प्रतिशत ब्याज मिलता है तो परिपक्वता पर उसके खाते में 101 ग्राम सोना होगा।
परिपक्वता के मामले में दिशानिर्देश में कहा गया है कि ग्राहक इसे नकद राशि में अथवा सोने के रूप में ले सकता है। यह सोना जमा करते समय ही बताना होगा। योजना के तहत जमा अवधि कम से कम एक साल होगी और उसके बाद इसी गुणक में रखी जायेगी।
बैंकों को प्रोत्साहन देने के लिये इसमें प्रस्ताव है कि बैंक जमा किये गये सोने को सीआरआर अथवा एसएलआर के बदले रिजर्व बैंक के पास रख सकते हें। हालांकि, यह मुद्दा अभी जांच परख में है। दिशानिर्देश के मुताबिक बैंक विदेशी मुद्रा हासिल करने के लिये सोने की बिक्री भी कर सकते हैं। इस प्रकार हासिल विदेशी मुद्रा निर्यातकों और आयातकों को कर्ज दी जा सकती है। बैंक जमा किये गये सोने को सिक्कों में भी ढाल सकते हैं ताकि उसका उपयोग ग्राहकों और आभूषण निर्माताओं को बेचने में किया जा सकता है।
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