नयी दिल्ली। रिलायंस जियो का आईडिया मुकेश अम्बानी के पास कहां से आया? यह सवाल लोगों के जेहन बार-बार आता है। इसका जवाब स्वयं मुकेश अम्बानी ने दिया। बताया कि इस परियोजना का आइडिया सबसे पहले 2011 में बेटी ईशा के मन में आया। बता दें कि रिलायन्स जियो ने बीते दो साल से कम समय में भारत को दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल ब्रॉडबैंड डेटा का उपभोग करने वाला देश बना दिया है।
रिलांयस इंडस्ट्रीज को कल रात यहां’ फाइनेंशियल टाइम्स आर्सेलरमित्तल बोल्डनेसइन बिजनेस पुरस्कार समारोह में ’परिवर्तन लाने वाले उद्यम के रूप में सम्मनित किया गया। अंबानी ने पुरस्कार ग्रहण करने के बाद अपने भाषण में रिलायंस जियो के पीछे की कहानी लोगों को बतायी।
गौरतलब है कि 2016 में रिलायंस ने जियो को लॉन्च किया। इसी के साथ देश के मोबाइल फोन बाजार में उथलपुथल मच गयी। रिलायंस ने इस परियोजना पर 31 अरब डॉलर खर्च किये थे। रिलायन्स ने देश में पहले से मोबाइल सेवाएं दे रही कंपनियों को फोन कॉल और इंटरनेट की दरें कम करने पर मजबूर कर दिया। थोड़े ही समय में जियो देश की चौथी सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी बन गयी।
अंबानी ने कहा कि युवा प्रतिभा की अधिकता के साथ भारत 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए तैयार है। उन्होंने याद करते हुए कहा, ’जियो का विचार सबसे पहले मेरी बेटी ईशा के मन में 2011 में आया। उस समय वह अमेरिका के येल में पढ़ाई कर रही थी और छुट्टियां बिताने के लिए घर आई थी। वह कुछ कोर्स वर्क भेजना चाहती थी और उसने कहा कि डैड, हमारे घर का इंटरनेट अटक जाता है।’
अंबानी ने कहा कि ईशा के जुड़वा भाई आकाश ने उस समय कहा कि पुरानी दुनिया में दूरसंचार का मतलब केवल फोन काल की सुविधा था। लोगों ने फोन पर बात करने की सुविधा देकर खूब पैसा कमाया लेकिन आधुनिक दुनिया में सबकुछ डिजीटल है। उन्होंने कहा, ’ईशा और आकाश भारत की युवा पीढ़ी से ताल्लुक रखते हैं, जो कि कहीं ज्यादा सृजनात्मक, कहीं ज्यादा महत्वाकांक्षी और दुनिया में खुद को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए कहीं ज्यादा बेताब हैं। इन युवा भारतियों ने मुझे आश्वस्त किया कि इंटरनेट भावी पीढ़ी को परिभाषित करने वाली तकनीकी है और भारत इसे त्याग नहीं सकता।’
हमने सितंबर 2016 में जियो को पेश किया और आज जियो भारत में बदलाव का सबसे बड़ा कारक बन गया है। इसने 2019 में भारत को 4जी का अगुवा बना दिया और आज यह 5जी के लिए तैयार है। अंबानी ने कहा कि जियो भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा स्टार्ट-अप बनाने की दिशा में बढ़ रहा है।
उन्होंने अपने दिवंगत पिता धीरूभाई अंबानी को भारतीय कारोबार जगत के इतिहास के वास्तविक बदलाव का अगुवा बताते हुए कहा कि उन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज( आरआईएल) की स्थापना 1996 में महज 1000 रुपये से की थी।
बता दें कि इससे पहले यह पुरस्कार डीपमाइंड टेक्नोलॉजीज (2016), फानुक (2015), एचबीओ (2014), अलीबाबा (2013) मोनड्रैगन कॉर्पोरेशन (2012), अमेजन (2011), एपल (2010) को मिला था।
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