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हिंदी पत्रकारिता दिवस:196 साल पहले शुरू हुआ था हिंदी का पहला अखबार,जानें रोचक तथ्य

30 मई 1826 को कलकत्ता (Kolkata) में भारत का पहला हिंदी अखबार (First Hindi News Paper निकला था। तब से इस दिन को हिंदी पत्रकारिता दिवस (Hindi Journalism Day) के रूप में मनाया जाता है।

हिंदी पत्रकारिता दिवस:हिंदी पत्रकारिता में 30 मई के दिन का विशेष महत्व है। इसी दिन आधुनिक भारत में हिंदी पत्रकारिता की नींव पड़ी थी। 30 मई 1826 को उदन्त मार्तण्ड नाम से पहला हिंदी भाषा का अखबार का प्रकाशित हुआ था। तब से 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अखबार के पहले प्रकाशक और संपादक पंडित जुगल किशोर शुक्ल थे। आज हिंदी पत्रकारिता के 196 साल पूरे हो गए हैं।

बंगाल में उस समय अंग्रेजी, फारसी और बांग्ला में दूसरे अखबार प्रकाशित हो रहे थे लेकिन हिंदी में किसी अखबार का प्रकाशन नहीं हो रहा था। ऐसे समय में पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने कलकत्ता से उदन्त मार्तण्ड का प्रकाशन शुरू किया. साप्ताहिक अखबार के तौर पर इसका प्रकाशन शुरू हुआ।

ऐसे हुई हिंदी के पहले अखबार की शुरुआत
पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने कलकत्ता से 30 मई, 1826 को “उदन्त मार्तण्ड नाम का एक साप्ताहिक समाचार पत्र के तौर पर शुरू किया था। पंडित जुगल किशोर शुक्ल मूल रूप से कानपुर के रहने वाले थे और वे कई भाषाओं के ज्ञाता थे। वे हिंदी के साथ-साथ संस्कृत, अंग्रेजी, फारसी और बांग्ला भाषा के भी जानकार थे। वे कानपुर की सदर दीवानी अदालत में प्रोसीडिंग रीडर के रूप में काम करते थे और वे वकील बन गए. इसके बाद उन्होंने उदन्त मार्तण्ड के प्रयास शुरू किए और अंततः उन्हें 19 फरवरी 1826 को गवर्नर जनरल से अखबार शुरू करने की अनुमति मिल गई।
शुरु से ही हिंदी पत्रकारिता को बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ा। समय के साथ इनका केवल स्वरूप बदला। लेकिन तमाम चुनौतियों के साथ ही हिंदी पत्रकारिता आज ने वैश्विक स्तर पर अपने उपस्थिति दर्ज कराई है।

आर्थिक तंगी का करना पड़ा सामना
उदन्त मार्तण्ड अखबार को 500 कॉपियों के साथ शुरू किया गया। बंगाल में हिंदी भाषा के जानकार कम होने के कारण इसे पर्याप्त पाठक नहीं मिल पाए। बंगाल से हिंदी भाषी राज्यों में अखबार को डाक से भेजने का खर्चा ज्यादा आता था। इसलिए पंडित जुगल किशोर शुक्ल से सरकार से डाक की दरों में कुछ छूट मांगी लेकिन तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने उनकी बात को नहीं माना।

79 अंक प्रकाशित होने के बाद करना पड़ा बंद
इससे अखबार चलाने में आर्थिक कठनाई आने लगी । हर मंगलवार को यह अखबार पुस्तक के प्रारूप में प्रकाशित होता था और 79 अंक प्रकाशित होने के बाद आखिरकार 4 दिसंबर 1827 को उदन्त मार्तण्ड बंद हो गया।

vandna

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