supreme  court of indiaलखनऊ। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमके गुप्ता की खंडपीठ ने छात्राओं के स्कूल में पुरुष प्रधानाचार्य अध्यापक एवं हेडमास्टर की नियुक्त पर रोक लगाने का फैसला सनाया है। कोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को यह अधिकार दिया है कि वह इस बारे में नियम बनाकर प्रतिबंध लगा सके।

हाईकोर्ट ने डीपी गल्र्स इंटर कॉलेज के वरिष्ठतम प्रवक्ता मनमोहन मिश्रा की विशेष अपील को खारिज करते हुए यह निर्णय दिया। याची ने एकल जज के फैसले के खिलाफ यह अपील दाखिल की थी, जिसे हाईकोर्ट की बेंच ने खारिज कर दिया।

कोर्ट ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने नियमावली बनाकर लड़कियों के विद्यालयों में पुरुष अध्यापकों को प्रधानाचार्य बनने से प्रतिबंधित करने का निर्णय किया है। यह लड़कियों की भलाई तथा उनके हित में किया गया निर्णय है। बोर्ड की नियमावली 1998 के नियम नौ में कोई असंवैधानिकता नहीं है।

मामले के अनुसार अपीलार्थी शिक्षक मनमोहन मिश्रा ने माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड द्वारा निकाले गए विज्ञापन के आधार पर अपने ही कालेज में प्रधानाचार्य पद के लिए आवेदन किया था। कालेज मैनेजमेंट कमेटी ने याची का नाम रिकार्ड के साथ वरिष्ठतम प्रवक्ता बताते हुए बोर्ड को भेज दिया था। बोर्ड ने याची का आवेदन यह कहकर खारिज कर दिया था कि पुरुष अध्यापक को लड़कियों के विद्यालय में प्रधानाचार्य पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता।

By vandna

error: Content is protected !!