नि अमावस्या को स्नान-दान, तर्पणादि के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

सुकर्मा योग में करें स्नान-दान

शनि अमावस्या पर गंगा-स्नान का बहुत महत्व है। इस दिन पितरों का तर्पण करने से वे तृप्त होकर लौकिक सुख देते हैं और धन-धान्य से परिपूर्ण करते हैं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शनिदेव का जन्म अमावस्या को हुआ था। शनि अमावस्या के सम्बन्ध में यह नियम है कि वर्ष में जो भी अमावस्या शनिवार को होती है उसे “शनि अमावस्या” का योग कहते हैं। इस योग में निम्न उपायों को करने से शनिदेव प्रसन्न होकर अभीष्ट प्रदान करेंगे।

मकर राशिस्थ शनि-साढ़ेसाती एवं ढैया विचार (दिनांक 13 अप्रैल 2021 से 1 अप्रैल 2022 तक)

साढ़ेसाती : धनु, मकर एवं कुम्भ राशि वाले जातक/जातिकाओं को शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव अभी बना रहेगा।

-धनु राशि वाले जातक/जातिकाओं को  साढ़ेसाती पांव पर उतरती हुई है।

-मकर राशि वालों को शनि-साढ़ेसाती हृदय पर चढ़ती हुई होगी।

-कुम्भ राशि वालों को शनि-साढ़ेसाती सिर पर चढ़ती हुई होगी।

शनि की ढैया : मिथुन और तुला राशि वाले जातकों को शनि की ढैया का अशुभ प्रभाव रहेगा।

ऐसे प्राप्त होगी शनिदेव की कृपा

दिनांक 4 दिसंबर 2021 को मार्गशीर्ष अमवस्या कृष्ण पक्ष को शनि अमावस्या पर शनिदेव को शान्त एवं अनुकूल करने के लिए श्रद्धापूर्वक निम्नलिखित उपायों को यथासंभव करना चाहिए जिससे शनिदेव की कृपादृष्टि प्राप्त हो सके।

1. नित्य सूर्योदय के समय सूर्यदर्शन करते हुए 7 बार निम्न श्लोक पढ़ें-

सूर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्ष: शिवंप्रिय:।

मन्दचारः प्रसन्नात्मा पीड़ा दहतु में शनि।

2. तीन काले कुत्तों को रोटी खिलाएं। कुत्ते एक जगह हों यह आवश्यक नहीं है।

3. किसी बात की खुशी होने पर मिठाई के साथ नमकीन अवश्य बांटें।

4. शनि के प्रतिकूल होने पर दुर्घटना का भय रहता है। ऐसे में सुबह ,दोपहर एवं शाम निम्न मंत्र का जाप करें।

ॐ श नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।

शं योरभि स्त्रवनश्रतु न:।

5. 11 जटा वाले नारियल लें। एक एक को दाएं हाथ में पकड़कर दाएं कान की तरफ से बाईं ओर 21 बार घुमाकर दोनों हाथों से जल में प्रवाहित करें।

6. शनि स्तोत्र का पाठ करें।

7. काले भैसें की सेवा करें।

8. काले भैसें के नाल की अंगूठी मध्यमा अंगुली में धारण करें।

9. सूखे नारियल का गोटा लेकर बीच से काटकर एक भाग में काले तिल, काली उड़द, गुड़ और थोड़ा सा सरसों का तेल डालकर उसे दूसरे भाग से बंद कर पीपल के नीचे अथवा सुनसान स्थान पर जमीन में दबाएं।

10. शिवलिंग पर दुग्धाभिषेक करें।

11. बाबड़ी में चार तांबे के सिक्के डालें।

12. सूर्योदय से पहले कच्ची शराब जमीन पर गिराएं।

13. कुएं में कच्चा दूध डालें।

14. सुनसान स्थान में सुरमा दबाएं।

15. निम्नलिखित मंत्र को किसी शनिवार से आरम्भ कर 21 दिनों में 23 हजार जप करें या करबायें-

ॐ प्रा प्रीं प्रो स: शनैश्चराय नमः।

16. सवा मीटर काले चमकीले कपड़े में सवा किलो जौ अथवा सवा किलो काले चने, आठ कीलें, आठ कोयले के टुकड़े अथवा सवा किलो कच्चा कोयला अथवा सवा किलो रांगा रख पोटली बनाएं, पानी मे कुछ बूंदें गंगाजल की डाल कर उससे स्नान कर पोटली को अपने से ऊपर उसारकर आदर के साथ जल में प्रवाहित करें।

17. शनि का रत्न नीलम अथवा उपरत्न मध्यमा अंगुली में धारण करें।

18. मांस और मदिरा का सेवन बिल्कुल भी न करें।

19. भैरव मंदिर में शराब चढ़ाएं।

20. सांप को दूध पिलाएं।

21. धर्मस्थल पर नंगे पैर जाएं।

22. मिट्टी के बर्तन में सरसों का तेल भरकर तालाब अथवा समुद्र किनारे ऐसे स्थान पर गाड़ें जहां लहरें बार-बार उसके ऊपर आएं।

23. कन्याओं की सेवा, दुर्गा पूजा एवं दुर्गा पाठ करें।

24. बन्दरों को कभी न सतायें। उन्हें गुड़ खिलाएं।

25. शनिवार एवं मंगलवार को हनुमानजी की पूजा कर बजरंग बाण, कवच एवं चालीसा का पाठ करें।

26. अन्धे एवं विकलांग व्यक्तियों की सहायता करें तथा इनका कभी अपमान नहीं करें।

27. कौओं को रोटी खिलाएं।

28. दुर्गा कवच एवं अर्गला स्तोत्र का पाठ करें।

29. जल में शराब बहायें।

30. सात मुखी रुद्राक्ष धारण करें।

विशेष : शनिवारी अमावस्या के दिन  सूर्यास्त के बाद शनि पूजन, मंत्र-जाप एवं स्तोत्र पाठ करना विशेष लाभकारी होगा।

विधि : सायंकाल सूर्यास्त के बाद स्नानादि के उपरांत पश्चिम दिशा की ओर मुखं करके काले आसान पर बैठ जाएं। सामने स्टील की थाली में लगभग 100ग्राम जौ, 100 ग्राम काले तिल, काले वर्ण के कुछ फूल, 1 मुट्ठी चावल, 5 साबुत सुपारी, मौली, धूपबत्ती, रोली, लाल चंदन, काली मिठाई आदि रखें। स्टील की कटोरी में तेल सरसों का दीपक जलाएं, सामने नारियल पर तिलक लगाएं, स्टील के लोटे में जल भरकर रखें, फिर उपरोक्त लिखित शनि मंत्र का जाप करें।

ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा

(बालाजी ज्योतिष संस्थान, बरेली।)

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