26 अप्रैल को मोहिनी एकादशी : बन रहा है सर्वार्थसिद्धि योग,जानें शुभ मुहूर्त,उठाएं लाभ

वैशाख महीने की एकादशी को मोहिनी एकादशी मनाई जाती है। इस बार यह 26 अप्रैल को है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। जिसमें वैवाहिक रस्में और शुभ कार्य किए जा सकते हैं। इस दिन पूजा पाठ करने से हर मनोकामना पूरी होती है और साथ ही किए हुए पापों से भी मुक्ति मिलती है। मोहिनी एकादशी व्रत के प्रभाव से हर प्रकार के पाप व दुख मिट जाते हैं। यह व्रत मोह बंधन से मुक्ति दिलाता है।

व्रत कथा

सरस्वती नदी के किनारे भद्रावती नाम का एक नगर था। जहां पर एक धनपाल नाम का वैश्य रहता था, जो धन-धान्य से परिपूर्ण था। वह सदा पुण्य कर्म में ही लगा रहता था। उसके पांच पुत्र थे। इनमें सबसे छोटा धृष्टबुद्धि था। वह पाप कर्मों में अपने पिता का धन लुटाता रहता था। एक दिन वह नगर वधू के गले में बांह डाले चौराहे पर घूमता देखा गया। इससे नाराज होकर पिता ने उसे घर से निकाल दिया तथा बंधु-बांधवों ने भी उसका साथ छोड़ दिया।

वह दिन-रात दु:ख और शोक में डूब कर इधर-उधर भटकने लगा। एक दिन वह किसी पुण्य के प्रभाव से महर्षि कौण्डिल्य के आश्रम पर जा पहुंचा। वैशाख का महीना था। कौण्डिल्य गंगा में स्नान करके आए थे। धृष्टबुद्धि शोक के भार से पीड़ित हो मुनिवर कौण्डिल्य के पास गया और हाथ जोड़कर बोला, ब्राह्मण ! द्विजश्रेष्ठ ! मुझ पर दया कीजिए और कोई ऐसा व्रत बताइए जिसके पुण्य के प्रभाव से मेरी मुक्ति हो।’

तब ऋषि कौण्डिल्य ने बताया कि वैशाख मास के शुक्लपक्ष में मोहिनी नाम से प्रसिद्ध एकादशी का व्रत करो। इस व्रत के पुण्य से कई जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। धृष्टबुद्धि ने ऋषि की बताई विधि के अनुसार व्रत किया। जिससे वह निष्पाप हो गया और दिव्य देह धारण कर श्री विष्णुधाम को चला गया।

शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि आरंभ – 10:46 बजे (25 अप्रैल 2018)
एकादशी तिथि समाप्त– 09:19 बजे (26 अप्रैल 2018)
पारण का समय – 05:48 से 08:07 बजे तक (27 अप्रैल 2018)

पूजन विधि

व्रत के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठना चाहिए और नित्य कर्म कर शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए। स्नान करने के लिए कुश और तिल के लेप का प्रयोग करना चाहिए। स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें और देवों का पूजन करने के लिए कलश की स्थापना कर, उसके ऊपर लाल रंग का वस्त्र बांध कर पहले कलश का पूजन करें।

इसके बाद उसके ऊपर भगवान की तस्वीर या प्रतिमा रखें इसके बाद भगवान की प्रतिमा को स्नानादि से शुद्ध कर उत्तम वस्त्र पहनाना चाहिए। फिर धूप, दीप से आरती उतारनी चाहिए और मीठे फलों का भोग लगाना चाहिए। इसके बाद प्रसाद वितरित कर ब्राह्मणों को भोजन तथा दान-दक्षिणा देनी चाहिए। रात्रि में भगवान का कीर्तन करते हुए मूर्ति के समीप ही शयन करना चाहिए।

bareillylive

Recent Posts

तुलसी वन गौशाला के उदघाटन कर बोले सांसद, गौ सेवा पुनीत कार्य, य़ह ममतामय घर

Bareillylive: मर्सी फॉर ऑल सोसाइटी संस्था के द्वारा ग्राम आसपुर खूबचंद, रिठौरा रोड, बरेली में…

4 days ago

रणधीर गौड़ रचित ‘लावनी गीत’ एवं शिवरक्षा रचित ‘शिवार्चना’ का हुआ विमोचन

Bareillylive : कवि गोष्ठी आयोजन समिति के तत्वावधान में रससिद्ध शायर पंडित देवी प्रसाद गौड़…

4 days ago

नगर भ्रमण को निकले कर्म फल दाता भगवान श्री चित्रगुप्त, जगह जगह हुआ स्वागत

Bareillylive : भगवान श्री चित्रगुप्त जी की भव्य शोभायात्रा कल पूरे आन बान और शान…

5 days ago

खेल भावना की शपथ के साथ एकेटीयू की जोनल फेस्ट एसआरएमएस सीईटी में आरंभ

Bareillylive : श्रीराम मूर्ति स्मारक कालेज आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में रंगारंग कार्यक्रम के साथ…

7 days ago

अब दर्द भी टेकेगा घुटने, पुलिस अस्पताल में फीजियोथेरेपी क्लीनिक का हुआ उद्घाटन

Bareillylive : जनहित एवं स्वास्थ्य सुधार के उद्देश्य से श्रीमान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय द्वारा…

1 week ago

भगवान श्री चित्रगुप्त जी की भव्य शोभायात्रा रविवार को, जानिये क्या रहेगा रूट

Bareillylive : अखिल ब्रह्मांड के न्यायाधिपति भगवान श्री चित्रगुप्त जी की विशाल व भव्य शोभायात्रा…

1 week ago