कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन देवता धन्वंतरि के अतिरिक्त देवी लक्ष्मी और धन के देव कुबेर की पूजा पूरी श्रद्धा के साथ की जाती है।शास्त्रों के अनुसार इस दिन धनवंतरी का जन्म हुआ था, इसलिए इसे धनतेरस कहते है। भगवान धनवंतरी समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है।इस बार पंचाग के अनुसार 17 को अक्टूबर को धनतेरस हैं और दीपावली पर पांच शुभ योग बनने जा रहे हैं। इस बार धनतेरस सुबह से देर रात तक मंगलकारी और लाभदायक रहेगा। धनतेरस पर मंगलवार और प्रदोष का होना अति शुभ है।

धनतेरस पर रहेंगे ये पांच योग

चंद्रमा-मंगल की कन्या राशि में युति रहने पर लक्ष्मी योग निर्मित होगा।

सूर्य और बुध के भी इसी राशि में रहने बुधादित्य योग रहेगा।

रात में सूर्य के राशि परिवर्तन करने से तुला संक्रांति योग रहेगा।

इस दिन सूर्योदय से सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा

शाम को प्रदोष रहेगा। शाम को पूजा करने से सभी दोष दूर होते हैं।

क्या करें –

1 पूजा की तैयारी सूर्योदय से पहले नित्यकर्म और स्नान आदि से निपटकर शुरू कर देनी चाहिए।
2 पूजा किसी पुजारी से करवाई जानी चाहिए या फिर उनके निर्देशों का पालन करते हुए पूजा करें।
3 मुहूर्त के अनुसार पूजन की तैयारी करें. पूजा के लिए देव कुबेर की मूर्ति का उपयोग करें।मूर्ति नहीं होने की स्थिति में कुबेर की तस्वीर का उपयोग किया जा सकता है।
4 पूजा के लिए तिजोरी या ज्वेलरी बॉक्स का भी उपयोग अच्छा होता है।यदि कुबेर यंत्र का प्रयोग पूजा और साधना के लिए किया जाए, तो यह बहुत ही शुभ प्रभाववाला साबित होता है।
5 पूजा प्रारंभ करने से पहले तिजोरी या आभूषण के बक्से के ऊपर सिंदूर के
साथ स्वस्तिक का चिह्न बना दें।हाथ में कलेवा बांधें।
6 कुबेर की पूजा में पीले वस्त्रों व पीली वस्तुओं का प्रयोग करें.. पीले आसन पर बैठकर पूजा करें।
7धनतेरस की शाम को मिट्टी के दीपक में तिल का तेल भरकर नई रूई की बाती जलाएं, जिसका मुख दक्षिण की ओर होना चाहिए।
8 धनतेरस के मौ़के पर बर्तन, आभूषण आदि की ख़रीद अपनी राशि के अनुसार करें।इसके साथ दूसरी कोई उपयोग में आनेवाली वस्तु भी ख़रीदें. बर्तनों में आप पीतल, तांबे या चांदी के बर्तन ख़रीद सकते हैं। सोने या चांदी का सिक्का ख़रीदना भी शुभ होता है।
9 बर्तनों के अतिरिक्त दूसरी वस्तुओं में कपड़े, स्टेशनरी, सुगंध, हल्दी, तेजपत्ता, पत्थर की निर्मित वस्तु या मूर्ति, मेवे-मिठाई आदि हो सकते हैं।
क्या न करें?
10 कुबेर देव की पूजा के लिए अपनी सुविधा को ध्यान में रखते हुए शुभ मुहूर्त की अनदेखी न करें।
11 दीपदान के लिए मिट्टी का दीपक ही जलाएं और उसमें तिल के तेल का इस्तेमाल करें। जलते दीपक का मुख उत्तर, पूरब या पश्चिम की दिशा में न रखें।
12 सात्विक भोजन करें. मांसाहार या शराब का सेवन न करें।
13 घर या आसपास के किसी भी कोने में गंदगी न रहने दें।
14 उपहार में चाकू या चमड़े आदि के सामान न बांटें।
वास्तु टिप्स
15 नकारात्मक ऊर्जा देनेवाले सामानों को घर से निकाल बाहर करें। ऐसी वस्तुओं के रूप में पुराने टूटे बर्तन, अख़बार, पत्र-पत्रिकाएं, टूटे खिलौने, बंद घड़ियां, ख़राब फोन, कंप्यूटर आदि के सामान या दूसरी तरह के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स आदि हो सकते हैं।
16 धनागमन के लिए घर के प्रवेशद्वार पर की जानेवाली सजावट के लिए चावल के आटे, रंगीन पाउडर, चॉक, फूल, आम के पत्ते का प्रयोग करें।
17 वास्तु के अनुसार कोई भी पूजा घर के उत्तरी हिस्से में शुभ मानी गई है।पूजा के समय घर में गुलाब या चंदन की ख़ुशबूवाली अगरबत्ती का ही प्रयोग करें।
18 घर में मिट्टी के चार दीये एक साथ रखें. इसका अर्थ लक्ष्मी, गणेश, कुबेर और इंद्र से है।

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