नई दिल्ली, 16मार्च। उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अभी से रणनीति बनानी शुरू कर दी है। बीते दिनों बीजेपी संसदीय बोर्ड बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के पार्टी सांसदों की क्लास लगाई और कुछ सवाल पूछे। लेकिन हैरानी की बात यह कि इन सांसदों की जनता के प्रति उनकी जिम्मेदारियों की पोल खुल गई। पीएम के सवाल पर सभी सांसद मौन साधे रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी के सभी सांसदों के साथ सोमवार को बैठक की और सरकार के कामकाज को लेकर सांसदों की सुस्ती पर कड़ा रुख दिखाया। बैठक में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी मौजूद थे। रिपोर्टों के अनुसार, बैठक के दौरान पीएम मोदी के दो सवालों ने बीजेपी सांसदों के पसीने छुड़ा दिए। मोदी ने सांसदों से पूछा कि उत्तर प्रदेश से आने वाले 71 सांसदों में से किसे इस बात की जानकारी है कि उनके संसदीय क्षेत्र में दीनदयाल ज्योतिग्राम योजना के तहत कितने गांवों में बिजली पहुंची है। इसके बाद पीएम ने फिर पूछा कि कितने सांसदों ने पीएमओ एप डाउनलोड की है। दोनों ही सवालों पर किसी सांसद ने कोई जवाब नहीं दिया।
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी सांसदों से कहा है कि वे बजट सत्र के दूसरा हिस्सा शुरू होने से पहले की अवकाश की अवधि में जनता के बीच जाकर बजट के किसान एवं गरीबों के हितों से जुड़े आयामों के बारे में लोगों को बताएं। पार्टी के शीर्ष नेताओं ने कहा है कि इस बजट से लोगों के बीच जीत की भावना पैदा हुई है।
संसद के बजट सत्र के पहले चरण के समाप्त होने से एक दिन पहले भाजपा संसदीय दल की बैठक में जेएनयू विवाद में पार्टी के आक्रामक राष्ट्रवाद के रुख का भी जिक्र हुआ। बैठक में अन्य शीर्ष नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी मौजूद थे। दिल्ली और बिहार में हार के बाद बीजेपी अब उत्तर प्रदेश पार्टी को जीत दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसलिए यूपी के सभी सांसदों के साथ पीएम की यह बैठक हुई।