बॉलीवुड में भांड भरे हैं, नीयत सबकी काली है…
इतिहासों को बदल रहे, संजय लीला भंसाली हैं…
चालीस युद्ध जीतने वाले को ना वीर बताया था…
संजय तुमने बाजीराव को बस आशिक़ दर्शाया था…
सहनशीलता की संजय हर बात पुरानी छोड़ चुके…
देश धर्म की खातिर हम कितनी मस्तानी छोड़ चुके…
अपराध जघन्य है तेरा,
दोषी बॉलीवुड सारा है…
इसलिए ‘करणी सेना’ ने
सेट पर जाकर मारा है…
संजय तुमको मर्द मानता,
जो अजमेर भी जाते तुम…
दरगाह वाले हाजी का भी नरसंहार दिखाते तुम…
सच्चा कलमकार हूँ संजय, दर्पण तुम्हे दिखता हूँ…
जौहर पदमा रानी का,
तुमको आज बताता हूँ…
सुन्दर रूप देख रानी का
बैर लिया था खिलजी ने…
चित्तौड़ दुर्ग का कोना कोना घेर लिया था खिलजी ने…
मांस नोचते गिद्धों से,
लड़ते वो शाकाहारी थे…
मुट्ठी भर थे राजपूत,
लेकिन मुगलों पर भारी थे…
राजपूतों की देख वीरता, खिलजी उसदिन काँप गया…
लड़कर जीत नहीं सकता वो ये सच्चाई भांप गया…
राजा रतन सिंह से बोला, राजा इतना काम करो…
हिंसा में नुकसान सभी का अभी युद्ध विराम करो…
पैगाम हमारा जाकर रानी पद्मावती को बतला दो…
चेहरा विश्व सुंदरी का बस दर्पण में ही दिखला दो…
राजा ने रानी से बोला
रानी मान गयी थी जी…
चित्तौड़ नहीं ढहने दूंगी ये रानी ठान गयी थी जी…
अगले दिन चित्तौड़ में खिलजी सेनापति के संग आया…
समकक्ष रूप चंद्रमा सा पद्मावती ने दिखलाया…
रूप देखकर रानी का खिलजी घायल सा लगता था…
दुष्ट दरिंदा पापी वो पागल पागल सा लगता था…
रतन सिंह थे भोले राजा उस खिलजी से छले गए…
कैद किया खिलजी ने उनको जेलखाने में चले गए…
खिलजी ने सन्देश दिया चित्तौड़ की शान बक्श दूंगा…
मेरी रानी बन जाओ,
राजा की जान बक्श दूंगा…
रानी ने सन्देश लिखा,
मैं तन मन अर्पण करती हूँ…
संग में नौ सौ दासी हैं और स्वयं समर्पण करती हूँ…
सभी पालकी में रानी ने
बस सेना ही बिठाई थी…
सारी पालकी उस दुर्गा ने खिलजी को भिजवाई थी…
सेना भेजकर रानी ने जय जय श्री राम बोल दिया…
अग्नि कुंड तैयार किया था और साका भी खोल दिया…
मिली सूचना सारे सैनिक, मौत के घाट उतार दिए…
और दुष्ट खिलजी ने राजा रतन सिंह भी मार दिए…
मानो अग्नि कुंड की अग्नि उस दिन पानी पानी थी…
सोलह हजार नारियो के संग जलती पदमा रानी थी…
सच्चाई को दिखलाओ,
हम सभी सत्य स्वीकारेंगे…
झूठ दिखाओगे संजय,
तो मुम्बई आकर मारेंगे..
वीर रस के युवा कवि अमित शर्मा की रचना
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