स बार श्रवण नक्षत्र, रविवार, 22 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा। जहां एक ओर शोभन योग इसे खास बना रहा है वहीं 474 साल के बाद ग्रहों का दुर्लभ योग इसे महत्वपूर्ण महासंयोग में बदल रहा है। ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा के अनुसार रक्षाबंधन का त्यौहार राजयोग में आएगा। रक्षाबंधन पर इस बार भद्रा का साया भी नहीं रहेगा जिसके कारण बहनें पूरे दिन भाइयों को राखी बांध सकेंगी। इस दौरान कुंभ राशि में गुरु की चाल वक्री रहेगी और इसके साथ चंद्रमा भी वहां मौजूद रहेगा।

गुरु और चंद्रमा की इस युति से रक्षाबंधन पर गजकेसरी योग बन रहा है। गजकेसरी योग से इंसान की महत्वाकांक्षाएं पूरी होती हैं, धन-संपत्ति, मकान, वाहन जैसे सुखों की प्राप्ति होती है। गजकेसरी योग से राजसी सुख और समाज में मान-सम्मान की भी प्राप्ति होती है।

गजकेसरी योग से किसे नहीं होगा लाभ : कुंडली में जब चंद्रमा और गुरु केंद्र में एक-दूसरे की तरफ दृष्टि कर बैठे हों तो गजकेसरी योग बनता है। यह योग लोगों को भाग्यशाली बनाता है लेकिन अगर कुंडली में बृहस्पति या चंद्रमा कमजोर हो तो इस योग का लाभ नहीं मिल पाता है।

एक साथ विराजमान होंगे ये ग्रह

रक्षाबंधन पर सिंह राशि में सूर्य, मंगल और बुध ग्रह एक साथ विराजमान होंगे। सिंह राशि का स्वामी सूर्य है। इस राशि में मित्र मंगल भी उनके साथ रहेगा जबकि शुक्र कन्या राशि में होगा। ग्रहों का ऐसा योग बेहद शुभ और फलदायी रहने वाला है.

ज्योतिषविदों का कहना है कि रक्षा बंधन पर ग्रहों का ऐसा दुर्लभ संयोग 474 साल बाद बन रहा है। इससे पहले 11 अगस्त 1547 को ग्रहों की ऐसी स्थिति बनी थी जब धनिष्ठा नक्षत्र में रक्षाबंधन मनाया गया था तथा सूर्य, मंगल और बुध एकसाथ ऐसी स्थिति में आए थे। उस समय शुक्र बुध के स्वामित्व वाली राशि मिथुन में विराजमान थे जबकि इस वर्ष शुक्र बुध के स्वामित्व वाली राशि कन्या में स्थित रहेंगे। ज्योतिषियों का कहना है कि रक्षाबंधन पर ऐसा संयोग भाई-बहन के लिए अत्यंत लाभकारी और कल्याणकारी रहेगा। खरीदारी के लिए भी इस राजयोग भी बेहद शुभ माना जाता है।

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त  

रक्षाबंधन पर इस बार राखी बांधने के लिए 12 घंटे 13 मिनट की शुभ अवधि रहेगी। आप सुबह 5.50 बजे से लेकर शाम 6.03 बजे तक किसी भी समय रक्षाबंधन मना सकते हैं। भद्रा काल 23 अगस्त को सुबह 5 बजकर 34 मिनट से 6 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।

रक्षाबंधन के दिन शोभन योग सुबह 10 बजकर 34 मिनट तक तक रहेगा और धनिष्ठा नक्षत्र शाम 7 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष के अनुसार कहा जाता है कि धनिष्ठा नक्षत्र में पैदा होने वाले लोगों का भाई-बहन से रिश्ता बहुत खास होता है। इसीलिए रक्षाबंधन पर धनिष्ठा नक्षत्र को खास माना जा रहा है।

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