अष्टांग योग से मिटाएं शारीरिक और मानसिक विकार

बरेली। साधकों या विद्यार्थियों को अकसर ये समस्या रहती है कि वो लंबे समय तक स्थिर नहीं बैठ  पाते। क्या है इस समस्या का कारण और समाधान। आइये जानें।दरअसल, स्थिर बैठने के लिए  आपके शरीर को तैयार किए जाने की जरूरत होती है। हठ योग इसमें मददगार है। इसके लिए  आपको कुछ दूसरे पहलुओं को ठीक करना होगा।

 समझें योग को-

मनुष्य शरीर स्थित कुंडलिनी शक्ति में जो चक्र स्थित होते हैं उनकी संख्या सात बताई गई है। इन चक्रों के विषय  में अत्यंत महत्वपूर्ण एवं गोपनीय जानकारी यहां दी गई है। यह जानकारी शास्त्रीयए प्रामाणिक एवं तथ्यात्मक  है.

1 –मूलाधार चक्र .

गुदा और लिंग के बीच चार पंखुरियों वाला आधार चक्र है । आधार चक्र का ही एक दूसरा नाम मूलाधार  चक्र भी  है। वहाँ वीरता और आनन्द भाव का निवास है ।

2- स्वाधिष्ठान चक्र .

इसके बाद स्वाधिष्ठान चक्र लिंग मूल में है । उसकी छ पंखुरियाँ हैं । इसके जाग्रत होने पर क्रूरता, गर्व, आलस्य,  प्रमाद,  अवज्ञा, अविश्वास आदि दुर्गणों का नाश होता है ।

3- मणिपूर चक्र .

नाभि में दस दल वाला मणिचूर चक्र है । यह प्रसुप्त पड़ा रहे तो तृष्णा, ईष्र्याए चुगली, लज्जा, भय, घृणा, मोह, आदि कषाय,कल्मष, मन में लड़ जमाये पड़े रहते हैं ।

4- अनाहत चक्र .

हृदय स्थान में अनाहत चक्र है । यह बारह पंखरियों वाला है । यह सोता रहे तो लिप्सा, कपट, तोड़ – फोड़, कुतर्क, चिन्ता, मोह, दम्भ, अविवेक अहंकार से भरा रहेगा । जागरण होने पर यह सब दुर्गुण हट जायेंगे ।

5- विशुद्धख्य चक्र .

कण्ठ में विशुद्धख्य चक्र यह सरस्वती का स्थान है । यह सोलह पंखुरियों वाला है। यहाँ सोलह कलाएँ सोलह विभूतियाँ विद्यमान है

6- आज्ञाचक्र .

भू्रमध्य में आज्ञा चक्र है, यहाँ  उद्गीय हूँ, फट, विषद, स्वधा स्वहा, सप्त स्वर आदि का निवास है । इस आज्ञा चक्र का जागरण होने से यह सभी शक्तियाँ जाग पड़ती हैं ।

7 -सहस्रार चक्र .

सहस्रार की स्थिति मस्तिष्क के मध्य भाग में है । शरीर संरचना में इस स्थान पर अनेक महत्वपूर्ण ग्रंथियों से सम्बन्ध रैटिकुलर एक्टिवेटिंग सिस्टम का अस्तित्व है । वहाँ से जैवीय विद्युत का स्वयंभू प्रवाह उभरता है ।

कुण्डलिनी जागरणरू विधि और विज्ञान

कुंडलिनी जागरण का अर्थ है मनुष्य को प्राप्त महानशक्ति को जाग्रत करना। यह शक्ति सभी मनुष्यों में सुप्त पड़ी रहती है। कुण्डली शक्ति उस ऊर्जा का नाम है जो हर मनुष्य में जन्मजात पायी जाती है। यह शक्ति बिना किसी भेदभाव के हर मनुष्य को प्राप्त है। इसे जगाने के लिए प्रयास या साधना करनी पड़ती है।

जिस प्रकार एक नन्हें से बीज में वृक्ष बनने की शक्ति या क्षमता होती है। ठीक इसी प्रकार मनुष्य में महान बनने कीए सर्वसमर्थ बनने की एवं शक्तिशाली बनने की क्षमता होती है। कुंडली जागरण के लिए साधक को शारीरिकए मानसिक एवं आत्मिक स्तर पर साधना या प्रयास पुरुषार्थ करना पड़ता है।

जप, तप, व्रत,उपवास, पूजा-पाठ, योग आदि के माध्यम से साधक अपनी शारीरिक एवं मानसिकए अशुद्धियों, कमियों और बुराइयों को दूर कर सोई पड़ी शक्तियों को जगाता है। अत: हम कह सकते हैं कि विभिन्न उपायों से अपनी अज्ञातए गुप्त एवं सोई पड़ी शक्तियों का जागरण ही कुंडली जागरण है। योग और अध्यात्म की भाषा में इस कुंडलीनी शक्ति का निवास रीढ़ की हड्डी के समानांतर स्थित छ: चक्रों में माना गया है।

कुण्डलिनी की शक्ति के मूल तक पहुंचने के मार्ग में छरू फाटक है अथवा कह सकते हैं कि छरू ताले लगे हुए है। यह फाटक या ताले खोलकर ही कोई जीव उन शक्ति केंद्रों तक पहुंच सकता है। इन छरू अवरोधों को आध्यात्मिक भाषा में षट्.चक्र कहते हैं। ये चक्र क्रमशरू इस प्रकार हैरू मूलधार चक्रए स्वाधिष्ठान चक्रए मणिपुर चक्रए अनाहत चक्रए विशुद्धाख्य चक्रए आज्ञाचक्र। साधक क्रमशरू एक.एक चक्र को जाग्रत करते हुए। अंतिम आज्ञाचक्र तक पहुंचता है। मूलाधार चक्र से प्रारंभ होकर आज्ञाचक्र तक की सफलतम यात्रा ही कुण्डलिनी जागरण कहलाता है।

योग का अर्थ है जुड़ना। इसको समझने के लिए इसके आठ अंगों को समझना होगा। सब विकारों की जड़ इंद्रियां और मन के बीच में तारतम्यता नहीं होना ही है। यम और नियम, आसन, प्राणायम, प्रत्याहार, धारण, ध्यान और समाधि जैसे योग के अंगों को अपनाकर करीब सौ, दौ सौ साल पीछे जाने पर पता चलता है कि उस जमाने के लोगों को शारीरिक और मानसिक व्याधियां हीलिंग और चिकित्सा के साधन कम होने के बावजूद भी काफी कम ही थे।

अगर आपके पास आठ हाथ.पैर होते तो किसे पहले चलाना है, यह आपके ऊपर होता जो आपकी जरूरत पर निर्भर करता। जिस तरह किसी काम को लेकर यह सवाल आम है कि किस हाथ या पैर को पहले चलाना है। दाहिना या पहले वाया अंग बढाया जाए। लेकिन इसका नियम कार्य की प्रकृति पर निर्भर करता है। कई कामों में दाहिने पैर को पहले बढ़ाना बेहतर होता है, लेकिन कुछ दूसरे पहलू ऐसे भी हैं जहां बायां पैर पहले बढ़ाना अच्छा होता है।

इसी तरह, योग के किस अंग का इस्तेमाल पहले किया जाए, यह इस पर निर्भर करता है कि आप किस स्थिति में हैं। यौगिक संस्कृति मूलाधार चक्र की शुद्व होने पर जोर देती है। इसमें बताया गया है कि मल को शरीर में नहीं रहना चाहिए इसलिए योगियों को दिन में दो बार शौचालय जाना चाहिए।

गौर से नजर डाले तो मानवता के इतिहास में शरीर सबसे मजबूत पहलू और सबसे बड़ी अड़चन रहा है। यही वजह है कि लोगों को पहले हठ योग कराया जाता था। कुछ सौ साल पहले तक केवल पांच से दस फीसदी लोगों को ही मानसिक समस्याएं होती थीं। बाकियों को केवल शारीरिक समस्याएं सताती थीं। गांवों में आज भी ज्यादातर लोगों को मानसिक के बजाए सिर्फ शारीरिक समस्याएं होती हैं। लेकिन पिछली कुछ पीढ़ियों में लोगों को मानसिक समस्याएं होने लगी हैं वजह है अपने शरीर से ज्यादा मन का इस्तेमाल करनां। यह मानव जाति में एक बड़ा परिवर्तन ला रहा है।

सौ.दो सौ साल पीछे तक इंसान अपने मन से ज्यादा अपने शरीर का इस्तेमाल करता था। चूंकि इस कालखंड में समस्याएं शारीरिक से ज्यादा मानसिक होती हैं इसलिए इनकी हीलिंग के लिए आम तौर पर क्रिया और ध्यान से शुरुआत करनी चाहिए। यह मुख्य रूप से ऊर्जा और मन के स्तर पर काम करते हैं। इसके बाद ही हठ योग की ओर जाया जा सकता है।

स्थिर बैठने के लिए सिर्फ अपने शरीर को संभालना काफी नहीं है, अपने मन पर भी मेहनत करनी होगी। खासकर नई पीढ़ी के लिए पूरे सिस्टम यानी मन, उसमें पैदा होने वाली भावना, शरीर और ऊर्जा को दुरुस्त करने पर ध्यान देना जरूरी है। यह धारणा गलत है कि आज के लोग पुराने लोगों से अधिक प्रतिभाशाली हैं।

बात सिर्फ इतनी है कि अंधाधुंध इस्तेमाल के कारण लोगों के मन आज काबू से बाहर हैं। हमारी शिक्षा व्यवस्था भी इसका एक बड़ा कारण है। उससे निश्चित रूप से मन अशांत होगा। एक बच्चे को कविता से लेकर गणित तक पढ़ना पड़ता है। लेकिन उनके जुड़ाव के बारे में उसे समझाने वाला कोई नहीं है। उसे गणित के बाद संगीत की ओर जाना पड़ता है। यहां पर दोनों जुड़े हुए हैं मगर इस संबंध को कोई नहीं समझाता। इसी तरह एक तरह विषय से दूसरे विषय की ओर बच्चा भागता रहता है। विषय बेशक आपस में जुड़े होते हैं, लेकिन उनके बीच के संबंध को बताने वाला कोई नहीं है। उन्हें पढ़ाने वाले विभाग अलग.अलग जो हैं और उनके बीच ताल.मेल नहीं है।

जो कुछ सिखाया जा रहा है वह ऐसे टुकड़ों में सिखाया जाता हैए जिनका आपस में कुछ सम्बन्ध नहीं होताए क्योंकि कोई भी जानने की उत्सुकता से नहीं पढ़ रहा है। हर कोई परीक्षा में पास होने और नौकरी पाने के लिए पढ़ रहा है। यह शिक्षित होने का बहुत विनाशकारी तरीका और जीने का दयनीय तरीका है। लेकिन यह बेतुका तरीका दुनिया के ज्यादातर लोगों ने अपना रखा है।

यम और नियम,आसन, प्राणायम, प्रत्याहार, धारण, ध्यान और समाधि। ये योग के अंग हैं। जिनकी आज के दौर में महती आवश्यकता है। जैसे-अगर आपके पास आठ हाथ.पैर होते तो किसे पहले चलाना है, यह आपकी जरूरत पर निर्भर करता।

अगर हम मन को पूरी तरह गलत तरीके से विकसित कर रहे हैं। फिर हम लोगों से शांत और आनंदित रहने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं। जब तक कि आप सही चीजें न करेंए आपके साथ सही नहीं होगा। अगर सिर्फ यहां बैठने में आपका शरीर आराम नहीं महसूस कर रहा है तो साफ है कि उसमें कोई खराबी है, चाहे मेडिकल की भाषा में आप स्वस्थ हों। अमेरिका के मेडिकल की किताबों के मुताबिक सप्ताह में दो बार शौचालय जाना सामान्य बात है यानी आप स्वस्थ्य है। लेकिन यौगिक संस्कृति के अनुसार, योगियों को दिन में दो बार शौचालय जाना चाहिए क्योंकि मल को शरीर में नहीं रहना चाहिए। सुबह उठने के बाद सबसे पहली चीज यही होनी चाहिए। सप्ताह में दो बार का मतलब है कि आप औसतन तीन दिन तक अपने शरीर में उसे रखते हैं। फिर आप अपने मन के दुरुस्त कैसे रख सकते हैं। वह ठीक नहीं होगा क्योंकि आपका मलाशय और आपका मन सीधे.सीधे जुड़े हुए हैं। 

मलाशय मूलाधार चक्र में होता है, जो आपकी ऊर्जा प्रणाली का आधार है। मूलाधार में जो भी होता है, वह किसी न किसी रूप में पूरे सिस्टम में होता है, खासकर आपके मन में। आज के वैज्ञानिक ऐसे निष्कर्ष इसलिए निकाल रहे हैं क्योंकि वे इंसान का अध्ययन माइक्रोस्कोप से टुकड़ों में करते हैं। इसलिए हर टुकड़े के बारे में वे एक अलग निष्कर्ष निकालते हैं। संपूर्ण शरीर को बाहर से नहीं समझा जा सकता। उसे सिर्फ अंदर से समझा जा सकता है।

समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए अपनी साधना करें, अपने भोजन में अधिक प्राकृतिक चीजें शामिल करें। फिर आप देखेंगे कि कुछ ही महीनों में आप स्थिर बैठने लगेंगे।

 

vandna

Recent Posts

एसआरएमएस मेडिकल कालेज में पिछले करीब आठ वर्ष से भर्ती किशोर का हुआ निधन

Bareillylive : एसआरएमएस मेडिकल कालेज में पिछले करीब आठ वर्ष से भर्ती किशोर निशांत गंगवार…

5 hours ago

वास्तु शास्त्र: मिथ या विज्ञान विषय पर कार्यशाला शनिवार को, विशेषज्ञ देंगे जानकारी

Bareillylive : एक उम्मीद संस्था द्वारा और इनरव्हील क्लब बरेली के योगदान से एक विशेष…

18 hours ago

राष्ट्रीय इंस्पायर मानक विज्ञान प्रदर्शनी में वंदना शर्मा के बनाये मॉडल ने बटोरी सुर्खिया

Bareillylive : इंस्पायर मानक योजना के अंतर्गत प्रगति मैदान नई दिल्ली में आयोजित 11 वीं…

19 hours ago

इनर व्हील क्लब मेन बरेली 311 ने किया शिक्षकों और शिक्षाविदों का सम्मान

Bareillylive : इनर व्हील क्लब मेन बरेली 311 की अध्यक्ष डॉ विनीता सिसोदिया, सचिव निरुपमा…

19 hours ago

कान्ती कपूर सरस्वती बालिका विद्या मन्दिर की छात्राओं का स्टेट प्रतियोगिता के लिए चयन

Bareillylive : मण्डलीय ताईक्वांडो प्रतियोगिता -2024 का आयोजन कान्ती कपूर सरस्वती बालिका विद्या मन्दिर इण्टर…

20 hours ago

सीएम योगी ने कई परियोजनाओं का लोकार्पण कर कहा, रामनगरी का और होगा विकास

Bareillylive : रामनगरी के विकास के लिए योगी सरकार लगातार धनवर्षा कर रही हैं। अयोध्या…

21 hours ago