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शारदीय नवरात्र 2021: इस बार शारदीय नवरात्र सात अक्टूबर से शुरू हो जाएंगे। 14 अक्टूबर को महानवमी मनाई जाएगी और 15 अक्टूबर को दशहरे का त्योहार मनाया जाएगा।मां दुर्गा के हर वाहन का अपना अलग-अलग महत्व होता है। नवरात्रि में इस बार मां दुर्गा पालकी पर अर्थात डोली पर बैठकर आगमन करेंगी।

6 अक्टूबर से पितृपक्ष समाप्त हो जाएंगे और 7 अक्टूबर से नवरात्रि शुरू हो जाएगी 14 अक्टूबर तक चलने वाले इन दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में मां दुर्गा के नौ रूपों का बखान किया गया है।

नवरात्र के दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने से विशेष पुण्य मिलता है. मान्यता है कि मां दुर्गा अपने भक्तों के हर कष्ट हर लेती हैं. ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा से जानते हैं कि इस बार मां दुर्गा किस वाहन पर सवार होकर आएंगी और इस वाहन का क्या संकेत होता है.

क्या होगी मां दुर्गा की सवारी-

श्री राजेश कुमार शर्मा के अनुसार  नवरात्रि में इस बार मां दुर्गा पालकी पर सवार होकर आएंगी । यानी इस बार मां दुर्गा का वाहन डोली होगा । शास्त्रों में ऐसा वर्णन मिलता है कि नवरात्रि का आरंभ अगर सोमवार और रविवार से हो रहा हो तो माता हाथी पर सवार होकर आती हैं । नवरात्रि की शुरुआत शनिवार और मंगलवार से हो तो मां दुर्गा का आगमन घोड़े पर होता है । नवरात्रि की शुरुआत जब बुधवार को होती है तो मां दुर्गा का वाहन नाव होता है । अगर नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार और शुक्रवार को होती है तो मां दुर्गा डोली पर सवार होकर आती हैं । इस बार नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार से हो रही है तो मां दुर्गा डोली पर सवार होकर आएंगी ।

मां दुर्गा की सवारी का महत्व- 

मां दुर्गा के हर वाहन का अपना अलग-अलग महत्व होता है । शास्त्रों में ऐसा वर्णन है कि जब मां दुर्गा डोली पर सवार होकर आती हैं राजनैतिक उथल-पुथल की स्थिति बनती है । ये प्रभाव सिर्फ भारत नहीं बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ सकता है । ये प्राकृतिक आपदाएं आने का भी संकेत होता है । महामारी फैलती है और लोगों के बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है । माता का डोली पर आना बहुत ज्यादा शुभ संकेत नहीं माना जाता है लेकिन जो लोग सच्चे मन से मां दुर्गा की आराधना करते हैं उन पर ये अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता है । नवरात्रि में मां दुर्गा की आराधना से मां की कृपा भक्तों पर बनी रहती है ।  

नवरात्रि में घटस्थापना

नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना के साथ नौ दिन के लिए देवी मां का पूजन शुरू किया जाता है । घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष रूप से ध्यान रखें । इसी समय घटस्थापना करने से नवरात्रि फलदायी होते हैं ।

कलश स्थापना मुहूर्त–

ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा के अनुसार, सात अक्तूबर को प्रतिपदा तिथि दिन मे तीन बजकर 28 मिनट तक है। ऐसे में सूर्योदय से प्रतिपदा तीन बजकर 28 मिनट के भीतर कभी भी कलश स्थापन किया जा सकता है। इसके लिए प्रातः छह बजकर 10 मिनट से छह बजकर 40 मिनट तक ( कन्या लग्न-स्वभाव लग्न में)। पुनः 11 बजकर 14 मिनट से दिन में एक-एक  बजकर 19 मिनट तक (धनु लग्न-द्विस्भाव लग्न)। इसके साथ ही अभिजित मुहुर्त ( सुबह 11 बजकर 36 मिनट से-12 बजकर 24 मिनट तक)। ये तीनो मुहूर्त कलश स्थापना के लिए प्रशस्त हैं।

ऐसे करें पूजन-अर्चन
ज्योतिर्विद पंडित राजेश कुमार शर्मा के अनुसार, नवरात्रि का पर्व आरंभ करने के लिए मिट्टी की वेदी बनाकर उसमें जौ और गेंहू मिलाकर बोएं। उस पर विधि पूर्वक कलश स्थापित करें। कलश पर देवी जी मूर्ति (धातु या मिट्टी) अथवा चित्रपट स्थापित करें। नित्यकर्म समाप्त कर पूजा सामग्री एकत्रित कर पवित्र आसन पर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठें तथा आचमन, प्राणायाम, आसन शुद्धि करके शांति मंत्र का पाठ कर संकल्प करें। रक्षादीपक स्थापित करें

सर्वप्रथम क्रमश: गणेश-अंबिका, कलश (वरुण), मातृका पूजन, नवग्रहों तथा लेखपालों का पूजन करें। प्रधान देवता-महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती-स्वरूपिणी भगवती दुर्गा का प्रतिष्ठापूर्वक ध्यान, आह्वान, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, गन्ध, अक्षत, पुष्प, पत्र, सौभाग्य द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, ऋतुफल, ताम्बूल, निराजन, पुष्पांजलि, प्रदक्षिणा आदि षोडशोपचार से विधिपूर्वक श्रद्धा भाव से एकाग्रचित होकर पूजन करें/

शारदीय नवरात्रि का कार्यक्रम–


07 अक्तूबर- मां शैलपुत्री पूजा व घटस्थापना
08 अक्तूबर- मां ब्रह्मचारिणी पूजा
09 अक्तूबर- मां चंद्रघंटा पूजा
10 अक्तूबर- मां कुष्मांडा पूजा
11 अक्तूबर- मां स्कंदमाता और मां कात्यायनी पूजा
12 अक्तूबर- मां कालरात्रि पूजा
13 अक्तूबर- मां महागौरी पूजा
14 अक्तूबर- मां सिद्धिदात्री पूजा

—– ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा
 

By vandna

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