प्रक्रति की सुन्दरता
इसका उल्लेख केदारखंड व स्कंद पुराण में मिलता है। यह भी कहा जाता है राजा इंद्र ने यहां मां की आराधना कर अपना खोया हुआ राज्य प्राप्त किया था। सुरकंडा मंदिर में गंगा दशहरा के मौके पर देवी के दर्शनों का विशेष महात्म्य है। माना जाता है कि इस समय जो देवी के दर्शन करेगा, उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। यह जगह बहुत रमणीक है। यहां से बदरीनाथ केदारनाथ, तुंगनाथ, चौखंबा, गौरीशंकर, नीलकंठ आदि सहित कई पर्वत श्रृखलाएं दिखाई देती हैं।
कपाट खुलने का समय- वर्षभर खुले रहते हैं कपाट। मौसम- सर्दियों में अधिकांश समय यहां पर बर्फ गिरी रहती है। मार्च व अप्रैल में भी मौसम ठंडा ही रहता है। मई से अगस्त तक अच्छा मौसम। पहनावा- यहां अधिकांश समय गर्म कपड़ों का ही प्रयोग करते हैं। यात्री सुविधा- मंदिर प्रांगण में यात्रियों के ठहरने के लिए धर्मशालाओं की सुविधा है। वायु मार्ग – जौली ग्रांट हवाई अड्डा।
रेल मार्ग –ऋषिकेश में निकटतम रेलवे स्टेशन सड़क मार्ग- सुरकंडा देवी मंदिर पहुंचने के लिए हर जगह से वाहन सुविधा उपलब्ध है। देहरादून वाया मसूरी होते हुए 73 किमी दूर तय कर कद्दूखाल पहुंचना पड़ता है। यहां से दो किमी पैदल दूरी पर मंदिर है। ऋषिकेश से वाया चंबा होते हुए 82 किमी दूरी तयकर भी यहां पहुंचा जा सकता है।
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