नई दिल्ली। एक कॉल सेंटर में काम करने वाला 22 वर्षीय निशांत (बदला हुआ नाम) की जीवनशैली उसकी उम्र के बहुत सारे लड़कों की तरह बहुत बेतरतीब थी। वह दिन में सिर्फ चार घंटे सोता, खाने में अक्सर अत्यधिक कॉलेस्टरॉल और ट्रांस फैट वाला जंक फूड खाता और तनाव मुक्त रहने के लिए शराब और सिगरेट का सेवन करता।
एक दिन काम के दौरान उसने बेचैनी महसूस की और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, वह बेहोश होकर गिर पड़ा। उसके सहकर्मी उसे अस्पताल लेकर गए जहां पर पता चला कि उसे दिल का दौरा पड़ा है। शुरुआती एंजियोप्लास्टी से पता चला कि बाई एंटीरियर डीसेंडिंग आर्टरी पूरी तरह से ब्लॉक होने की वजह से उसे दिल का दौरा पड़ा।
इस ब्लॉकेज को खोलने के लिए स्टेंट डालना पड़ा और अब वह सेहतमंद जिंदगी जी रहा है। बहुत सारे लोगों को हैरानी होगी कि इतनी कम उम्र में किसी को दिल का दौरा पड़ सकता है, लेकिन 21वीं सदी के युवाओं का सच यही है कि 40 साल से कम उम्र के 40 प्रतिशत युवा दिल के दौरे का शिकार हो रहे हैं। इस बारे में जानकारी देते हुए मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, पटपड़गंज और कार्डियक कैथ लैब के एसोसिएट डायरेक्टर व प्रमुख डॉ. मनोज कुमार बताते हैं, हमारे पास नियमित तौर पर आने वाले कई मामलों में से निशांत का मामला भी शामिल है। अब यह बहुत आम बात हो गई है कि हमारे पास दिल के दौरे से पीड़ित जो मरीज आते हैं, उनकी उम्र 20वें साल में होती है, जबकि पहले ऎसे मामले बेहद कम होते थे।
उन्होंने कहा, अपने निजी तजुर्बे से मैं कह सकता हूं कि पिछले 10 सालों में 40 साल से कम उम्र के लोगों में दिल के दौरे पड़ने की संख्या 25 प्रतिशत से बढ़ कर 30 से 40 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। इसका मुख्य कारण आज की युवा पीढ़ी की गैर-सेहतमंद जीवन शैली है। आज के युवाओं की जीवनशैली में अत्यधिक तनाव, खुले में होने वाली खेल और अन्य गतिविधियों में कम समय देना और घर के अंदर टीवी, लैपटॉप और आईपैड पर ज्यादा वक्त बिताना आम तौर पर शामिल है। वह कम सोते हैं, जंक फूड खाते हैं और धूम्रपान व शराब के सेवन की बुरी आदतों मे बहुत छोटी उम्र में प़ड जाते हैं। उनमें मुकाबले की भावना बहुत ज्यादा है, जिस वजह से वह अपने विरोधी को पछ़ाडने के अतिरिक्त तनाव में हर वक्त रहते हैं।
इस वजह से अपने पूर्वजों के मुकाबले उन्हें दिल का दौरा प़डने की संभावना बढ़ जाती है। सभी बुरी आदतों में धूम्रपान दिल के रोगों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है। शोध से पता चला है कि पुरी दुनिया के दिल के रोगों के दसवें हिस्से के लिए धुम्रपान मुख्य कारण है। जब कोई तंबाकू का धुआं अंदर खींचता है तो उससे कार्बन मोनोआक्साइड बनता है, जिससे रक्त में आक्सीजन प्रवाहित करने की क्षमता कम हो जाती है और शरीर के अहम अंग और टीशूज में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। कार्बन मोनोआक्साईड की वजह से प्लेटलेस्ट में चिपचिपापन और एथेरोसिलेरोसिस आ जाता है जिससे अचानक मौत होने का खतरा बढ़ जाता है। निशांत के मामले में भी उसकी धूम्रपान की आदत ही मुख्य वजह मानी जाएगी।
युवाओं द्वारा सेहत को बिगाड़ने वाले कदम उठाने के पीछे तनाव ही मुख्य कारण होता है, इसलिए मेडिटेशन, सांस के व्यायाम और योग अपनाने की सलाह दी जाती है। जीवनशैली में बदलाव करते हुए ताजा फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, उच्च मात्रा में फाइबर युक्त, संपूर्ण अनाज का आहार लेने और शारीरिक गतिविधियों में शामिल होने के अलावा तंबाकू और शराब के सेवन की मात्रा सीमित रखने से दिल को सेहतमंद रखा जा सकता है।
युवा पीढ़ी को सोचना चाहिए कि पहले की पीढ़ी के मुकाबले उन्हें ज्यादा खतरा है और उनके दिल की सेहत उन्हीं के हाथ में है। एक तरफ मेडिकल सुविधाएं हमारी उम्र बढ़ा रही हैं, दूसरी तरफ युवा अपनी सेहत की परवाह ना करके स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता का ध्यान नहीं रख रहे हैं। जीवनशैली में साधारण बदलाव करके इस पीढ़ी की सेहत की सुरक्षा लंबे समय तक की जा सकती है।
एजेंसी
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