नयी दिल्ली। आज शिक्षक दिवस है। अर्थात भारत के पहले उप राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिवस। डॉ. राधाकृष्णन के शिक्षा में योगदान को सम्मान देते हुए उनका जन्मदिवस 5 सितंबर को ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। डॉ. राधाकृष्णन 1962 ये 1967 तक भारत के राष्ट्रपति रहे।
डॉ राधाकृष्णन का मानना था कि विश्वविद्यालयों का मुख्य काम डिग्री या डिप्लोमा बांटना नहीं है, बल्कि छात्रों में एडवांस लर्निंग की भावना पैदा करना है। छात्रों को जीवन की चुनौतियों से तैयार करना है। टीचर्स डे यानि शिक्षक दिवस के अवसर आवश्यक हो जाता है कि उनके विचार जाने जायें।
यहां प्रस्तुत हैं डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के कुछ ओजस्वी विचार –
1- यहां पूजा भगवान की नहीं बल्कि उनकी होती है जो भगवान के नाम पर बोलने का दावा करते हैं।
2- अपने पड़ोसी को उतना प्यार करो जितना खुद को करते हो, क्योंकि तुम ही अपने पड़ोसी हो।
3- शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करे।
4- पुस्तकें वह माध्यम हैं जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकें।
5- शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है। अतः विश्व को एक ही ईकाई मानकर शिक्षा का प्रबंध किया जाना चाहिए।
6- शांति राजनीतिक या आर्थिक बदलाव से नहीं आ सकती बल्कि मानवीय स्वभाव में बदलाव से आ सकती है।
7- शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए, जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के खिलाफ लड़ सके।