र्तमान समय में पूरा देश कोरोना आपदा के कठिन दौर से गुजर रहा है। आधे से अधिक राज्यों मे लॉकडाउन लगा हुआ है जिसके कारण रोजगार और कामधंधा चौपट हो गया है। इन हालात में जीवन और आजीविका दोनों को बचाने की कठिन चुनौती देश के सामने हैं। ऐसे में वर्क फ्रॉम होम के ढांचे को मजबूत कर ही हम अर्थव्यवस्था को गिरने से बचा सकते हैं।                                  

हम डिजिटल इंडिया में रह रहे हैं। डिजिटल प्लेटफार्म में लोगों की रुचि तेजी से बढ़ रही हैं। ऑनलाइन खरीददारी, ऑनलाइन लेन-देन , ऑनलाइन विज्ञापन, ऑनलाइन वर्कशॉप, वर्चुअल मीटिंग्स, गूगल मीट, ज़ूम मीट, फेसबुक मोड का चलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है। देश की आधे से अधिक कारोबार आउटसोर्सिंग के माध्यम से ही चल रहे हैं। देश में हजारों बीपीओ चल रहे हैं जिनमें लाखों युवा कार्यरत हैं। कोरोना की आपदा में वर्क फ्रॉम होम, ऑनलाइन पढ़ाई, वर्चुअल मीटिंग बहुत कारगर सिद्ध हो रही है। वर्क फ्रॉम होम एम्पलॉइज और कंपनी दोनों के लिए लाभकर सिद्ध हो रहा है। सर्वे बताते हैं कि वर्क फ्रॉम होम सिस्टम से एम्पलॉइज की काम करने की  क्षमता बढ़ी है, कन्वेंस के खर्चे और कार्यालय आने-जाने में लगने वाले समय की बचत हो रही है। घर में रहने से वह कोरोना के संक्रमण की चिंता से भी मुक्त है। इसलिए वह खूब मन लगा कर काम करता है। इससे कंपनियों की उत्पादकत भी बढ़ रही है।

मल्टीनेशनल कंपनियों की तर्ज पर ही सरकारी कार्यालयों में भी वर्क फ्रॉम होम का चलन बढ़ रहा है। देश की शिक्षा व्यवस्था तो कारोना काल में पूरी तरह ऑनलाइन के सहारे ही चल रही है। ऑनलाइन क्लासेस, ऑनलाइन टेस्ट, ऑनलाइन कॉम्पटीशन एवं ऑनलाइन एग्जाम छात्र-छात्राओं की पहली पसंद बनते जा रहे हैं। वर्क फ्रॉम होम, ऑनलाइन पेमेंट, ऑनलाइन खरीददारी एवं ऑनलाइन बिजनेस का लाभ सभी लोग ले सकें, इसके लिए डिजिटल प्लेटफार्म को और मजबूत और कारगर बनाने की जरूरत है। देश की कई आईआईटी ने इसके लिए प्रयास भी करने शुरू कर दिए हैं।

कॉरोना की यह आपदा कब तक चलेगी, इसके बारे में अभी कुछ निश्चित नहीं है। इसलिए लोगो की आजीविका बचाने और अर्थव्यवस्था को धाराशायी होने से बचाने के लिए वर्क फ्रॉम होम का ढांचा मजबूत करना होगा।         

सुरेश बाबू मिश्रा

(सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य)

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