बरेली के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) परिवार के साथ ही भारतीय जनता पार्टी में भी हासा नंद छाबरिया का एक बड़ा कद था। वह भाजपा के राष्ट्रीय पार्षद भी रहे। भाजपा सांसद राजवीर सिंह के मित्र रहे हासा नंद के निवास पर भाजपा के लालकृष्ण आडवाणी, कलराज मिश्र, मुरली मनोहर जोशी, सुंदर सिंह भंडारी, रामलाल सहित कई नेताओं का आना-जाना लगा रहता था। केंद्रीय मंत्री संतोष कुमार गंगवार उनके चरण स्पर्श कर और टोकन अंशदान लेकर ही अपने चुनाव अभियान की शुरुआत करते थे। यह परंपरा हासा नंद के बाद भी कायम है जिसे उनके पुत्र मुकेश कुमार निभा रहे हैं। मुकेश कुमार छाबरिया भी युवा भाजपा एवं भाजपा में कई पदों पर रहे हैं।
अविभाजित भारत के जिला सख्खर के पन्ना आकिल गांव में 13 जुलाई 1934 को पारुमल छबरिया के यहां हासा नंद छाबरिया का जन्म हुआ था। भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद उनका परिवार भारत आकर कुछ दिन फैजाबाद में रहा। बाद में बरेली हासा नंद छाबरिया की कर्मभूमि बनी। यहीं मकर संक्रांति के दिन जनवरी 2018 में उनका निधन हो गया।
बरेली के ईंट कारोबार में एक बड़ा नाम रहे हासा नंद वर्षों ईंट निर्माता समिति, बरेली के अध्यक्ष रहे। उत्तर प्रदेश कमेटी में भी पदाधिकारी रहे। पूज्य सिंधी पंचायत के भी वह मुखी रहे। सिंधी पंचायत को एक सूत्र में बांधने के लिए वह होली, दीपावली के अलावा भी समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कराते रहे। उन्होंने बरेली कैंट से विधायक रहे ईंट कारोबारी रफीक अहमद उर्फ रफ़्फ़न के साथ यूरोपीय देशों में का दौरा कर ईंट निर्माण की आधुनिक प्रक्रिया को जाना-समझा। कई सिंधी परिवारों को उन्होंने अपना व्यापार खड़ा कर आत्मनिर्भर बनने में भी मदद की। वर्ष 1980 में जब मैं दैनिक आज में था, हमारे लखनऊ ब्यूरो प्रमुख (पूर्व सांसद) राजनाथ सिंह सूर्य ने मुझे बताया था कि हासा नंद और वह फैजाबाद में एक ही कक्षा में पढ़ते थे। हासा नंद के पुत्र मुकेश कुमार अब पिता की विरासत को संभालने के प्रयास में लगे हैं पर वह अपनी पारिवारिक परेशानियों एवं व्यापार में कुछ लोगो से मिले धोखे से उबर नहीं पा रहे हैं।
निर्भय सक्सेना
(लेखक पत्रकार संगठन उपजा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं )