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चीन की अकड़ पर भारी पड़ती भारत की धमक

रुणाचल प्रदेश और लद्दाख में चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चल रहे तनाव के बीच भारत ने चीन को चेताया है कि वह यथास्थिति में एकतरफा बदलाव की हरकतें करना बंद कर पूर्व में हुए समझौते पर अमल करे। भारत ऐसे किसी बदलाव को बर्दाश्त नहीं करेगा। यही नहीं, भारत ने चीन सीमा पर अत्याधुनिक मिसाइलें तैनात कर दी हैं। समंदर के साथ ही आसमान में भी अपनी ताकत बढ़ाकर चीन की घेराबंदी कर दी है। क्वाड देशो की नौसेनाओं का संयुक्त मलाबार अभ्यास भी एक तरह से चीन को चुनौती ही है।

सबसे बड़ा बदलाव आया है सीमा पर। सीमा पर बुनियादी ढांचा तो मजबूत हुआ ही है, सेना की वहां तक पहुंच भी आसान और तेज हो गई है। अटल टनल के बाद अब और एक बड़ी सुरंग पर काम चल रहा है। भारत सीमावर्ती इलाकों में तेजी से सडकों और पुलों का जाल बिछा रहा है। इसके लिए सीमा सड़क संगठन तो सक्रिय है ही, 12 हजार फुट की ऊंचाई पर लाहौल स्फीति और किन्नौर को जोड़ने वाली सामरिक महत्व की 32 किलोमीटर लंबी एक सड़क पीडब्लूडी बनाएगा। इससे शिमला से काजा की दूरी 150 जबकि समङो सीमा की दूरी 100 किलोमीटर कम हो जाएगी।  

हर मोर्चे पर ड्रैगन की घेराबंदी

दरअसल, चीन की अब हर मोर्चे पर अन्य देशो के साथ मिलकर घेराबंदी की जा रही है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि संबंधों में सामान्य स्थिति की बहाली तभी होगी जब दोनों देश पूर्व में हुए समझौते का निष्ठा के साथ सम्मान करें। जहां तक एलएसी का सवाल है, यथास्थिति बदलने का कोई भी एकतरफा प्रस्ताव अस्वीकार्य है। जयशंकर ने सीमा पार के आतंक को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं करने की बात भी कही है। साथ ही दो टूक शब्दों में कहा है- बहुध्रुवीय दुनिया की अवधारणा का आधार बहुध्रुवीय एशिया होना चाहिए। इस संबंध में टू प्लस टू वार्ता में अमेरिका के साथ सहमति भी बनी है। अमेरिका के विदेश मंत्री ने बीका करार को रक्षा सहयोग शेत्र में मील का पत्थर करार दिया है।

भारत की बढ़ती सैन्य ताकत और दुनिया में धमक को देख चीन अब भारत के साथ सीमा विवाद को द्विपक्षीय मुद्दा बता रहा है, जबकि इससे पहले वह भारत के बहाने दुनिया को धमकाने की कोशिश कर रहा था। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेंगबिन ने कहा कि अमेरिका को अपनी हिंद प्रशांत रणनीति को बदलना चाहिए। चीन अमेरिका की इस गलत नीति की निंदा करता है। भारत के साथ सीमा विवाद उसका द्विपक्षीय मुद्दा है।

सैन्य मोर्चे पर भारत ने बढ़ाई ताकत

कूटनीतिक मोर्चे के साथ ही भारत सैन्य मोर्चे पर भी हर संभव कदम उठा रहा है। पिछले दिनों सैन्य कमांडरों की बैठक में सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने चीन सीमा पर तैयारी की समग्र समीक्षा की। इस बैठक में युवा सैन्य प्रतिभाओं को तराशने सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई। चीन पूर्वी लद्दाख के पास एलएसी पर सर्दी के मौसम में रहने वाले -40 डिग्री तापमान को मद्देनजर अपने सैनिकों के लिए केबिन व अन्य सामान भेज रहा है। भारत की तैयारी इससे भी पहले शुरू हो गई थी। भारतीय सेना ने एलएसी के पास ऐसे अस्थायी टेंट लगाएं हैं जो सर्दी में भी गुनगुना एहसास देंते हैं। साथ ही भारत अब अमेरिका से और वारफेयर किट खरीद रहा है। ये वारफेयर किट हिमालय के ऊंचाई वाले क्षेत्रों के अत्यंत सर्द मौसम में भी शरीर का तापमान उचित स्तर पर बनाए रखते हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिका के रक्षा मंत्री मार्क इसपर के साथ टू प्लस टू वार्ता में बेसिक एक्सचेंज एंड को ऑपरेशन एग्रीमेन्ट (बीका ) पर भी हस्ताक्षर किए है, जिसके तहत अब भारत को सामरिक डेटा मिल सकेगा। अमेरिका के उपग्रहों से मिलने वाले इस डेटा की मदद से भारत दुश्मनो के ठिकानो को मिसाइल से निशाना बना सकेगा। हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन को टक्कर देने के लिए रक्षा सहयोग पर भी सहमति बनी है। इसके अलावा सैन्य सहयोग को और बढ़ाने एवं  आयुध निर्माण में सहयोग पर भी मंथन हुआ।

मलाबार अभ्यास के बहाने कड़ा संदेश

भारत इन दिनों क्वाड के सहयोगी देशों- अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाओं के साथ संयुक्त मलाबार अभ्यास कर रहा है। इसका पहला चरण 3 नवंबर को शुरू हुआ था जो 6 नवंबर तक चलना है। इससे चीन में हड़कंप है। दूसरा चरण 17 से 20 नवंबर 2020 तक अरब सागर में ही होगा। चीन के साथ जारी तनातनी के बीच ही भारत ने पृथ्वी, अग्नि, ब्रहमोस, नाग आदि मिसाइलों के एडवांस वर्जन के कई परीक्षक कर जता दिया है कि वह “मिसाइल महाशक्ति” बन चुका है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का इसी महीने तीन बार दुनिया के अलग-अलग और महत्वपूर्ण मंचो पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आमना-सामना होना है। शंघाई शिखर वार्ता के साथ दोनों दिग्गजों की मुलाकात का दौर शुरू होगा। 10 नवंबर 2020 को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के मंच पर यह मुलाकात होनी निर्धारित है। इसके बाद  17 नवंबर की पांच  उभरती अर्थव्यवस्था के देशों के संगठन ब्रिक्स की शिखर वार्ता के दौरान मोदी और जिनपिंग फिर आमने-सामने होंगे। 21 से 22 नवंबर 2020 तक चलने वाली जी20  समिट में भी चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आमना-सामना हो सकता है। बहरहाल, इन शीर्ष नेताओँ का आमना-सामना होने से ज्यादा महत्वपूर्ण यह होगा कि ये मुलाकातें किसी निर्णायक बिंदु तक पहुंचती हैं या नहीं।

निर्भय सक्सेना

(लेखक उपजा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं)

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