Opinion

ऑलाइन परीक्षा बन सकती है कारगर विकल्प

कोरोना आपदा की विषम परिस्थितियों को देखते हुए देश के अधिकतर परीक्षा बोर्डों ने हाईस्कूल एवं इण्टर की परीक्षा रद्द कर दी है तो कुछ बोर्ड परीक्षा रद्द करने की तैयारी में हैं। वर्तमान परिस्थितियों में परीक्षा रद्द करने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प भी सरकारों या बोर्डों के पास नहीं है। इसलिए परीक्षा रद्द करने के औचित्य पर सवाल नहीं उठाया जा सकता।

बारहवीं की परीक्षा छात्र-छात्राओं के जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। इस परीक्षा के बाद उनके भावी जीवन की दिशा तय होती है। वह मेडिकल क्षेत्र में जाएगा या अभियंत्रण क्षेत्र में, प्रोफेशनल कोर्स करेगा या फिर उच्च शिक्षा अर्जित करेगा, इसका निर्धारण उसका इण्टर का परीक्षाफल करता है। इसलिए इण्टर की परीक्षाएं रद्द होने से अनेक प्रकार की चुनौतियां एवं विसंगतियां सामने आएंगी और इससे शैक्षिक उत्कृष्टता पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है।

भारतीय मेधा का लोहा पूरी दुनिया मानती है। ऐसे में परीक्षाएं रद्द होने से प्रतिभाशाली छात्र-छात्राएं परीक्षा में अपनी मेधा का प्रदर्शन करने से वंचित रह जाएंगे और उनकी प्रतिभा का सही मूल्यांकन नहीं हो सकेगा। यदि प्रतिभावान और कमजोर विद्यार्चियों का मूल्यांकन एक ही फार्मूले के आधार पर किया जाएगा तो उनकी प्रतिभा की साख का क्या होगा? यह एक जटिल प्रश्न है।

कोरोना वायरस बार-बार अपनी प्रकृति बदल रहा है। इसके नए-नए म्यूटेंट सामने आ रहे हैं। इसलिए कोरोना की आपदा कब तक चलेगी इसके बारे में सही आंकलन करना कठिन है। ऐसे में परीक्षा का स्थाई विकल्प तलाशना होगा। ऑनलइन परीक्षा वर्तमान परीक्षा का कारगर विकल्प बन सकती है मगर इसमें डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी आड़े आ सकती है।

नई शिक्षा नीति 2020 में ई-लर्निंग और ऑनलाइन शिक्षा पर काफी बल दिया गया है। कोरोना काल में ऑलाइन पढ़ाई कक्षा शिक्षण का कारगर विकल्प बनकर उभरी है। ऐसे में सरकार को ऑलाइन परीक्षा के विकल्प पर गम्भीरतापूर्वक विचार करना होगा। ऑलाइन परीक्षा कराने में गांवों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी और विद्यार्थियों के पास लैपटाप, टेबलेट या स्मार्ट फोन का अभाव आड़े आ सकता है। इस कठिनाई को दूर करने के लिए सरकार देश की कुछ आईटी कम्पनियों को डिजिटल स्ट्रक्चर मजबूत करने तथा ऑलाइन परीक्षा प्रॉसेस विकसित करने की जिम्मेदारी दे सकती है। ऑलाइन परीक्षा यदि कारगर रहती है तो इससे परीक्षा पर व्यय होने वाली भारी भरकम धनराशि, लम्बा समय एवं मानव संसाधन सभी की बचत होगी और परीक्षा की पारदर्शिता एवं शुचिता भी बनी रहेगी।

सुरेश बाबू मिश्रा

(सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य)

gajendra tripathi

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