त्तर प्रदेश में नाइट कर्फ्यू और वीकेंड लॉकडाउन कोरोना की बढ़ती रफ्तार को रोकने में कारगर सिद्ध नहीं हो पा रहे हैं। इनसे संक्रमण की रफ्तार स्थिर तो हुई है मगर संक्रमितों की संख्या में कमी नहीं आई है। प्रदेश में अब भी प्रतिदिन 25 से 30 हजार संक्रमित मिल रहे हैं। इसलिए कोरोना की मजबूत होती चेन को तोड़ने के लिए पूर्ण लॉकडाउन ही एकमात्र विकल्प है।

यह बात निर्विवाद सत्य है कि वर्तमान आपदा में जीवन और आजीविका दोनों बचाना जरूरी है। मगर जब जीवन पर ही संकट मंडरा रहा हो तो सबसे पहले उसे बचाना जरूरी है। इसलिए मौतों के अनवरत सिलसिले को रोकने के लिए पूर्ण लॉकडाउन जरूरी है। प्रदेश सरकार को कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित जिलों में एक महीने का लॉकडाउन लगा देना चाहिए। लॉकडाउन के दौरान इन जिलों की सीमाओं को पूरी तरह से सील कर देना चाहिए जिससे संक्रमण की रफ्तार इनसे सटे हुए अन्य जिलों में नहीं पहुंच सके। आवश्यक सेवाओं को छोड़कर शेष सभी प्रकार की गतिविधियों को पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए।

लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराना भी आवश्यक है। अभी वीकेंड लॉकडाउन के दौरान यह देखा जा रहा है कि मुख्य सड़कों और मुख्य बाजारों में तो लोग नहीं जा रहे हैं मगर गलियों और मुहल्लों में आवाजाही और समूह में बैठकर बातचीत करना जारी रहता है। मुहल्ले के पार्कों और गलियों में लड़के क्रिकेट खेलते और पतंग उड़ाते रहते हैं। मोहल्लों की छोटी-छोटी दुकानें खुली रहती हैं और उन पर लोगों का आना-जाना लगा रहता है। इन सब गतिविधियों के दौरान काफी लोगों को बिना मास्क के भी देखे जा सकते हैं। इसे रोकने के लिए स्थानीय प्रशासन को लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराना चाहिए और लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। लोग खुद जागरूक हों और लॉकडाउन और कोविड प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करें तभी हम कोरोना की चेन को तोड़ सकते हैं।

वर्ष 2019 में सबसे पहले चीन के वुहान शहर में कोरोना की शुरुआत हुई। कुछ अपवादों को छोड़ दें तो चीनी शासकों ने अपनी मुस्तैदी से इसे वुहान से बाहर देश के अन्य हिस्सों में नहीं फैलने दिया। जैसे ही संक्रमितों की संख्या एक हजार से ऊपर पहुंची उन्होंने वुहान शहर की सीमाओं को पूरी तरह से सील कर दिया। न कोई वुहान में प्रवेश कर सकता था और न कोई बाहर जा सकता था। वुहान के सभी लोगों की जांच कर संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। पूरे वुहान में तीन महीने का लॉकडाउन लगा दिया गया। वहां के प्रशासन ने वुहान के लोगों से घरों से बाहर नहीं निकलने या आवश्यक सावधानी बरतने की अपील नहीं की बल्कि सभी घरों के मेनगेट पर अपने ताले लगा दिए जिससे कोई भी घर से बाहर नहीं निकल सके।

प्रशासन ने वुहान को अलग-अलग सेक्टरों में बांटकर हर सेक्टर के लिए प्रशासनिक टीम बना दी। यह टीम दिन में एक बार घर का ताला खोलती थी और सब्जी, दूध एवं अन्य आवश्यक वस्तुएं वहां रहने वाले लोगों को उपलब्ध कराती थी। यदि किसी को अन्य सामग्री की जरूरत होती थी तो वह उसकी सूची प्रशासनिक टीम को दे देता था और अगले दिन टीम उन वस्तुओं को पहुंचा देती थी। लगातार तीन महीने तक यही क्रम चलता रहा। इस प्रशासनिक सख्ती और सूझ-बूझ का ही परिणाम रहा कि चार-पांच महीने में ही वुहान पूरी तरह से कोरोना मुक्त हो गया।

चीन हमारा शत्रु देश है मगर अच्छी बात कहीं से भी सीखने में कोई बुराई नहीं है। आज अपने प्रदेश में भी कोरोना पर पूरी तरह से काबू पाने के लिए ऐसे ही सख्त कदमों की जरूरत है। हम जितनी देर करेंगे, हालात उतने ही बिगड़ेंगे।

 

सुरेश बाबू मिश्रा

(लेखक साहित्यकार एवं पूर्व प्रधानाचार्य हैं)

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