Opinion

पुण्यतिथि पर विशेष– कई बार बरेली आए थे राजीव गांधी

-पुण्यतिथि 21 मई पर विशेष-

पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी का बरेली में कई बार आना हुआ। मेरा यह सौभाग्य रहा कि बरेली के त्रिशूल हवाई अड्डे पर उनकी मां इंदिरा गांधी के साथ लाउंज में आमने-सामने बैठकर चाय के दौरान काफी राजनीतिक चर्चा हुई। यह तब की बात है जब आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी चुनाव हार गई थीं और देश में मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार थी। इंदिरा गांधी देश का तूफानी दौरा कर रही थीं। उसी दौरान 1970 दशक के अंत में वह अपने ज्येष्ठ पुत्र राजीव गांधी के साथ बरेली एयरपोर्ट पर आई थीं। उसी दौरान जब मैंने राजीव गांधी से पूछा कि क्या आप भी राजनीति में उतरेंगे तो उनका सपाट सा जवाब था, “मैं तो मम्मी जी के साथ घूमने के इरादे से आया हूं।”

इंदिरा गांधी को नानकमत्ता जाना था। मैने भी कांग्रेस के बड़े नेता राम सिंह खन्ना की कार से एक विदेशी पत्रकार के साथ नानकमत्ता तक का दौरा किया। इसके बाद एक बार और त्रिशूल एयरपोर्ट पर ही इंदिरा गांधी के साथ राजीव गांधी का आना हुआ। उस दौरान मैंने राजीव गांधी के सामने अपना पुराना सवाल दोहराया, “क्या राजनीति में आने के लिए ही आपके ये दौरे हो रहे हैं?” इस पर वह मुस्कुराए और हाथ जोड़कर आगे बढ़ गए।

इंदिरा गांधी जनता पार्टी के संक्षिप्त शासनकाल के बाद सत्ता में वापस आईं। 31 अक्तूबर 1984 को उनकी हत्या के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने। उनके कार्यकाल को कम्प्यूटर क्रांति के समय के रूप में याद किया जाता है।

राजीव गांधी की 20 मई 1991 को बरेली के बिशप मंडल इंटर कॉलेज में दोपहर में जनसभा हुई थी। यहां भी मेरा उनसे पत्रकार साथियों के साथ सामना हुआ। नमस्कार का जवाब देते हुए वह पत्रकारों से कन्नी काट गए और दक्षिण राज्यों के चुनावी सफर पर निकल गए। इसके अगले दिन 21 मई 1991 श्रीपेरंमबदुर में उनकी हत्या के समाचार से देशवासी सन्न रह गए।    


3 फरवरी 1982 को बरेली के फतेहगंज पश्चिम में एक जनसभा में राजीव गांधी। साथ में भोजीपुरा से विधायक व उत्तर प्रदेश में कैबिनेट मंत्री रहे भानु प्रताप सिंह।  (चित्र सौजन्य निर्भय सक्सेना)

40 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बनने वाले राजीव गांधी भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे। साथ ही दुनिया के उन युवा राजनेताओं में से एक थे जिन्होंने सरकार का नेतृत्व किया। भारत में कम्प्यूटर क्रांति का जनक कहे जाने वाले राजीव गांधी को देश के इतिहास में सबसे बड़ा जनादेश प्राप्त हुआ था। अपनी मां की हत्या के शोक से उबरने के बाद उन्होंने लोकसभा का चुनाव कराया और उस चुनाव में कांग्रेस को पिछले सात चुनावों की तुलना में अधिक अनुपात में मत मिले और उसने 508 में से 401 लोकसभा सीटें प्राप्त कीं।

राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को मुम्बई में हुआ था। उनके पिता फिरोज गांधी भी सांसद थे और स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रहे। राजीव गांधी ने देहरादून के वेल्हम स्कूल और दून स्कूल में शिक्षा ली। इसके बाद कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज में पढ़े और लंदन के इम्पीरियल कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।

यह तो स्पष्ट था कि राजनीति को अपना करियर बनाने की राजीव गांधी की जरा-सी भी इच्छा नहीं थी। उनके मित्रों के अनुसार, उन्हें पश्चिमी,  हिंदुस्तानी शास्त्रीय, और आधुनिक संगीत पसंद था। फोटोग्राफी एवं रेडियो सुनना भी उनका शौक था। राजीव गांधी को हवाई जहाज उड़ाने का जुनून था। इंग्लैंड से घर लौटने के बाद उन्होंने नई दिल्ली के फ्लाइंग क्लब में प्रवेश परीक्षा पास कर वाणिज्यिक पायलट का लाइसेंस प्राप्त किया और घरेलू विमानन कंपनी इंडियन एयरलाइंस में पायलट बन गए।

कैम्ब्रिज में ही राजीव गांधी की मुलाकात इतालवी युवती अंतोनियो माईनो से हुई थी जो उस समय वहां अंग्रेजी की पढ़ाई कर रही थीं। उन्होंने 1968 में अंतोनियो माइनो (सोनिया) से दिल्ली में शादी कर ली। वह पत्नी सोनिया और दोनों बच्चों  राहुल एवं प्रियंका के साथ दिल्ली में मां इंदिरा गांधी के सरकारी आवास में ही रहते थे।

1980 में एक विमान दुर्घटना में छोटो भाई संजय गांधी के निधन के बाद राजीव गांधी पर राजनीति में प्रवेश करने एवं अपनी मां इंदिरा गांधी का राजनीतिक कार्यों में सहयोग करने का दवाब बढ़ गया था। उन्होंने संजय गांधी की मृत्यु के कारण खाली हुए उत्तर प्रदेश के अमेठी संसदीय क्षेत्र का उपचुनाव जीता और कांग्रेस के महासचिव के रूप में पार्टी संगठन को सक्रिय किया। 31 अक्टूबर 1984 को अपनी मां की हत्या के बाद वह कांग्रेस अध्यक्ष एवं देश के प्रधानमंत्री बने थे।

राजीव गांधी स्वभाव से गंभीर थे पर आधुनिक सोच होने के साथ ही उनमें तुरंत निर्णय लेने की उनमें क्षमता थी। उनकी असमय मौत की वजह से देश ने नई सोच का ऊर्जावान नेता खो दिया।

निर्भय सक्सेना

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

 
gajendra tripathi

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