कोरोना की दूसरी लहर में देश में जिस तरह से संक्रमित मरीजो की संख्या बढ़ रही है, उससे अस्पतालों में बेड एवं मेडिकल ऑक्सीजन का संकट गहराने लगा। हाल यह हो गया कि इस आपदा काल में भी इंजेक्शन, मेडिकल ऑक्सीजन की ब्लैक मार्केटिंग करने वाले कुछ तत्व अफवाहें फैलाने के साथ ही अपनी जेबें भरने से भी बाज नहीं आ रहे। इस पर शासन-प्रशासन ने सख्ती कर हवालात का रास्ता भी दिखाया। देश में अब कुल वैक्सीनेशन का आंकड़ा 100 दिन में ही 14 करोड़ 19 लाख 11 हजार 223 हो गया है। कुछ डॉक्टर भी अब देसी दवा एवं योग के जरिये लोगों से शरीर की इम्युनिटी पॉवर एवं प्राकृतिक ऑक्सीजन लेने की सलाह दे रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोविड-19 के नियमों का सख्ती से पालन करने, मास्क एवं दो गज दूरी रखने पर जोर दे रहे हैं। लॉडाउन की आलोचना करने वालों में से एक दिल्ली सरकार ने भी लॉकडाउन की अवधि 3 मई तक और बढ़ा दी है। साथ ही महाराष्ट्र सरकार ने भी लॉकडाउन को अंतिम विकल्प ही माना है। उत्तर प्रदेश में रात्रि कर्फ्यू के साथ ही सप्ताहांत लॉकडाउन भी जारी है। इसके साथ ही अब भारत में जारी कोरोना संकट के बीच अमेरिका के बाइडेन प्रशासन की तरफ से बताया गया है कि भारत को अमेरिका की तरफ से वैक्सीन के लिए कच्चा माल दिया जाएगा। इससे पहले तक अमेरिका की तरफ से कच्चे माल देने पर रोक लगा दी गई थी जिसका भारी विरोध किया जा रहा था। अब जर्मनी, इंग्लैंड भी भारत की मदद को आगे आये हैं। इस सबसे बीच मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन और आपूर्ति के लिए सरकारी संगठनों के साथ ही निजी उपक्रमों ने जिस तत्परता से हाथ आगे बढ़ाए हैं, उससे उम्मीद जगी है कि इस आपदा से देश जल्द ही उबर जाएगा।                              

मेडिकल ऑक्सीजन की देश में सप्लाई चेन बनाने के लिए रेलवे, वायुसेना, नौसेना तक आगे आ गए। सभी साधनों से देश भर में युद्धस्तर पर मेडिकल ऑक्सीजन के टैंकर पहुंचा जा रहे हैं। प्रधानमंत्री केयर फंड से देश भर के सरकारी अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन के 551 प्लांट भी लगाने के लिए संबंधित एजेंसियों को दिशानिर्देश देकर कार्य को कहा गया है। जल्द मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट लगे इसके लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन के साथ मिलकर मोर्चा संभाल लिया है। उत्तर प्रदेश में 46 और उत्तराखंड के 7 जिलों में नए मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए पीएमओ ने मंजूरी दी है। इसके तहत यूपी के बरेली, शाहजहांपुर, बदायूं, पीलीभीत, रामपुर, मुरादाबाद, आगरा, फिरोजाबाद, अलीगढ़, आजमगढ़, बहराइच, बलिया, बांदा, बाराबंकी, बस्ती, बुलंदशहर, देवरिया, इटावा, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, फिरोजाबाद, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, गाजीपुर, गोंडा, गोरखपुर, हरदोई, जालौन, जौनपुर, झांसी, कन्नौज, कानपुर, खीरी, ललितपुर, लखनऊ, सीतापुर, मथुरा, मेरठ, मिर्जापुर, मुजफ्फरनगर,  प्रतापगढ़, प्रयागराज, रायबरेली, सहारनपुर, सुलतानपुर, उन्नाव, वाराणसी में तथा उत्तराखंड के अल्मोड़ा, देहरादून, नैनीताल, पौड़ी गढ़वाल, पिथौरागढ़, उधमसिंहनगर, उत्तरकाशी में लगेंगे नए मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट लगेंगे। यही नहीं उर्वरक बनाने बाली देश की सहकारी कंपनी इफको ने भी अपने प्लांट में मेडिकल ऑक्सीजन के लिए प्लांट स्थापना का कार्य शुरू कर दिया है। देश के लगभग सभी सरकारी एवं निजी स्टील प्लांट भी मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन की में जुट गए हैं। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास ने अयोध्या के दशरथ मेडिकल कॉलेज में भी मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए 55 लाख की राशि जारी की है। टाटा, अम्बानी, जिंदल आदि दिग्गज उद्यमी भी जनता की मदद को आगे आए हैं।

देश मे वर्तमान में 7250 मीट्रिक टन ही मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन होता है। दिल्ली में जहां कोई भी मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट नही है वहांआजकल मेडिकल ऑक्सीजन की मांग 700 मीट्रिक टन हो गई है जबकि पूर्व में यही मांग 378 टन थी। आजकल हॉस्पिटल में भर्ती संक्रमण वाले मरीज को कम से कम 40 से 50 लीटर ऑक्सीजन की जरूरत होती है। प्लांट से राज्यों में ऑक्सीजन लाने के लिए रेलवे, वायुसेना, नोसेना भी  युद्ध स्तर पर लगी है ताकि समय की बचत हो क्योंकि एक टैंकर को प्लांट से राज्यों की दूरी तय करने में 40 से 50 घंटे लगते हैं। आने वाले दिनों में मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन बढ़ा तो टैंकरों की कमी भी आड़े आ सकती है। इसीलिए केन्द्र सरकार ने पीएम केयर फण्ड से सरकारी अस्पतालों में ही मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट लगाने का दूरदर्शी निर्णय लिया है।

देश के स्वयंसेवी लोग जगह-जगह कोविड मरीजो के लिए अतिरिक्त बेड स्कूल, स्टेडियम, मंदिर परिसर तक में लगा रहे है। गुरुद्वारा कमेटियों द्वारा संक्रमित मरीजो को भोजन भेज जा रहा है। हालांकि इस कोरोना काल में भी आपदा पर राजनीति चरम पर है। दिल्ली सरकार केंद्र पर ऑक्सीजन कम देने का आरोप लगा रही है। उसके मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीते दिनों प्रधानमंत्री के साथ मुख्यमंत्रियो की बैठक का लाइव प्रसारण तक कर दिया। प्रधानमंत्री के टोकने पर माफी भी मांग ली जबकि दिल्ली सरकार का कार्यालय कह रहा है कि प्रधानमंत्री की बैठक के लाइव प्रसारण का कोई गाइड लाइन ही नहीं है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी अलग राजनीति करते हैं। अब मेडिकल ऑक्सीजन टैंकर चाहिए, तो इसका भी उन्होंने विज्ञापन दिया है जिसकी कड़ी आलोचना भी हो रही है। कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री अब वैक्सीन की अलग अलग कीमत को लेकर आरोप लगा रहे हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे जहां राज्य के सभी लोगों को मुफ्त वैक्सीन देने की बात कह रहे हैं, वहीं वैक्सीन खरीदने का ग्लोबल टेंडर भी निकालने की बात कह कर इसमें भी राजनीति का तड़का लगा दिया है।                      

निर्भय सक्सेना पत्रकार 

(लेखक उपजा के प्रदेश उपाध्य़क्ष हैं)

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