Opinion

स्वतंत्रता समर का वह अमर क्रांतिकारी जिसे स्वतंत्र भारत में बेचनी पड़ी सिगरेट

  • पुण्यतिथि 20 जुलाई पर विशेष –

ह इतिहास की विडम्बना है कि अनेक क्रातिकारी स्वतंत्रता के युद्ध में सर्वस्व अर्पण करने के बाद भी अज्ञात या अल्पज्ञात ही रहे। ऐसे ही एक क्रांतिवीर बटुकेश्वर दत्त का जन्म 18 नवम्बर 1910 को ग्राम ओएरी खंडा घोष (जिला बर्दमान, बंगाल) में गोष्ठा बिहारी दत्त के घर में हुआ था। वे एक दवा कंपनी में काम करते थे और बाद में कानपुर (उप्र) में रहने लगे। इसलिए बटुकेश्वर दत्त की प्रारम्भिक शिक्षा पीपीएन हाईस्कूल, कानपुर में हुई। उन्होंने अपने मित्रों के साथ ‘कानपुर जिमनास्टिक क्लब’ की स्थापना भी की थी।

उन दिनों कानपुर क्रांतिकारियों का एक बड़ा केंद्र था। बटुकेश्वर अपने मित्रों में मोहन के नाम से प्रसिद्ध थे। भगत सिंह के साथ 8 अप्रैल 1929 को दिल्ली के संसद भवन में बम फेंकने के बाद वे चाहते तो भाग सकते थे; पर क्रांतिकारी दल के निर्णय के अनुसार दोनों ने गिरफ्तारी दे दी।

6 जून 1929 को न्यायालय में दोनों ने एक लिखित वक्तव्य दिया जिसमें क्रांतिकारी दल की कल्पना, इन्कलाब जिन्दाबाद का अर्थ तथा देश की व्यवस्था में आमूल परिवर्तन की बातें कही गई थीं। 25 जुलाई 1929 को उन्होंने गृह मंत्री के नाम एक पत्र भी लिखा जिसमें जेल में राजनीतिक बंदियों पर हो रहे अत्याचार एवं उनके अधिकारों की चर्चा की गई थी। उन्होंने अन्य साथियों के साथ इस विषय पर 114 दिन तक भूख हड़ताल भी की।

भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी की सजा हुई जबकि बटुकेश्वर दत्त को आजीवन कारावास। इस पर भगत सिंह ने उन्हें एक पत्र लिखा। उसमें कहा गया है कि हम तो मर जायेंगे; पर तुम जीवित रहकर दिखा दो कि क्रांतिकारी जैसे हंस कर फांसी चढ़ता है, वैसे ही वह अपने आदर्शों के लिए हंसते हुए जेल की अंधकारपूर्ण कोठरियों में यातनाएं और उत्पीड़न भी सह सकता है।

23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में भगत सिंह आदि को फांसी हुई और बटुकेश्वर दत्त को पहले अंदमान और फिर 1938 में पटना जेल में रखा गया। जेल में वे क्षय रोग एवं पेट दर्द से पीड़ित हो गए। 8 सितम्बर 1938 को वे कुछ शर्तों के साथ रिहा किये गए; पर 1942 में फिर भारत छोड़ो आंदोलन में जेल चले गये। 1945 में वे पटना में अपने बड़े भाई के घर में नजरबंद किये गए।

1947 में हजारीबाग जेल से मुक्त होकर वे पटना में ही रहने लगे। इतनी लम्बी जेल के बाद भी उनका उत्साह जीवित था। 36 वर्ष की अवस्था में उन्होंने आसनसोल में सादगीपूर्ण रीति से अंजलि दत्त से विवाह किया। भगत सिंह की मां विद्यावती उन्हें अपना दूसरा बेटा मानती थीं।

पटना में बटुकेश्वर दत्त को बहुत आर्थिक कठिनाई झेलनी पड़ी। उन्होंने एक सिगरेट कंपनी के एजेंट की तथा पत्नी ने एक विद्यालय में 100 रुपये मासिक पर नौकरी की। 1963 में कुछ समय के लिए वे विधान परिषद में मनोनीत किये गए पर वहां उन्हें काफी विरोध सहना पड़ा। उनका मन इस राजनीति के अनुकूल नहीं बना था।

1964 में स्वास्थ्य बहुत बिगड़ने पर पहले पटना के सरकारी अस्पताल और फिर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उनका इलाज हुआ। उन्होंने बड़ी वेदना से कहा कि जिस दिल्ली की संसद में मैंने बम फेंका था, वहां मुझे स्ट्रेचर पर आना पड़ेगा, यह कभी सोचा भी नहीं था।

बीमारी में मां विद्यावती उनकी सेवा में लगी रहीं। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उनके कई पुराने साथी उनसे मिले। 20 जुलाई 1965 की रात में दो बजे इस क्रांतिवीर ने शरीर छोड़ दिया। उनका अंतिम संस्कार वहीं हुआ, जहा भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के शव जलाये गए थे। अपने मित्रों और माता विद्यावती के साथ बटुकेश्वर दत्त आज भी वहां शांत सो रहे हैं।

सुरेश बाबू मिश्रा

(सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य)

gajendra tripathi

Recent Posts

जय नारायण में शिविर में स्काउट्स ने सीखा तम्बू निर्माण एवं प्राथमिक चिकित्सा

बरेली@BareillyLive. शहर के जयनारायण सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में जिला प्रशिक्षण आयुक्त पुष्पकांत शर्मा…

1 week ago

कमिश्नर और आईजी ने किया ककोड़ा मेला स्थल का निरीक्षण, दिये सुरक्षा एवं स्वच्छता पर विशेष निर्देश

हाई फ्लड लाइट और वॉच टावर की संख्या को बढ़ाने को कहा, मेला क्षेत्र में…

1 week ago

स्काउट एवं गाइड की जिला स्तरीय बीएसजी ज्ञान प्रतियोगिता सम्पन्न, विजेता राज्य स्तर पर प्रतिभाग करेंगे

बरेली@BareillyLive. उत्तर प्रदेश भारत स्काउट एवं गाइड के निर्देशन एवं जिला संस्था बरेली के तत्वावधान…

1 week ago

14 नवम्बर संकल्प : 1962 में कब्जायी भारत भूमि को चीन से वापस लेने की शपथ को पूरा करे सरकारः शैलेन्द्र

बरेली @BareillyLive. चीन द्वारा कब्जा की गई भारत की भूमि को मुक्त करने की मांग…

1 week ago

चौबारी मेले के कारण बरेली में 14 से रूट डायवर्जन, इन रास्तों से निकलें, भारी वाहनों की नो एंट्री

बरेली @BareillyLive. रामगंगा नदी के चौबारी मेले में कार्तिक पूर्णिमा स्नान के कारण बरेली में…

1 week ago

भाजपा का लक्ष्य पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय को साकार करना : पवन शर्मा

Bareillylive : संगठन पर्व के चलते शहर के मीरगंज विधानसभा के मंडल मीरगंज व मंडल…

1 week ago