पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी, LAC) पर चीन की हर नापाक हरकत का खुलासा हो रहा है, फिर भी वह चालबाजी से बाज आ रहा है। दरअसल, गलवान में मुंह की खाने के बाद अब वह नेपाल में अपनी नापाक चाल चल रहा है जिस पर भी भारत की पैनी नजर है। अमरीका-चीन आर्थिक एवं सुरक्षा समीक्षा आयोग (यूएसीसी ) ने अपनी 2020 की रिपोर्ट में कहा है कि ऐसा संकेत भी हैं कि जिनपिंग सरकार ने ही गलवान में खूनी संघर्ष की पटकथा लिखी और चीन के विदेश मंत्री ने हिंसा भड़काने वाले बयान दिए। उपग्रह से प्राप्त फ़ोटोग्राफ भी वहां चीनी सैन्य ठिकाने एवं टैंक होने की पुष्टि करते है।
चालबाज चीन भारत और जापान की सीमाओं पर अपना वर्चस्व कायम करने की चाल में जुटा था लेकिन इन दोनों ही देशों ने पूरी सख्ती के साथ उसके फरेब और सैन्य मंशाओं का विफल कर दिया। चीन के बाद भारत और जापान ही एशिया की सबसे बड़ी ताकतें हैं और यदि चीन की चाल सफल हो जाए तो एशिया में उसका एकछत्र राज स्थापित हो सकता है। अमरीका के राष्ट्रीय खुफिया निदेशक जान रेट क्लिफ ने भी कहा है कि चीन देश-दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा है। इसीलिए अमरीका ने चीन की चार बड़ी कंपनियों,जिनमें चीन की सबसे बड़ी प्रोसेसर चिप निर्माता कंपनी सेमीकंडक्टर मैनुफैक्चरिंग इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन के अलावा चियना कंस्ट्रक्शन टैक्नोलॉजी कंपनी, चियना इंटरनेशनल इंजीएनिरिंग कंसल्टिंग कॉर्प और नेशनल ऑफशोर ऑयल कॉरपोरेशन शामिल हैं, को काली सूची में डाल दिया है।
भारत के साथ कमांडर स्तर की कई दौर की वार्ता और उनमें बनी सहमति के बाद भी चीन ने अपने सैनिकों को पीछे नही हटाया है। बल्कि एक दूसरा मोर्चा खोलते हुए नेपाल की शिक्षा,सियासत और सेना में घुसपैठ में लगा है। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत चीन न केवल वहां निवेश बढ़ा रहा है बल्कि दो साल में 5600 करोड़ रुपये का सहयोग देने का भी वायदा कर चुका है। हालांकि भारत ने धैर्य दिखाया है और नेपाल के साथ रोटी-बेटी वाले रिश्ते को कायम रख रहा है।
बहरहाल, अब हाल यह है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 13 हजार फुट की उंचाई पर चीन के 50 हजार सैनिक तैनात तो हैं पर वहां की ठंड बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। इस कारण रोजाना अग्रिम मोर्चे पर चीन को अपने सैनिक बदलने पड़ रहे हैं। दूसरी ओर भारतीय जवान इतनी ऊंचाई और सर्दी में मोर्चे पर डटे रहने के लिए उच्च प्रशिक्षित और शारीरिक रूप से मजबूत हैं। भारत सरकार ने उन्हें सर्दी से बचाव के लिए सर्वश्रेष्ठ कपड़े, आवास आदि उपलब्ध कराए हैं जिससे उनका मनोबल शिखर पर है।
भारत सरकार चीन की हर चाल पर नजर रख कर हर मोर्चे पर सेना को मजबूत कर रही है। भारत ने हाल ही में ब्रह्मोस मिसाइल के कई सफल परीक्षण किए हैं। ब्रह्मोस के तीनों संस्करणों (थल, नभ और जल) के कई सफल परीक्षण कर भारत मिसाइल तकनीक के क्षेत्र में बड़ी ताकत बनकर उभरा है। भारतीय वायुसेना ने आंध्र के सूर्यलंका में एयर स्टेशन से स्वदेसी एयर डिफेंस मिसायल सिस्टम आकाश एवं कंधे पर रख कर छोड़े जाने वाली रूसी इग्ला मिसाइल का भी सफल परीक्षण किया। अग्नि, पृथ्वी, नाग जैसी घातक मिसाइलों के कई वर्जन पहले से ही भारत के तरकश में हैं। ऐसे में चीन तो क्या कोई भी देश भारत से सीधे तौर पर उलझ कर अपने हाथ झुलसाने से पहले सौ बार सोचेगा। यहीं कारण है कि चीन अब तरह-तरह की चाल चलकर भारत को उलझाने की कोशिश कर रहा है।
चीन अब करीब तीन दशक बाद अब भारत से चावल खरीदने जा रहा है, ताकि भारत का रुख कुछ नरम हो। उसको अब समझ आ गया है कि अब यह नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाला मजबूत भारत है।
निर्भय सक्सेना
(लेखक उपजा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं)