बरेली। सोमवार की शाम बरेली में सेना की अदालत लगी। एक सैनिक का कोर्ट मार्शल हुआ। पक्ष और विपक्ष से कई दलीलें पेश की गयीं। परिस्थितियों, मानव व्यवहार और सैन्य कानूनों के अन्तद्र्वंद्व के बीच सैनिक को सजा-ए-मौत दी गयी। सैनिक से हंसते-हंसते उसे स्वीकार किया। सैनिक के इस जज्बे को कोर्ट के पीठासीन अधिकारी ब्रिगेडियर ने भी सैल्यूट किया।
इस ‘कोर्ट मार्शल’ नाटक का आयोजन रंग प्रवाह सांस्कृतिक समिति के बैनर तले रामानुज दयाल सरस्वती शिशु मंदिर में किया गया था। नाटक की आरम्भ होता है ब्रिगेडियर के संवाद-‘मेरा सामना कई बार मौत से हुआ है, मैंने बहुत से लोगों की जान ली है, युद्ध के मैदान में भी और कोर्ट मार्शल में भी’।
अगले ही दृश्य में कोर्ट सजी हुई है। जज, आरोपी, गवाह, वकील सभी अपनी जगह बैठे हैं और कर्नल के आदेश पर कार्रवाई शुरू हुई दर्शकों ने भारतीय सेना के साहस और जज्बे को अनुभूत किया। इसमें एक सैनिक की कहानी को दिखाया गया, जो अपने ही अधिकारी की हत्या व जानलेवा हमले का आरोप ङोल रहा है। भारतीय पुरातत्वपंथी व समाज में मौजूद जातिवाद व सामंतवाद की भावना पर कटाक्ष करते हुए इस नाटक ने दर्शकों को खूब प्रभावित किया।
नाटक में दिखाया गया है कि किस प्रकार उच्च जाति वर्ग के अधिकारी नीची जाति से संबंध रखने वाले कैप्टन रामचंद्र को मानसिक प्रताड़ना देते हुए उसका जीना मुहाल कर देते हैं। परिस्थितियां जब बर्दाश्त से बाहर होती हैं तो तब कैप्टन अपनी राइफल से अधिकारियों पर गोली चला देता है। फिर उसका कोर्ट मार्शल होता है, लेकिन वकील द्वारा कैप्टन के जुर्म को साबित करने से अधिक उन परिस्थितियों को उजागर करना था, जिसमें उसने गोली चलाई। नाटक में सभी कलाकारों ने अपने किरदार को डूबकर जिया। उन्होंने कसे हुए अभिनय से दर्शकों को अंत तक बांधे रखा।
नाटक में पुष्पा अरुण, शुभम सक्सेना, प्रभांशु, संजीव कश्यप, नरेन्द्र नेगी, मोनिश हिदायत, हृदेश प्रताप सिंह, हरदयाल मौर्य, आशीष, रजत जोशी, महिपाल सिंह राना, अमन यादव ने विभिन्न भूमिकाएं निभायी। सचिव पप्पू वर्मा मौजूद रहे। स्वदेश दीपक लिखित इस नाटक का निर्देशन पप्पू वर्मा ने किया।